राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े संगठन-लघु उद्योग भारती ने गुरुवार को कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्य उद्यम (एमएसएमई) की परिभाषा में परिवर्तन संबंधी सरकार की हालिया अधिसूचना से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के उद्देश्यों को नुकसान पहुंचेगा और विदेशों में निर्मित वस्तुओं के आयात में इजाफे का मार्ग प्रशस्त होगा। देश भर के 465 जिलों में काम कर रहे सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों (एमएसआई) का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले इस संगठन लघु उद्योग भारती ने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र के संबंध में सरकार की हालिया अधिसूचना से बड़ी और बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी सहायक कंपनियों के जरिये भारत में विनिर्माण क्षेत्र को अप्रत्यक्ष रूप से अपने नियंत्रण में ले लेंगी।
लघु उद्योग भारती राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध एसएमआई का संगठन है। एक बयान में इसने मांग की है कि सरकार को सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के मसलों पर विचार करने के लिए एक अलग समर्पित मंत्रालय का गठन करना चाहिए। इसने कहा है कि मध्य स्तर वाले उद्योगों, सेवा उद्यमों और व्यापारिक सेवाओं के साथ एमएसआई की मौजूदा गुटबंदी के परिणामस्वरूप यह एमएसआई के कमजोर क्षेत्र के लिए घोर लापरवाही और सौतेला व्यवहार साबित हुआ है। लघु उद्योग भारती ने कहा कि 26 जून को सूक्ष्म, लघु एवं मध्य उद्यम मंत्रालय द्वारा जारी की गई असाधारण राजपत्र अधिसूचना का अध्ययन करने के बाद वह पूरी तरह से निराश हो गया है। लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष बलदेवभाई प्रजापति और महासचिव गोविंद लेले ने कहा कि हम देख रहे हैं कि इस अधिसूचना के प्रावधानों से अंतत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी के आत्मनिर्भर भारत अभियान की परिकल्पना को नुकसान पहुंचेगा। प्रजापति और लेले ने कहा कि इस नई अधिसूचना से बड़ी और बहुराष्ट्र्रीय कंपनियां अपनी सहायक कंपनियों के जरिये भारत में विनिर्माण क्षेत्र को अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रित करने लगेंगी।
