आर्थिक गतिविधियों में नरमी, मालवहन की कम उपलब्धता और 31 अगस्त को मॉरेटोरियम अवधि (किस्त भुगतान में स्थगन) खत्म होने से ट्रांसपोर्टरों पर दबाव बढ़ रहा है। ऐसे में इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग (आईएफटीआरटी) ने अनुमान लगाया है कि ट्रांसपोर्टर करीब 45,000 से 50,000 वाहनों को फाइनैंसरों को वापस करने पर मजबूर हैं। इस महीने माल भाड़ा में पिछले महीने की तुलना में 10 फीसदी की कमी आने से भी ट्रांसपोर्टरों की चिंता बढ़ गई है।
आईएफटीआरटी के वरिष्ठ फेलो एसपी सिंह ने कहा कि स्थिति बड़ी विकट है। एकीकरण का दौर शुरू हो चुका है, वहीं कुछ अपने कारोबार का आकार घटा रहे हैं, और अन्य इस धंधे से किनारा करने की संभावना तलाश रहे हैं। 31 अगस्त के बाद स्थिति और खराब होगी। सिंह ने कहा, ‘किस्तों का भुगतान करने में सक्षम नहीं होने पर कम से कम 45 से 50 हजार वाहनों को ट्रंासपोर्टर अपने फाइनैंसरों को वापस कर सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि पुराने कर्ज की वसूली नहीं होने से नए वाहनों के लिए फाइनैंसर तलाशना भी कठिन हो गया है। साथ ही कर्ज आवेदन को खारिज किए जाने की दर भी काफी ज्यादा हो गई है।
हालांकि पुराने (सेकंड हैंड) वाणिज्यिक वाहनों की बड़ी फाइनैंसर श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनैंस कंपनी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी उमेश रेवंकर इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उनका कहना है कि वाहनों को जब्त या वापस करने का कोई मामला सामने नहीं आया है। लोगों द्वारा केवल इसे बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा रहा है। फाइनैंसर अपने ग्राहकों को अपनी समस्या सुझलाने और फिर से आने को कह रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘श्रीराम ट्रांसपोर्ट सहित कई सारे फाइनैंसर कार्यशील पूंजी मुहैया करा रहे हैं। हमारे ग्राहकों को किसी तरह की समस्या नहीं होगी। लॉकडाउन में ढील से धीरे-धीरे स्थिति में सुधार हो रहा है।’
जून में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 16.6 फीसदी की गिरावट आई है जबकि मई में 33.8 फीसदी और अप्रैल में 57.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। इससे 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद में भी संकुचन आने का अनुमान है।
इस बीच रोड टैक्स (पथ कर) में छूट की अवधि भी 30 सितंबर को खत्म हो रही है। ऐसे में ट्रक मालिकों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। 9 जून को सरकार ने मोटर वाहनों के दस्तावेजों की वैधता अवधि 30 सितंबर तक बढ़ाने की अनुमति दी थी। इनमें फिनटेस प्रमाण पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, परमिट, पंजीकरण दस्तावेज आदि शामिल थे।
बॉम्बे गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बलमलकीत सिंह ने कहा, ‘मांग नरम है। केवल 40 फीसदी बेड़े का ही इस्तेमाल हो पा रहा है। बहुत सारे ट्रांसपोर्टर अपने कर्ज की किस्त चुकाने में सक्षम नहीं होंगे, जिससे चूक के मामले बढ़ सकते हैं। मॉरेटोरियम नहीं बढ़ाए जाने से बड़ी संकट हो सकती है।’ उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान मासिक किस्त भुगतान में छूट मिलने से ट्रांसपोर्टरों को थोड़ी राहत मिली थी। लेकिन डीजल के ऊंचे दाम और कम किराये से कारोबार की स्थिति चिंताजनक है।
इस महीने की शुरुआत में ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास को पत्र लिखकर 31 दिसंबर तक मॉरेटोरियम बढ़ाने की मांग की थी। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने पत्र में कमजोर मांग और ऊंची परिचालन लागत सहित डीजल के दाम, टोल टैक्स आदि का हवाला दिया था।
