सरकार ने विनिवेश से 2.5 लाख करोड़ रुपये जुटाने और निवेशकों को जानकारी देने के लिए एक संपत्ति मुद्रीकरण डैशबोर्ड विकसित किया है, जिससे इस योजना की प्रगति की निगरानी की जा सके।
सरकार की कवायद है कि सरकारी संपत्तियों की खरीद के इच्छुक निवेशकों को एक जगह सारी जानकारी उपलब्ध हो सके, जिसके लिए यह पोर्टल तैयार किया गया है। यह कवायद नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन की तरह है, जिसमें बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निजी क्षेत्र को हिस्सेदारी के लिए आमंत्रित किया जाता है।
नीतियों के थिंक टैंक नीति आयोग ने राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को अंतिम रूप दे दिया है, जिसके तहत संभावित पुरानी बुनियादी ढांचा क्षेत्र की संपत्तियां शामिल हैं। मुद्रीकरण पाइपलाइन 2021-22 से 2024-25 तक के 4 वित्तीय वर्षों के लिए तैयार की गई है।
सरकार ने संसद को बताया कि एनएमपी विभिन्न सेक्टर की विभिन्न पुरानी बुनियादी ढांचा संपत्तियों के मुद्रीकरण के खाके के रूप में काम करेगा।
मार्च में केंद्रीय मंत्रालयों को वित्त वर्ष 22 से शुरू हो रहे अगले 3 साल में 2.5 लाख करोड़ रुपये की संपत्तियों की बिक्री का लक्ष्य दिया गया था। यह लक्ष्य रेल मंत्रालय, दूर संचार मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, बिजली मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय सहित अन्य मंत्रालयों के लिए रखा गया है। कोयला मंत्रालय ने अलग से करीब 41,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों को चिह्नित कर उन्हें बेचने का लक्ष्य रखा है। इस तरह से कुल 2.5 लाख करोड़ रुपये का मुद्रीकरण होना है।
राज्यों को अपनी संपत्तियों के मुद्रीकरण की संभावना तलाशने और राज्य की कंपनियों के विनिवेश के लिए भी केंद्र सरकार ने 50 साल के ब्याज मुक्त कर्ज की घोषणा की है। अगले 4 से 5 साल में केंद्र सरकार राज्यों की संपत्ति मुद्रीकरण का 3 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य तय कर सकती है।