सेज के लाभ में विस्थापितों की भागीदारी जरूरी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 7:40 PM IST

प्रशासनिक सुधार आयोग ने विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) के लिए कर छूट कम समय के लिए करने और सेज अधिनियम संशोधित करने को कहा है।


आयोग ने कहा है कि इसकी स्थापना को लेकर विरोधाभास हो रहे हैं और हिंसा बढ़ रही है।आयोग ने कहा है कि सेज इलाके के लोगों को एक समय में मुआवजा देने के बजाय लाभ में हिस्सेदारी की रणनीति अपनानी चाहिए। इससे स्थानीय लोग सेज क्षेत्र के विकास के मूकदर्शक रहने के बजाय इसके प्राथमिक शेयरधारक हिस्सेदार बनेंगे।


इसमें यह भी कहा गया है कि निर्यातकों और डेवलपर्स को बहुत ज्यादा कर छूट का लाभ दिए जाने पर भी फिर से विचार किए जाने की जरूरत है। हालिया रिपोर्ट सेज इलाकों में सेज नीति के कारण चल रहे विरोधाभासों और संघर्षो, इस क्षेत्र से हुए विस्थापनों, कृषि क्षेत्र को हो रहे नुकसान और रियल एस्टेट के लिए संभावनाओं के कारण हो रहे संघर्ष जैसे मुद्दों पर विचार किया गया है।


इसमें चीनी से नीति के नकारात्मक पहलुओं पर भी गौर किया गया है, जिसके नकारात्मक पहलुओं को भारतीय सेज नीति में अपना लिया गया है। इसमें कहा गया है, ‘उन तथ्यों पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है जिनसे सामाजिक मूल्यों और उनके परिणामों पर सेज नीति का असर पड़ा है। उन पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए जिनके चलते सेज इलाकों में सघर्ष बढ़ रहे हैं।’


इसकी अन्य अनुशंसा में सेज पर बने मंत्रिसमूह के मुताबिक कहा गया है कि राज्य सरकारों को सामान्यतया बहुत ज्याजा जमीन का अधिग्रहण सेज के लिए नहीं करनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि यह एक अच्छा निर्णय है क्योंकि सेज विकसित करने के लिए निजी कंपनियों को भूमि का आवंटन करने के बाद भविष्य में उसे जनता के प्रयोग के लिए नहीं रखा जा सकता।


आयोग ने कहा है कि सेज की सीमित संख्या होनी चाहिए जो उन इलाकों में बनें जिनका विकास नहीं हुआ है। इससे आधारभूत ढांचे का विकास होगा। इसमें यह भी कहा गया है कि नान प्रोसेसिंग एक्टिविटीज के लिए दी जाने वाली भूमि को कम किया जाना चाहिए।


आयोग ने कहा है कि सेज इलाकों से विस्थापित लोगों को दिया जाने वाला पुनर्वास पैकेज संतोषजनक नहीं हैं। साथ ही मंत्रिसमूह का प्रस्ताव, जिसमें विस्थापित परिवार में से एक व्यक्ति को नौकरी दिए जाने की बात कही गई है, वह भी पर्याप्त नहीं है। आयोग ने यह भी कहा है कि सेज का विकास के साथ आस-पास के इलाकों में वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटरों की स्थापना और पानी की व्यवस्था, जल निकासी और स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए।


आयोग का मानना है कि कर छूट का लाभ उठाने और कृषि भूमि को सस्ती दरों पर हथियाने और जल्द से जल्द लाभ कमाने के लिए डेवलपर्स के बीच होड़ मची है।औद्योगिक गतिविधियों के  संचालन और सेज विकसित करने में संघर्ष को रोकने के लिए भूमि के प्रयोग की योजना बननी चाहिए और योजनाएं इस तरह की होनी चाहिए कि उसमें कम से कम कृषि भूमि का प्रयोग हो। यह योजनाएं जनता की आम राय के बाद ही लागू की जानी चाहिए।


आयोग के प्रमुख प्रस्ताव


कृषकों के सेज को प्रोत्साहन मिले।
कृषि भूमि पर सेज बनाने से बचा जाए।
विस्थापितों को हिस्सेदारी दी जाए।
सेज की संख्या सीमित की जाए।
कर छूट में कटौती की जाए।

First Published : April 9, 2008 | 10:52 PM IST