1 लाख करोड़ रुपये से अधिक छूट वाली योजनाओं की पेशकश

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 5:11 PM IST

राज्य सरकारों ने इस साल 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की छूट और सब्सिडी की घोषणा की और चुनावों के दौरान कई मुफ्त योजनाओं की घोषणा पर मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने भी सवाल उठाए। आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल उन राज्य सरकारों में शामिल हैं, जिन्होंने इस वर्ष के लिए अपने-अपने बजट में सबसे बड़ी मुफ्त योजनाओं की घोषणाएं की हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के एक अध्ययन से जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2022-23 में वे सामूहिक रूप से 67,000 करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं में उनका योगदान है। अध्ययन में शामिल अन्य राज्यों में पंजाब, राजस्थान, झारखंड, बिहार, हरियाणा और केरल शामिल हैं।
फ्रीबीज में सेवाओं को मुफ्त किए जाने के साथ-साथ मुफ्त उत्पाद और छूट वाली योजनाओं की पेशकश शामिल है। आरबीआई की परिभाषा के अनुसार इसमें वैसी चीजें शामिल हैं जो, ‘संभावित रूप से नकदी व्यवस्था को कमजोर कर सकते हैं और निजी निवेश के प्रोत्साहन को कम करते हुए क्रॉस-सब्सिडी के माध्यम से कीमतों पर असर डाल सकते हैं। इसके अलावा इससे मौजूदा मजदूरी दर पर काम हतोत्साहित हो सकता है जिससे श्रम बल की भागीदारी में गिरावट आती है।
गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं। आम आदमी पार्टी (आप) ने गुजरात में सत्ता में आने पर 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने का वादा किया है। इस साल की शुरुआत में पंजाब में सत्ता में आने के बाद इस तरह की योजना राज्य में भी लागू की गई। हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकारों ने अप्रैल में मुफ्त बिजली और पानी की आपूर्ति की घोषणा की थी। गुजरात की भाजपा सरकार ने अपने बजट में पहले ही 4,000 गांवों के लिए वाईफाई और गोरक्षा के लिए 500 करोड़ रुपये का वादा किया है।
इस वर्ष विभिन्न राज्य सरकारों ने जिन अन्य सब्सिडी की घोषणा की है उनमें महिलाओं को वित्तीय सहायता, फसल ऋण के लिए ब्याज पर सब्सिडी और चिकित्सा सहायता शामिल है।
राज्यों के पास अतिरिक्त सब्सिडी के भुगतान के लिए अलग-अलग क्षमताएं हैं। नवीनतम वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे की गणना का अंदाजा दिल्ली स्थित पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च से लगाया गया था। राजकोषीय घाटा दरअसल  सरकारी धन की कमी है जिसे आमतौर पर उधार के माध्यम से पूरा किया जाता है। इसकी गणना राज्य के आर्थिक आकार या सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के प्रतिशत के रूप में की जाती है। यह झारखंड के लिए 2.81 प्रतिशत से मध्य प्रदेश के लिए 4.56 प्रतिशत तक है। राजकोषीय घाटा जितना अधिक होगा, सरकार को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए उतना ही अधिक उधार लेना पड़ता है।

First Published : August 1, 2022 | 12:04 AM IST