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नए ई-कॉमर्स नियमों का निवेशकों पर पड़ेगा असर

Last Updated- December 12, 2022 | 3:00 AM IST

इंडो अमेरिकन चैंबर आफ कॉमर्स (आईएसीसी) ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय से कहा है कि  उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 में प्रस्तावित संशोधनों का असर ई-कॉमर्स क्षेत्र के अन्य नियमों पर भी पड़ सकता है, जिसे ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए पेश किया जा रहा है।
भारत अमेरिका के बीच कारोबार के लिए शीर्ष द्विपक्षीय उद्योग संगठन आईएसीसी ने कहा है कि सरकार की ओर से प्रस्तावित संशोधनों से अनुपालन संबंधी दायित्व बढ़ जाएंगे, जिससे इस क्षेत्र की वृद्धि पर असर पडऩे का जोखिम है।
उपभोक्ता मामलों के विभाग के संयुक्त सचिव अनुपम मिश्र को लिखे गए पत्र में आईएसीसी के उपाध्यक्ष डॉ ललित भसीन ने कहा है, हम आपका ध्यान इस ओर भी आकर्षित कराना चाहते हैं कि इस तरह के कदम से वैश्विक रूप से निवेशकों की धारणा पर असर पड़ेगा, खासकर इसका असर देश में कारोबार की सुगमता को लेकर असर पड़ेगा। बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस पत्र को देखा है, जो 2 जुलाई, 2021 को लिखा गया है।
उद्योग के सूत्रों के मुताबिक एमेजॉन ने भारत के बाजार में अब तक 6.5 अरब डॉलर निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। फर्म ने कहा था कि वह 1 करोड़ सूक्ष्म, लघु एवं मझोले (एमएसएमई) उद्यमों के डिजिटलीकरण, 10 अरब डॉलर के निर्यात में सक्षम बनाने और 2025 तक 10 लाख नौकरियों के सृजन को लेकर प्रतिबद्ध है।
विश्व की सबसे बड़ी खुदरा कारोबारी वालमार्ट ने 2018 में भारत की कंपनी फ्लिपकार्ट को 2018 में 16 अरब डॉलर में खरीद लिया था।
उद्योग के सूत्रों का कहना है कि भारत के ई-कॉमर्स में एमेजॉन और फ्लिपकार्ट का दबदबा है। बहरहाल देश के कुल 1.2 लाख करोड़ डॉलर के खुदरा कारोबार में सिर्फ 7 प्रतिशत ऑनलाइन है।
एमेजॉन, फ्लिपकार्ट और रिलायंस की जियोमार्ट आक्रामक रूप से शेष 93 प्रतिशत बाजार में से हिस्सेदारी लेने के लिए आक्रामक रूप से काम कर रही हैं।
आईएसीसी ने पत्र में कहा है कि पिछले कुछ साल से ई-कॉमर्स की भारत की वृद्धि में हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है।
इससे ग्राहकों को चयन, सुविधा और मूल्य का विकल्प मिला है और छोटे कारोबारियों को कारोबार बढ़ाने का मौका मिल रहा है। इस क्षेत्र ने बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन किया है और लॉजिस्टिक्स से लेकर भुगतान तक पर इसका व्यापक असर पड़ा है।

First Published - July 5, 2021 | 11:30 PM IST

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