दक्षिण पश्चिमी मॉनसून कुछ दिनों की देरी के बाद आखिरकार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंच गया। इसके साथ ही उत्तर और मध्य भारत के कुछ अन्य इलाकों में भी मॉनसूनी बारिश हुई, जहां इसका इंतजार था। इस तरह से देश के 80 प्रतिशत इलाके में मॉनसून पहुंच चुका है और कुल मिलाकर जून महीने में बारिश सामान्य के करीब पहुंच गई है।
बारिश की बहाली मुख्य रूप से दलहन और तिलहन उत्पादन वाले देश के उत्तर, मध्य औऱ पश्चिम भारत में हुई है। इससे खरीफ की फसलों की बुआई में तेजी आ सकती है, जो 24 जून तक पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 24 प्रतिशत कम थी। बारिश में देरी के कारण कुछ चुनिंदा दलहन की कीमतों में तेजी शुरू हो गई थी, क्योंकि समय से बारिश न होने पर किसानों को उत्पादन में कमी आने का डर था।
मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक आज की बारिश के बाद भारत में 1 जून से 30 जून के बीच कुल बारिश 152.3 मिलीमीटर हो गई है, जो सामान्य से 8 प्रतिशत कम है। इसमें से पूर्वी और उत्तर भारत में जून में औसत से 22 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है, जबकि देश के सभी इलाकों की स्थिति देखें तो सामान्य से कम बारिश हुई है।
स्काईमेट के वाइस प्रेसीडेंट, मेट्रोलॉजी महेश पालावत ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘न सिर्फ मजबूत बारिश हुई है, बल्कि अगले एक सप्ताह में आंतरिक कर्नाटक, रायलसीमा, तमिलनाडु और पश्चिम राजस्थान को छोड़कर देश के अन्य इलाकों में जोरदार बारिश होगी। इससे अगले 10 दिन में बारिश में आई कमी की भरपाई हो जाएगी।’
पालावत ने कहा कि जुलाई और अगस्त में मॉनसून बेहतर रहने के संकेत हैं, क्योंकि ला नीना की स्थिति अगस्त के अंत तक रहने की संभावना है। वहीं नकारात्मक आईओडी का असर भी कम रहने की संभावना है। दक्षिण पश्चिमी मॉनसून के हिसाब से देखें तो जुलाई और अगस्त दो अहम महीने हैं। इन महीनों में ज्यादातर बारिश होती है।