संक्रमण दर घटकर 15.2 फीसदी पहुंची

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:36 AM IST

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में कोविड-19 की जांच संक्रमण दर 13 से 19 मई तक के सप्ताह में घटकर 15.2 फीसदी पर आ गई, जो मई के पहले सप्ताह में करीब 22 फीसदी पर पहुंच गई थी। संक्रमण दर फरवरी से लगातार 10 सप्ताह तक बढ़ी। इसमें पिछले 10 दिनों से गिरावट शुरू हुई है।
सरकार ने ताजा सलाह में सतर्कता का स्तर और बढ़ा दिया है। सरकार ने दो मास्क और घर में भी मास्क पहनने का सुझाव दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि वायरस के प्रसार के मुख्य जरियों में से एक एरोसॉल हवा से 10 मीटर दूर तक पहुंच सकते हैं।
यह सलाह प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन के कार्यालय ने जारी की। इसमें घर चहारदीवारी के भीतर उचित हवा एवं वेंटिलेशन के अलावा सतह के जरिये संक्रमण फैलने को लेकर भी आगाह किया गया है। इसमें दरवाजे के हत्थे, बिजली के स्विच, मेज, कुर्सी जैसी अत्यधिक छुई जाने वाली चींजों को बार-बार संक्रमण मुक्त करने की सलाह दी गई है।
इस परामर्श में कहा गया है, ‘बिना लक्षणों वाला एक संक्रमित व्यक्ति भी वायरल लोड पर्याप्त मात्रा में ड्रॉपलेट छोड़ सकता है, जिससे कई लोग संक्रमित हो सकते हैं।’ स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन का हवाला दिया है। इसमें कहा गया है कि अगर एक संक्रमित व्यक्ति शारीरिक दूरी नहीं रखता है तो वह 30 दिनों में 406 लोगों को संक्रमित कर सकता है। मगर शारीरिक दूरी रखकर इस आंकड़े को 2.5 तक नीचे लाया जा सकता है।
आठ राज्यों में लगातार उपचाराधीन मामले एक लाख से ऊपर बने हुए हैं। इन राज्यों में से तमिलनाडु को छोड़कर सभी उपचाराधीन मामलों में गिरावट दर्ज कर रहे हैं। देश के 22 राज्यों में संक्रमण दर 15 फीसदी से अधिक है। इनमें से सात में संक्रमण दर 25 फीसदी से अधिक है। ऐसे राज्यों में गोवा, पश्चिम बंगाल, पुडुच्चेरी, केरल, कर्नाटक, सिक्किम और लक्षद्वीप शामिल हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि 123 जिलों में संक्रमण और मामलों में गिरावट आई है। पिछले सप्ताह में देश के 303 जिलों में संक्रमण दर में गिरावट दर्ज की गई है, जबकि उससे पिछले सप्ताह में 214 जिलों में संक्रमण दर घटी थी। रोजाना 100 से अधिक नए मामलों वाले जिलों की संख्या पिछले सप्ताह में घटकर 430 रह गई, जो 28 अप्रैल से 4 मई के सप्ताह में 531 थी।
स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, ‘भारत में मध्य फरवरी से साप्ताहिक जांच में लगातार बढ़ोतरी का रुझान रहा है। इन पिछले 12 सप्ताह में औसत दैनिक जांच 2.3 गुना बढ़ी हैं।’ हालांकि सरकार दैनिक मामलों में बढ़ोतरी और सात राज्यों में संक्रमण दर बढऩे की दोहरी चुनौती को लेकर चिंतित है। इन राज्यों में तमिलनाडु और उत्तर पूर्वी राज्य मेघालय, त्रिपुरा, मणिपुर, सिक्किम, मिजोरम और नगालैंड शामिल हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को उम्मीद है कि दैनिक जांच क्षमता मई के अंत तक बढ़कर 25 लाख और जून के अंत तक 45 लाख हो जाएगी, जो इस समय करीब 20 लाख है। इस क्षमता में रैपिड ऐंटीजन और आरटी-पीसीआर जांच दोनों शामिल होंगे। आईसीएमआर जून के आखिर तक रैपिड एंटीजन टेस्ट क्षमता चार गुना यानी सात लाख प्रतिदिन से 27 लाख प्रतिदिन और आरटी-पीसीआर जांच क्षमता 12 लाख से बढ़ाकर 18 लाख प्रतिदिन करने की योजना बना रहा है। सरकार की रणनीति ग्रामीण क्षेत्रों में रैपिड ऐंटीजन जांचों के जरिये जांचों को बढ़ाना होगी ताकि प्रत्येक दस गांवों के लिए एक मोबाइल जांच वैन हो।

ब्लैक फंगस को राज्य घोषित करे महामारी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को सभी राज्यों से कहा कि वे देश में म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसे महामारी रोग अधिनियम,1897 के तहत शामिल करें। यह बीमारी कोविड के मरीजों में देखी जा रही है। मंत्रालय ने एक पत्र में कहा कि सरकारी और निजी दोनों ही स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों को इस बीमारी के सभी संदिग्ध और पुष्ट मामलों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को जिला स्तरीय मुख्य चिकित्सा अधिकारी और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के माध्यम से देनी होगी। फंगस संक्रमण के मामले अब कई राज्यों में आ रहे हैं जो आमतौर पर नम वातावरण में बढ़ता है और यह बीमारी विशेषतौर पर उन रोगियों में देखी जा रही है जिनके इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया गया है और जिनमें मधुमेह की शिकायत है। यह बीमारी मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है और ऐसे मरीजों का पाचन तंत्र भी कोविड.19 के कारण प्रभावित होता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, ‘फंगस संक्रमण के कारण कोविड-19 मरीज लंबे समय तक बीमार रह रहे हैं और उनकी मृत्यु दर भी ज्यादा है।’ राज्यों को लिखे पत्र में अग्रवाल ने कहा कि इसके इलाज के लिए नेत्र सर्जन, आंख-नाक-कान (ईएनटी) के विशेषज्ञों, जनरल सर्जन, न्यूरोसर्जन के तालमेल वाले इलाज की जरूरत होगी और एम्फोटेरिसिन बी का इस्तेमाल भी फंगस रोधी दवा के रूप में करना होगा। महामारी रोग कानून, सरकार को बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने का अधिकार देता है ।

First Published : May 20, 2021 | 11:14 PM IST