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Axiom Mission 4: शुभांशु शुक्ला पहुंचे अंतरिक्ष स्टेशन, भारत का नाम रौशन करने वाला पहला मिशन बना इतिहास

Axiom Mission 4: 28 घंटे की रोमांचक यात्रा के बाद ISS पहुंचे शुभांशु, बोले– "मैं अब बच्चे की तरह जीना सीख रहा हूं… अद्भुत अनुभव था"

Last Updated- June 27, 2025 | 8:48 AM IST
Shubhanshu Shukla

भारत के शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के धरती से 28 घंटे की यात्रा के बाद गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में प्रवेश कर गए। यहां चालक दल के सदस्यों ने उन्हें गले लगाकर और हाथ मिलाकर गर्मजोशी से स्वागत किया। ड्रैगन श्रृंखला के ग्रेस नाम के पांचवें अंतरिक्ष यान को उत्तरी अटलांटिक महासागर के ऊपर भारतीय समयानुसार अपराह्न 4:01 बजे अंतरिक्ष स्टेशन के हार्मनी मॉड्यूल के साथ वहां संचार, विद्युत संपर्क और दबाव स्थिरीकरण स्थापित करने में दो घंटे का समय लगा।

नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ‘एक्सिओम 4 के चालक दल- कमांडर पैगी व्हिटसन, इसरो के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, पोलिश इंजीनियर स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और मिशन विशेषज्ञ टिबोर कापू ड्रैगन अंतरिक्ष यान से बाहर निकले और पृथ्वी की निचली कक्षा में अपने घर पर नजर डाली।’

यह पहली बार है जब कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा पर पहुंचा है। नासा के सीधे प्रसारित वीडियो लिंक में अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष स्टेशन के पास आते हुए दिखाया गया और ‘डॉकिंग’ प्रक्रिया भारतीय समयानुसार अपराह्न 4:15 बजे पूरी हुई। बुधवार को फ्लोरिडा से 12:01 बजे प्रक्षेपित होने के 28 घंटे से अधिक की यात्रा के बाद ड्रैगन अंतरिक्ष यान ने अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने की तैयारी के लिए थ्रस्टर को फायर करके धीमी और संतुलित गति से आगे बढ़ना शुरू किया।

बच्चे की तरह चलना, खाना-पीना सीख रहा हूं : शुभांशु

अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने कहा कि वह सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण की स्थितियों में एक बच्चे की तरह रहना सीख रहे हैं और जब ड्रैगन अंतरिक्ष यान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ने की अपनी यात्रा में पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा था तो निर्वात में तैरना एक अद्भुत अनुभव था। अंतरिक्ष यान से एक वीडियो लिंक के जरिए अपना अनुभव साझा करते हुए शुक्ला ने कहा कि बुधवार को एक्सिओम-4 मिशन के प्रक्षेपण से पहले 30 दिनों तक पृथक वास के दौरान बाहरी दुनिया से पूरी तरह दूर रहने के बाद मेरे दिमाग में केवल यही विचार आया था कि हमें बस जाने दिया जाए। शुक्ला ने कहा, ‘वाह! अद्भुत सफर था! सच कहूँ तो जब मैं कल लॉन्चपैड पर कैप्सूल ग्रेस में बैठा था तो मेरे दिमाग में एक ही विचार था कि चलो बस चलते हैं!’

First Published - June 27, 2025 | 8:48 AM IST

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