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इमरजेंसी में CGHS के तहत नहीं आने वाले अस्पतालों में भी इलाज करा सकते हैं सरकारी कर्मचारी, जानिए क्या है पूरा मामला

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिकाकर्ता के मामले की सुनवाई करते हुए CGHS नियमों को स्पष्ट किया.

Last Updated- December 20, 2024 | 4:38 PM IST
Central Government Health Scheme
प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो क्रेडिट: Pixels)

Central Government Health Scheme: दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि वो केंद्रीय कर्मचारी भी केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) के हकदार हैं, जिनका इलाज CGHS के तहत आने वाले अस्पताल में नहीं हुआ हो।

जस्टिस ज्योति सिंह ने एक याचिकाकर्ता सीमा मेहता के मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। सीमा मेहता इलाज के दौरान CGHS को तहत आने वाले अस्पताल का पता नहीं लगा पाई थी। सीमा मेहता एक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल की कर्मचारी हैं.

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि उन्हें योजना के तहत रीइंबर्समेंट से इनकार नहीं किया जा सकता है। 

क्या था पूरा मामला

सीमा मेहता ने एक गंभीर सड़क दुर्घटना के बाद इमरजेंसी ब्रेन सर्जरी कराई थी, जिसके बाद उन्होंने 585,523 रुपए के रीइंबर्समेंट की मांग की। मेहता ने शुरू में अपना इलाज दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल में इलाज करवाया था, लेकिन बाद में उन्हें सर गंगाराम अस्पताल ट्रांसफर कर दिया गया था। सर गंगा राम अस्पताल में ही उनकी सर्जरी हुई और इसी दौरान वहां उन्हें कई बार भर्ती होना पड़ा।

जब उन्होंने शिक्षा निदेशालय (DoE) और स्कूल से इसके रीइंबर्समेंट की बात की, तो उनके रीइंबर्समेंट को इस आधार पर मना कर दिया गया कि जिस अस्पताल में उन्होंने अपना इलाज करवाया, वह केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) के तहत नहीं आता है।

कोर्ट ने इसी पर अपनी टिप्पणी में कहा कि मानव का जीवन सबसे ऊपर है और जरूरतमंद  व्यक्ति को समय पर चिकित्सा उपचार सुनिश्चित करना राज्य का दायित्व है।

लॉ फर्म सराफ एंड पार्टनर्स से जुड़े इसपर अक्षय जैन कहते हैं, “इस विषय पर कई मामलों के आधार पर दिए के फैसले के बाद अब यह माना जा चुका है कि जब किसी इमरजेंसी को वास्तविक चिकित्सा प्रमाण पत्र के माध्यम से प्रमाणित किया जाता है, तब कर्मचारियों को लिस्ट में मौजूद अस्पताल और गैर-सूचीबद्ध अस्पताल के बीच इलाज के लिए विकल्प चुन सकते हैं। CGHS के तहत इसमें रीइंबर्समेंट करने में कोई असर नहीं पड़ेगा।”

उन्होंने आगे कहा, “यह फैसला सरकारी कर्मचारियों को जरूरी चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के राज्य के दायित्व को दोहराता है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत कर्मचारियों के स्वास्थ्य के अधिकार को मजबूत करता है।”

अन्य कर्मचारियों का क्या लाभ मिलेगा?

करंजावाला एंड कंपनी के पार्टनर मनमीत कौर कहती हैं, “इस फैसले के आधार पर अब कर्मचारी इमरजेंसी में मेडिकल रीइंबर्समेंट का दावा कर सकते हैं, भले ही अस्पताल CGHS के तहत सूचीबद्ध नहीं हो। इससे इलाज सुलभ हो सकेगा। इस फैसले से तय होता है कि कर्मचारियों को मेडिकल इमरजेंसी के दौरान अधिक कठिनाई और संकट का सामना नहीं करना पड़े।”

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CGHS अस्पतालों का पता कैसे लगाएं?

आप Cghs।nic।in के माध्यम से सभी अस्पताल और डायग्नोस्टिक सेंटर का पता लगा सकते हैं। 

इस वेबसाइट के मुताबिक, इसमें अस्पताल खोजने का विकल्प है। आप उस क्षेत्र में मौजूद अस्पताल को देखने के लिए ड्रॉपडाउन लिस्ट में से अपने शहर में मौजूद अस्पताल का चयन कर सकते हैं।

यह वेबसाइट अस्पताल के बारे में विस्तृत जानकारी देती हैं, जिसमें अस्पताल का पता, कॉन्टेक्ट नंबर और अस्पताल द्वारा दी जा रही सेवाएं शामिल है। इससे आपको यह तय करने में मदद मिल सकती है कि किस अस्पताल में कौन सा इलाज हो सकता है और कहां क्या क्या सुविधाएं मौजूद हैं।

जब एक बार आप संभावित अस्पताल का पता लगा लेते हैं तो यह सलाह दी जाती है कि उनके पैनल में शामिल होने के लिए पुष्टि करने और CGHS के तहत कवर की गई स्पेसिफिक सर्विस के बारे में जानकारी पाने और पूछताछ के लिए सीधे उनसे संपर्क कर सकते हैं। 

First Published - December 20, 2024 | 4:14 PM IST

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