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केंद्र जीएसटी मुआवजे से मुकरता है तो राज्यों को कर संग्रह का अधिकार मिले

Last Updated- December 15, 2022 | 3:05 AM IST

बीएस बातचीत
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि उन्हें इस बात का डर है कि केंद्र सरकार राज्यों को जीएसटी मुआवजे के भुगतान की प्रतिबद्धता से बाहर निकलने की योजना बना रही है। परिषद की बैठक 27 अगस्त को होनी है। उनका कहना है कि अगर ऐसा होता है तो जीएसटी पर फिर से विचार करने और राज्यों को लेवी और कर संग्रह शुरू करने की अनुमति देने की जरूरत है। अर्चिस मोहन से बाचतीत में उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष के लिए राहुल गांधी का कोई विकल्प नहीं है। प्रमुख अंश…
अगर केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में राज्यों के हिस्से के भुगतान में सुस्ती जारी रखती है तो आप छत्तीसगढ़ में कल्याणकारी योजनाएं कैसे जारी रखेंगे?
यह सही है कि ऐसी स्थिति में कल्याणकारी योजनाएं जारी रखना कठिन हो जाएगा। छत्तीसगढ़ का उदाहरण लें। कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से हमने सीधे लोगों की जेब में धन दिए हैं। इससे मांग बढ़ी है और अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में मदद मिली है और राज्य में जीएसटी राजस्व बढ़ा है। वहीं केंद्र ने हमें इस वित्त वर्ष में जीएसटी का एक पैसा नहीं ििदया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही समाप्त हो चुकी है और हम दूसरी तिमाही के मध्य में हैं, लेकिन हमें अब तक कोई पैसा नहीं मिला है।
मुझे सूचना मिली है कि 27 अगस्त को होने वाली जीएसटी परिषद की अगली बैठक में केंद्र सरकार राज्यों को जीएसटी मुआवजा देने की अपनी प्रतिबद्धता से हटने पर विचार करेगी, जो छत्तीसगढ़ जैसे विनिर्माण करने वाले राज्यों के लिए बहुत चिंताजनक है।

इसका समाधान क्या है? क्या आप अन्य राज्यों के साथ इसका विरोध करेंगे? राज्यों को बाजार से अतिरिक्त उधारी की अनुमति मिलनी चाहिए?
निश्चित रूप से। न सिर्फ हमारे जैसे विनिर्माण करने वाले राज्यों को, बल्कि सभी राज्यों को इसका विरोध करना चाहिए। बहरहाल व्यापक मसला यह है कि क्या जीएसटी व्यवस्था राज्यों के लिए विफल हो गई है और इसके तत्काल समाधान की जरूरत है। मुझे लगता है कि समीक्षा होनी चाहिए कि जीएसटी किस तरीके से लागू किया गया। मेरा विचार है कि जीएसटी पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। राज्यों द्वारा लेवी और कर  वसूलने की व्यवस्था पर वापस लौटने की अनुमति देने की जरूरत है।

इस समय आपकी पार्टी में नेतृत्व को लेकर मंथन चल रहा है। वरिष्ठ नेताओं सहित प्रियंका गांधी वाड्रा की राय है कि नेहरू गांधी परिवार से अलग अगले अध्यक्ष पर विचार करने की जरूरत है?
सैद्धांतिक रूप से कुछ भी बोलते रहें, लेकिन मौजूदा स्थिति में पार्टी का प्रभार संभालने के लिए राहुल गांधी से बेहतर कोई नहीं है।

आपकी सरकार रामायण सर्किट के माध्यम से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दे रही है और गायों के संरक्षण की भी योजना पेश की गई है। क्या हाल के वर्षों में कांग्रेस भारत की संस्कृति व परंपराओं से जुड़ाव खो चुकी है? 
नहीं। मेरी सरकार ने परंपरागत त्योहारों को पर्याप्त महत्त्व दिया है। हमने हरेली पर गोधन न्याय योजना शुरू की और हाल में तीज महोत्सव मनाया। राम वन पथगमन, कौशल्या मंदिर, शबरी मंदिर के साथ हम भगवान राम का उत्सव मना रहे हैं, जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में है। भारतीय परंपरा और संस्कृति कांग्रेस के सिद्धांतों में है। पार्टी कभी इन मसलों पर मुखर रहती है, कभी सामान्य तरीके से काम करती है।

मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई राजनीतिक हलचलों के बीच आप छत्तीसगढ़ सरकार की स्थिरता के बारे में क्या सोचते हैं?
आंकड़ों की वजह से छत्तीसगढ़ में वैसा कुछ करना आसान नहीं होगा। 90 सदस्यों की विधानसभा में कांग्रेस के 69 सदस्य हैं और भाजपा के महज 14 सदस्य हैं।

नैशनल कान्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने अपने पिता फारूक अब्दुल्ला पर की गई टिप्पड़ी को लेकर आपके खिलाफ मुकदमा करने की बात कही है?
मेरी प्रतिक्रिया में वह निशाने पर नहीं थे, बल्कि केंद्र सरकार थी, जिसने कुछ लोगों को छोड़ दिया जबकि अन्य नेताओं को घरों में कैद कर रखा है।

लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था को बहाल करने को लेकर क्या योजना है?
बिजली क्षेत्र में मांग कम होने से कोयले की मांग घटी है, लेकिन हमने राज्य में खनन गतिविधियां नहीं रोकी है क्योंकि वहां शारीरिक दूरी के मानकों का पालन करना व्यावहारिक है। इसी तरह लौह अयस्क और बॉक्साइट का काम भी सिर्फ एक महीने 24 मार्च से 22 अप्रैल तक बंद था, लेकिन 23 अप्रैल से उत्पादन शुरू हो गया। स्टील उत्पादन भी जारी है। हमने अन्य औद्योगिक गतिविधियां भी नहीं रोकी है। इसके अलावा हमने कवायद की है कि लोगों की जेब में पैसे पहुंचते रहें। इसकी वजह से राज्य में मांग में तेजी आई है।
मनरेगा के तहत काम मुहैया कराने में हमारा प्रदर्शन देश में सबसे बेहतर राज्यों में रहा है। हमने राजीव गांधी न्याय योजना शुरू की है, जिसमें किसानों को धन दिया गया हऔर 4,400 ग्राम पंचायतों में हम गोबर से खाद बनाने की योजना चला रहे हैं और इसे बढ़ाकर 11,000 पंचायतों तक ले जाएंगे। पीएम किसान निधि के विपरीत हमने अपनी योजना में भूमिहीन कृषि श्रमिकों को भी शामिल किया है। इसके 48 प्रतिशत लाभार्थी ओबीसी, 38 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 40 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं। हमने छोटे कृषि वनोत्पादों के  बेहतर दाम सुनिश्चित किए हैं और महुआ, तेंदू पत्ता, इमली के साथ काजू के बेहतर दाम मिल रहे हैं।

First Published - August 23, 2020 | 11:35 PM IST

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