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बदलेंगे ईपीएफ के निवेश नियम

Last Updated- December 14, 2022 | 9:58 PM IST

केंद्र सरकार कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के नियमों में खास बदलाव करने की योजना बना रही है ताकि वैकल्पिक निवेश कोषों (एआईएफ) के जरिये इनका पैसा नकदी की किल्लत झेल रहे बुनियादी ढांचा क्षेत्र में लगाया जा सके। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि यह योजना घरेलू बचत और संपत्तियों को बुनियादी ढांचा क्षेत्र में लगाने की केंद्र की रणनीति का ही हिस्सा है। इस रणनीति का मकसद विदेशी निवेशकों पर इस क्षेत्र की निर्भरता कम करना है।
शुरुआती अनुमान बताते हैं कि सरकार इन निधियों के लिए निवेश के कायदों में ढील देती है तो करीब 16 लाख करोड़ रुपये की घरेलू परिसंपत्तियां बुनियादी ढांचा क्षेत्र में लग सकती हैं। पता चला है कि केंद्र सरकार इस बारे में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), पेंशन एवं बीमा नियामकों समेत सभी संबंधित संस्थाओं से बात कर रही है।
वित्त मंत्रालय की सलाह के बाद श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने निवेश की जो व्यवस्था तैयार की है, उसके मुताबिक ईपीएफओ अपने वृद्घिशील कोष (1.5 लाख करोड़ रुपये) का 20 से 45 फीसदी डेट योजनाओं में निवेश कर सकता है। इसमें निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और फंड कंपनियों द्वारा जारी बॉन्ड शामिल हैं।
योजना का ब्योरा देते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में कई ऐसे उत्पाद आए हैं, जहां नियम बदलने या ठीक करने की जरूरत है। उदाहरण के लिए नियामकों को एआईएफ में कर से जुड़े मसलों समेत कुछ समस्याओं का हल निकालना होगा।
अधिकारी ने कहा, ‘अभी ईपीएफ का बड़ा हिस्सा निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की फर्मों द्वारा जारी बॉन्ड में लगाया जाता है। मगर नियम बदलने पर वे एआईएफ जैसी योजनाओं में भी निवेश कर सकते हैं।’ ईपीएफओ अपने कोष (पिछले वित्त वर्ष में करीब 13-14 लाख करोड़ रुपये) से कमाई के लिए डेट योजनाओं और शेयर बाजार में निवेश करता है। शेयरों में अधिकतम 15 फीसदी निवेश ही हो सकता है। बाकी रकम डेट में लगाई जाती है।
मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया, ‘बातचीत अभी शुरुआती चरण में है, इसलिए निवेश की सीमा पर कोई फैसला नहीं किया गया है। मगर भविष्य निधि को एआईएफ (श्रेणी 1 और श्रेणी 2) में निवेश की अनुमति दी जा सकती है।’
एआईएफ कोष में उन संस्थागत निवेशकों और धनाढ्य निवेशकों से पूंजी जुटाई जाती है, जो अधिक जोखिम वाली परिसंपत्तियों में निवेश करने से नहीं हिचकते। भारत में सभी एआईएफ सेबी के कायदों पर चलते हैं। श्रेणी 1 के कोष स्टार्टअप, छोटे-मझोले उपक्रमों और वेंचर  कैपिटल में निवेश करते हैं।  श्रेणी 2 कोष में निजी इक्विटी फंड, रियल एस्टेट फंड आदि शामिल होते हैं। श्रेणी 3 कोष में हेज फंड शामिल होते हैं।

First Published - November 3, 2020 | 12:13 AM IST

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