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बजट में पूंजीगत व्यय पर जोर से मुद्रास्फीति नहीं बढ़ेगी : व्यय सचिव

Last Updated- December 12, 2022 | 8:42 AM IST

बीएस बातचीत
व्यय सचिव टी वी सोमनाथन ने दिलाशा सेठ और इंदिवजल धस्माना को बताया कि कृषि बुनियादी ढांचा उपकर लगाए जाने के बावजूद 2021-22 में कृषि क्षेत्र के लिए प्रावधान 2020-21 के संशोधित अनुमानों के मुकाबले अधिक नहीं है क्योंकि कुछ राज्य इस क्षेत्र की सबसे बड़ी योजना-पीएम किसान में भागीदारी नहीं बनेे हैं। बातचीत के अंश:

क्या कोविड टीकाकरण के लिए 35,000 करोड़ रुपये का आवंटन पर्याप्त है?
हमारा अनुमान है कि टीकाकरण की लागत 700 रुपये प्रति व्यक्ति आएगी। इसमें हर बार 200-250 रुपये कीमत के दो बार टीकों की लागत शामिल है। इसके अलावा शीत भंडारगृह, परिवहन, श्रम, सीरिंज आदि का खर्च शामिल है। इससे यह लागत करीब 700 रुपये प्रति व्यक्ति पड़ेगी। इसलिए 35,000 करोड़ रुपये में 50 करोड़ लोगों को टीके लग जाएंगे। यह छोटा आंकड़ा नहीं है। वित्त पोषण का पैटर्न अभी तय नहीं हुआ है। क्या इसका पूरा खर्च केंद्र उठाएगा या राज्य भी लागत वहन करेंगे? ये फैसले स्वास्थ्य मंत्रालय और नीति आयोग जल्द ही लेंगे।

कोविड उपकर की चर्चा हो रही थी। क्या इस पर विचार हुआ था?
यह मुख्य रूप से पत्रकारों और अर्थशास्त्रियों की कोरी कल्पना थी। इस पर कोई विचार नहीं हुआ।

लेकिन एक नया उपकर- कृषि बुनियादी ढांचा उपकर लगाया गया है।
हां, लेकिन यह केवल प्रतिस्थापन उपकर है और इससे कुल राजस्व में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। यह सीमा शुल्क की भरपाई के लिए लगाया गया है।

लेकिन राज्यों को राजस्व में कम हिस्सेदारी मिलेगी।
यह कृषि कोष में लगातार धन की आवक के लिए उठाया गया कदम है। यह केंद्रीय सड़क एवं बुनियादी ढांचा उपकर के समान बन गया है। हम चाहते हैं कि कोष में पर्याप्त मात्रा में धन आए। इस कदम से लगातार धन आता रहेगा। हां, इससे राज्यों के लिए उपलब्ध संसाधनों में थोड़ी कमी आएगी।

फिर भी कृषि के लिए आवंटन वित्त वर्ष 2022 में चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान के मुकाबले महज दो फीसदी बढ़ा है?
कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ा कार्यक्रम- पीएम किसान है, जिसके लिए आवंटित धनराशि वित्त वर्ष 2021 में पूरी खर्च नहीं हुई। इसलिए कुछ पैसे को वापस लौटाया गया। हमने इस बजट में वास्तविकता के नजदीक रहने की पूरी कोशिश की है। भले ही यह प्राप्तियां हों या खर्च। हालांकि अगर और राज्यों के जुडऩे से पीएम किसान के लिए मांग बढ़ती है तो हम अतिरिक्त प्रावधान करेंगे।

चालू वर्ष के संशोधित अनुमान और अगले साल के बजट अनुमानों में खाद्य सब्सिडी के आवंटन में अत्यधिक बढ़ोतरी भारतीय खाद्य निगम द्वारा लिए गए राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा ऋणों को लौटाने की वजह से हुुई है। केंद्र ने राजकोष पर दबाव वाले वर्ष में इन्हें बहीखाते में क्यों शामिल किया?
यह कभी न कभी किया ही जाना था। पिछले साल पहली बार हमने इसका खुलासा किया था। इस साल हमने राजस्व और व्यय को हकीकत के नजदीक रखने की कड़ी कोशिश की है।

क्या यह बजट महंगाई बढ़ाएगा क्योंकि इसमें पूंजीगत व्यय के जरिये वृद्धि को बढ़ाने के कीन्स के सिद्धांत को अपनाया गया है?
अगर आपूर्ति पर्याप्त नहीं होती तो यह महंगाई को बढ़ाता। सवाल यह है कि अर्थव्यवस्था में अनुपयोगी क्षमता का स्तर क्या है। इसलिए बड़े पैमाने पर बेरोजगारी है। सेवा और वस्तु क्षेत्र में काफी क्षमता अनुपयोगी पड़ी है। उस स्थिति में वृहद आर्थिक फंडामेंटल यह संकेत देंगे कि इससे महंगाई नहीं बढऩे के आसार हैं। वाहन जैसे कुछ क्षेत्र पूरी क्षमता पर काम कर रहे हैं। लेकिन अगर उन क्षेत्रों में हम माना कि इस्पात का ही आयात करते हैं तो उससे महंगाई बढऩे के आसार नहीं हैं।

पेट्रोलियम सब्सिडी आवंटन में तेजी स कमी आई है।
गैस की कीमतें और पेट्रोल पूरी तरह आपस में नहीं जुड़े हैं। पिछले 18 महीनों के दौरान गैस की कीमतों में अहम गिरावट आई है, जो सब्सिडी में गिरावट के रूप में दिख रही है। हमें नहीं लगता कि अगले साल गैस की कीमतों में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी होगी, इसलिए सब्सिडी में आंशिक कमी गैस की कीमतों में बदलाव से हुई है।

First Published - February 4, 2021 | 11:46 PM IST

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