राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कांग्रेस के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को दिल्ली और देशभर में महंगाई और जीएसटी के खिलाफ रैली निकाली और विरोध प्रदर्शन किए। पुलिस ने इन नेताओं को हिरासत में ले लिया। इन सभी ने विरोध के प्रतीक के रूप में काले कपड़े पहने हुए थे।
पुलिस प्रियंका वाड्रा को 24 अकबर रोड स्थित कांग्रेस कार्यालय के पास लगाए गए बैरिकेड से दूर खींच ले गई और उन्हें पुलिस वैन में धकेल दिया। उन्होंने कहा ‘सरकार सोचती है कि वह हमें चुप करा सकती है। वह सोचती है कि अपना जोर दिखाकर वह हमें चुपचाप बसों में बिठा सकती है, लेकिन हमारे पास एक मकसद है।’
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि ऊंचे दाम लोगों को हताशा में धकेल रहे हैं और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने सभी मित्रों को सहायता पहुंचाई है। प्रियंका को पुलिस के साथ बहस करते हुए देखा गया। पुलिस ने उनसे विरोध खत्म करने और घर जाने का अनुरोध किया, क्योंकि प्रदर्शन के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई थी। अलबत्ता वह सड़क पर ही बैठ गईं और उठने से मना कर दिया। फिर उन्हें खींचकर पुलिस वाहन में ले जाया गया।
देश में अन्य जगहों पर हो रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछार छोड़ीं। चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा में कांग्रेस के सदस्यों ने जब राजभवन की ओर मार्च किया, तो वे पानी में भीगे हुए थे। मुंबई में कांग्रेस नेताओं को आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया गया।
संसद के दोनों सदनों में कांग्रेस सदस्यों ने जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग और ‘सरकार लोगों के मसलों की अनदेखी’ कर रही है, के मुद्दे पर हंगामा किया और कार्यवाही स्थगित कर दी गई। काले कपड़े पहनीं पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संसद के बाहर सांसदों का नेतृत्व किया तथा राहुल गांधी और अन्य सांसदों के साथ नारेबाजी की। जब सांसद राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़े, तो उन्हें बसों में धकेल दिया गया। राहुल और उनके कुछ सहयोगियों को किंग्सवे कैंप पुलिस स्टेशन ले जाया गया। बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया।
संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले सुबह साढ़े नौ बजे राहुल ने संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया, जहां उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने देश को तबाह कर दिया है। उन्होंने कहा कि करीब एक सदी पहले से देश ने ईंट दर ईंट जो निर्माण किया है, उसे आपकी आंखों के सामने तबाह किया जा रहा है। जो कोई भी तानाशाही की शुरुआत के इस विचार के खिलाफ खड़ा होता है, उस पर बर्बरता से हमला किया जाता है, जेल में डाल दिया जाता है, गिरफ्तार किया जाता है और पीटा जाता है।
उन्होंने कहा कि सभी वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं, लेकिन वित्त मंत्री को यह नहीं दिख रहा है। शायद उन्हें बताया गया है कि बस बातें करते रहो। किसी भी गांव, शहर में चले जाइए वहां के लोग आपको बताएंगे कि बढ़ती कीमतें आजीविका के लिए बड़ी समस्या है। वास्तविकता एक बात है और धारणा दूसरी। सरकार की कोशिश है कि वह ऐसी धारणा बनाए कि सब ठीक है।
गांधी ने कहा कि संस्थानों को कमजोर किया जा रहा है। विपक्ष लोकतंत्र में संस्थानों के समर्थन के लिए लड़ता है। न्यायायिक संरचना, चुनावी संरचना और मीडिया विपक्ष इनके आधार पर ही खड़ा है। इन सभी को सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया है। आज देश की कोई संस्था स्वतंत्र नहीं है।
उन्होंने कहा कि वित्तीय एकाधिकार और संस्थागत एकाधिकार है, इसलिए विपक्ष प्रभावी नहीं है। भाजपा के इस दावे पर कि वह चुनावें जीत रही है, उन्होंने कहा,’ हिटलर भी चुनाव जीतता था। उसने सभी संस्थानिक ढांचे को अपने साथ कर लिया था। संस्थाओं की शक्ति मुझे दीजिए मैं आपको दिखाता हूं कि चुनाव कैसे जीता जाता है।’ नैशनल हेरल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से प्रवर्तन निदेशालय ने क्या-क्या सवाल पूछे यह पूछे जाने पर राहुल ने कहा कि सवाल जो आप चाहते हैं, उसमें वैसा कुछ भी नहीं है। यह सभी जानते हैं।
राहुल ने कहा, ‘मेरा काम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारों का विरोध करना है और जितना मैं यह करूंगा उतना ही मुझपर हमला होगा। इससे मैं खुश हूं, मुझपर हमला करें।’ राहुल ने कहा कि सरकार उन्हें डराना जारी रख सकती है इससे उनपर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
कुछ घंटे बाद राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने स्पष्ट किया कि जब सदन का सत्र चल रहा हो तो सासंदों को आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी से कोई छूट नहीं है। वे कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा जारी किए गए समन से बच नहीं सकते हैं। हालांकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हंगामे के कारण शुक्रवार को राज्यसभा की कार्यवाही आधा घंटे के लिए सुबह 11.30 बजे तक बाधित रही है। सरकार द्वारा केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग करने का आरोप लगाकर दस कांग्रेसी सदस्य आसन के समीप आकर हंगामा करने लगे। उन्होंने आरोप लगाया कि गुरुवार को संसद के कामकाज के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने खड़गे को समन देकर बुलाया और फिर अपमानित किया। नायडू ने कहा कि सांसदों के पास कुछ विशेषाधिकार होते हैं। किसी दीवानी मामले में सत्र या समिति की बैठक शुरू होने के 40 दिन पहले और 40 दिन बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। लेकिन आपराधिक मामलों में आमजन जैसा ही सांसदों के साथ भी व्यवहार किया जाता है। नायडू ने स्पष्ट किया कि इसका सीधा मतलब हुआ कि संसद सदस्यों को सत्र के दौरान किसी भी आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी से छूट नहीं है।
पार्टी आगे की रणनीति बनाने के लिए सप्ताहांत में बैठकें करेंगी। तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी भी इस दौरान दिल्ली में सोनिया गांधी से मिल सकती हैं।