केंद्र सरकार ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में कहा है कि 1984 में भोपाल गैस रिसाव से हुई मौतों और घायलों के लिए वह डाऊ केमिकल्स, यूनियन कार्बाइड व अन्य से 7,500 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग को लेकर अपनी 12 साल पुरानी उपचारात्मक याचिका को आगे बढ़ाने को इच्छुक है। यूनियन कार्बाइड ने पहले ही 3,900 करोड़ रुपये से ज्यादा भुगतान कर दिया है। समीक्षा याचिका खारिज कर दी गई है, ऐसे में पीड़ितों के सामने उपचारात्मक याचिका अंतिम विकल्प है।
अटार्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने न्यायमूर्ति संजय किसन कौल के अध्यक्षता वाले 5 न्यायधीशों के पीठ से कहा कि त्रासदी हर रोज सामने आ रही है और पीड़ितों को लावारिस नहीं छोड़ा जा सकता। वरिष्ठ वकील संजय पारिख और वकील करुणा नंदी ने पीड़ितों की तरफ से कहा कि फैसला करने के पहले आपदा के पीड़ितों की बात सुनी जानी चाहिए।
अटार्नी जनरल ने कहा कि सरकार इस मामले को आगे बढ़ाना चाहती है और घटना के बारे में सूचना एकत्र कर न्यायालय के समक्ष पेश किया जाएगा। बहरहाल नंदी ने कहा कि पीड़ितों के लिए सिर्फ मुआवजा देने का मसला नहीं है बल्कि इस मामले में कंपनी की आपराधिक भूमिका की भी जांच किए जाने की जरूरत है।