महाराष्ट्र में रियल एस्टेट नियमन एवं विकास अधिनियम, 2016 के तहत आने वाले प्राधिकरण महारेरा ने समय से काम न पूरा करने के कारण राज्य की 644 परियोजनाओं को काली सूची में डाल दिया है। प्राधिकरण ने इन पर खरीदारों को फ्लैट बेचने से रोक दिया है। ये परियोजनाएं 2017 और 2018 में पूरी करके ग्राहकों को सौंपी जानी थीं।
इनमें ज्यादातर परियोजनाएं स्थानीय डेवलपर विकसित कर रहे थे। सूची में एक बड़ा नाम एचसीसी के परवर्तन वाली लवासा कॉर्पोरेशन परियोजना है, जिसका पंजीकरण 2017 में खत्म हो गया।
महारेरा ने एक हाल के नोटिस में कहा, ‘इन परियोनजनाओं की महारेरा पंजीकरण की वैधता खत्म हो गई है। प्रवर्तकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी तरीके से किसी प्लॉट, अपार्टमेंट या भवन के प्रचार, विपणन, बुकिंग, बिक्री या बिक्री की पेशकश या लोगों को खरीदने के लिए किसी तरह से आमंत्रित करने की कवायद न करें।’
काली सूची में डाली गई परियोजनाओं में करीब 43 प्रतिशत या 274 परियोजनाएं सिर्फ मुंबई महानगर क्षेत्र में हैं। एनॉराक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसके बाद 29 प्रतिशत या 189 परियोजनाएं पुणे में, शेष 28 प्रतिशत या 181 परियोजनाएं नागपुर, नासिक, कोल्हापुर, औरंगाबाद, सातारा, रत्नागिरि और सांगली में हैं।
इनमें से कम से कम 85 प्रतिशत या 547 परियोजनाएं छोटे आकार की हैं, जिनमें प्रति परियोजना औसतन 70 फ्लैट हैं। इसमें कहा गया है, ‘दुर्भाग्य से इन 644 परियोजनाओं में से 80 प्रतिशत प्लैट पहले ही बिक चुके हैं। इन कुल 644 परियोजनाओं में 16 प्रतिशत 2017 में पूरी की जानी थीं, जबकि 84 प्रतिशत को 2018 तक पूरा किया जाना था।’
एनॉराक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘महारेरा के इस कदम ने चूक करने वाले डेवलपरों को कड़ा संदेश भेजा है, जो परियोजनाओं में देरी कर रहे हैं। मकानों के खरीदारों को 2017 या 2018 से अपने मकान पर कब्जा पाने का इंतजार करना पड़ रहा है।’ पुरी ने कहा कि महारेरा ने कुछ साफ नहीं किया है कि ये परियोजनाएं कब और किस तरह से पूरी की जाएंगी। मकानों के खरीदारों के पास कोई विकल्प नहीं है और उन्हें और स्पष्टता आने तक इंतजार करना होगा।
मुंबई महानगर में कम से कम 496 परियोजनाएं (2014 या इसके पहले शुरू की गईं) हैं, जिनमें देरी हो रही है या उनका काम अटका हुआ है, जबकि पुणे में इस तरह की 171 परियोजनाएं हैं।
अब तक 29,884 रियल एस्टेट परियोजनाएं महारेरा के तहत राज्य में पंजीकृत हुई हैं, जिनमें से 24 प्रतिशत या 7,245 परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं।