संपत्ति बेचकर कर्ज घटाने पर जोर देंगे बड़े डेवलपर

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 3:29 AM IST

भारतीय रियल एस्टेट कंपनियां अप्रत्याशित वित्तीय चुनौतियों से जूझ रही हैं। कुछ बड़े डेवलपर अपनी वित्तीय जरूरतें पूरी करने के लिए किराया आय से संबंधित व्यावसाय या अन्य परिसंपत्तियां बेच रहे हैं।
 
इस प्रयास में बेंगलूरु के प्रेस्टीज गु्रप का नाम भी जुड़ गया है। प्रेस्टीज अपना किराया आय व्यवसाय अमेरिका की वित्तीय दिग्गज ब्लैकस्टोन को बेचने के लिए बातचीत कर रही है। रियल एस्टेट विश्लेषकों का कहना है कि कई संपत्ति डेवलपरों ने वित्तीय जरूरतें पूरी करने के लिए किराये से संबंधित परिसंपत्तियां बेचकर कोष जुटाने पर जोर दिया है।
नकदी किल्लत से जूझ रहे कुछ बिल्डर अपनी अधूरी पड़ी परियोजनाओं की बिक्री के लिए बैंकों और वित्तीय लेनदारों से बातचीत कर रहे हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि डेवलपरों ने तेजी के वर्षों में अपने पोर्टफोलियो बढ़ाने के लिए भारी-भरकम कर्ज लिया था। जेएलएल के मुख्य कार्याधिकारी और कंट्री हेड रमेश नायर ने कहा, ‘मौजूदा बिकवाली मूल रूप से ऋण स्तरों को पुन: संतुलित करने के लिए है। वाणिज्यिक रियल एस्टेट चक्र अपने चरम पर है, किराया वृद्घि और वर्क फ्रॉम होम जैसे संबंधित सेगमेंट आदि की वजह से किराये में संशोधन कारगर साबित नहीं हो रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘अच्छा प्रतिफल पुराने पोर्टफोलियो के बजाय वृद्घि के चरण के दौरान नए पोर्टफोलियो के निर्माण में है।’
प्रेस्टीज के अलावा, रहेजा डेवलपर्स, हीरानंदानी, और डीएलएफ ने भी अपने किराया आय व्यवसाय निवेशकों को बेचने का विकल्प अपनाया है। रियल एस्टेट कंपनियों को परामर्श मुहैया कराने वाले एक बैंकर ने कहा, ‘माइंडस्पेस बिजनेस पाक्र्स रीट की नई पेशकश  को निर्गम कीमत के मुकाबले 10.5 प्रतिशत की बढ़त हासिल होने से निवेशकों का भरोसा मजबूत हुआ है।’
बैंकर ने कहा, ‘रियल एस्टेट कंपनियों के लिए आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के लिए मांग नहीं है, क्योंकि निकट भविष्य में उद्योग के सुधार की कोई संभावना नहीं दिख रही है। इसलिए अच्छा तरीका वाणिज्यिक परिसंपत्तियों की बिक्री करना है, चाहे यह रीट जारी करके हो या संपूर्ण बिक्री के जरिये।’
विश्लेषकों का कहना है कि आगामी महीनों में कई और डेवलपर अपने नकदी प्रबंधन के लिए किराया आय व्यवसाय बेचने के लिए आगे हाएंगे। उद्योग के लिए इस समस्या का समाधान महत्वपूर्ण हो गया है।  भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी ताजा नीतिगत बैठक में कहा कि क्षेत्र में निर्माण गतिविधि धीमी बनी हुई है, जबकि सीमेंट उत्पादन घटा है और तैयार इस्पात खपत जून में काफी कम हो गई थी।
रियल एस्टेट कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारियों का कहना है कि सरकार को बड़े कदम उठाने चाहिए, जिनमें संपूर्ण परियोजनाओं में निवेश के लिए 100 प्रतिशत एफडीआई नीति जैसे कदम जरूरी है।
टाटा रियल्टी ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी संजय दत्त ने कहा, ‘रियल एस्टेट सेक्टर पहले से ही कई चुनौतियों से जूझ रहा था और अब कोविड-19 से संबंधित मुद्रास्फीति दबाव और आपूर्ति की समस्याओं ने मुसीबत और बढ़ा दी है। हमें उम्मीद है कि सरकार रियल एस्टेट क्षेत्र में सिंगल-विंडो क्लियरेंस व्यवस्था और उद्योग का दर्जा दिए जाने जैसी बहुप्रतीक्षित जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करेगी।’

First Published : August 13, 2020 | 12:36 AM IST