अब तक आपने फैशन मॉल के बारे में सुना होगा, जहां आप लेटेस्ट फैशन के कपड़े खरीद सकते हैं।
आपने फूड मॉल के बारे में भी सुना होगा, जहां आप तरह-तरह के व्यंजनों का लुत्फ उठा सकते हैं। पर हमें नहीं लगता कि आपने इससे पहले फिश मॉल के बारे में नहीं सुना होगा। दरअसल, यह योजना है राष्ट्रीय मत्स्यपालन विकास बोर्ड (एनएफडीबी) की। इसके तहत वह इन मॉल्स को खोलेगी। यहां मछली और दूसरे समुद्री खानों की खास तौर पर मार्केटिंग की जाएगी।
बोर्ड ने इस स्कीम को शुरू करने का फैसला कम कीमत पर मछुआरों को ज्यादा सुविधाएं मुहैया करने के लिए किया है। इस स्कीम से मछुआरों की बाजार तक पहुंचने में मदद मिलेगी, जिससे मुल्क मे मछलियों की बिक्री बढ़ेगी। ये मॉल देश के कई शहर और उनके आस-पास बसे इलाकों में खोले जाएंगे। इस स्कीम के तहत बोर्ड मछुआरों को मछलियों की नीलामी, पैकेजिंग, स्टोरेज और प्रोसेसिंग की सुविधा करेगा।
और तो और, बोर्ड इस धंधे से जुड़े लोगों को मछली के तरह-तरह के व्यजंन बनाने में भी मदद करेगी। एनएफडीबी की गवर्निंग बॉडी के सदस्य डॉ. जी.के.भांजी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि,’बोर्ड इस मामले में मत्स्यपालकों और मछुआरों की काफी मदद करेगा। मेरी मानें तो इस तरह के मॉल्स से मछली उद्योग को संगठित होने में काफी मदद मिलेगी।
साथ ही, इससे गरीब मछुआरों का मुनाफा भी बढ़ेगा क्योंकि इस योजना में बिचौलियों के लिए किसी तरह की जगह नहीं रखी गई है।’ हालांकि इस योजना के तहत मॉल के लिए जमीन मुहैया करने की जिम्मेदारी मछुआरों की सोसाइटियों को ही सौंपी गई है। डॉ. भांजी ने बताया कि,’हम मछुआरों के बीच हमारे विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में इस वक्त जागरूकता फैलाने में लगे हुए हैं।
आज की तारीख में हमारे पास एक समय में कम से कम 300 मछुआरों को ट्रेनिंग देने की क्षमता है।’ एनएफडीबी की स्थापना पिछले साल सितंबर में की गई। कृषि मंत्रालय के तहत आने वाले इस बोर्ड का मकसद मछुआरों की हालत को सुधारना है। इसने हाल ही में मुंबई में एक सी-फूड फेस्टीवल का आयोजन भी किया था।
केंद्र सरकार ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत मत्स्यपालन से संबंधित अलग-अलग स्कीमों के लिए 2,100 करोड़ रुपए की मोटी-ताजी रकम जारी की है। इसमें से कुछ पैसे फिश मॉल स्कीम पर भी खर्च किए जाएंगे। वैसे, फिश मॉल बनाने से पहले मछुआरों को बैंक गारंटी पेश करनी पड़ेगी।