टीके या संक्रमण से 9 माह बचाव

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 10:31 PM IST

प्राकृतिक संक्रमण और टीकाकरण के बाद 9 महीने से भी अधिक समय तक शरीर में सार्स-कोव-2 के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता रहती है। देश की शीर्ष चिकित्सा अनुसंधान संस्था ने आज यह जानकारी दी। इसी आधार पर अतिरिक्त या बूस्टर खुराक देने की नीति तय होने की संभावना है। केंद्र पहले ही संकेत दे चुका है कि स्वास्थ्यकर्मी, अग्रिम पंक्ति के कर्मचारी और पहले से किसी बीमारी वाले वरिष्ठ नागरिक टीके की दूसरी खुराक के 9 महीने बाद तीसरी खुराक लगवा सकते हैं।
टीकाकरण पर नीतिगत फैसला इसलिए अहम है क्योंकि देश में ओमीक्रोन के मामले बढऩे लगे हैं। अब तक ओमीक्रोन के 961 मामले आए हैं, जिनमें से 320 लोग ठीक हो चुके हैं।
साप्ताहिक कोविड-19 मामलों और संक्रमण दर के आधार पर महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, दिल्ली, कर्नाटक तथा गुजरात में हालात चिंताजनक हैं। इस समय देश के 8 जिलों में साप्ताहिक संक्रमण दर 10 फीसदी से अधिक है। देश में कोविड-19 के प्रसार की संकेतक आर नॉट वैल्यू 1.22 है, इसलिए मामले भी बढ़ रहे हैं। देश में करीब 49 दिन बाद एक दिन में कोविड-19 के 13,000 से अधिक नए मामले आए हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महासचिव बलराम भार्गव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वायरस से तीन तरह की रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा होती है, जो एंटीबॉडी मीडिएटेड, सेल मीडिएटेड और इम्यूनोलॉजिकल मेमरी हैं। केवल रोग प्रतिरोधक टाइटर को मापने से पूरी सुरक्षा का पता नहीं चलता है। संक्रमण के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता करीब 9 महीने बनी रहती है।
भार्गव ने वैश्विक संदर्भों का हवाला देते हुए कहा कि अमेरिका के अध्ययन दर्शाते हैं कि सार्स-कोव-2 के प्राकृतिक संक्रमण के बाद रोग प्रतिरोधक मेमरी आठ महीने से अधिक बनी रही। इसी तरह चीन के एक अध्ययन में कहा गया है कि संक्रमण के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता और कोशिका प्रतिक्रिया करीब 9 महीने तक बनी रहती है। अमेरिका में अध्ययनों में पाया गया है कि ज्यादातर मरीजों में संक्रमण के 13 महीने बाद भी सार्स-कोव-2 रोग प्रतिरोधक क्षमता बरकरार थी। इजरायल, ब्रिटेन, डेनमार्क, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और इटली के 10 अध्ययनों की समीक्षा से पता चलता है कि 10 महीनों के बाद दोबारा संक्रमण में 90 फीसदी से अधिक कमी आती है।
उन्होंने कहा, ‘इसलिए 8 से 10 महीने सुरक्षा की सामान्य अवधि है। हम मोटा अनुमान लेकर कह रहे हैं कि व्यक्ति करीब 9 महीने सुरक्षित रहता है।’ भारत में 2020 और 2021 में संक्रमण होने वाले लोगों पर जिन अध्ययनों में नजर रखी गई, वे भी वैश्विक अध्ययनों के दावों की पुष्टि करते हैं।
आईसीएमआर, पुणे द्वारा 284 लोगों पर किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि संक्रमण के बाद 8 महीने से अधिक समय तक संक्रमण को निष्प्रभावी बनाने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। वहीं आईसीएमआर, चेन्नई के अध्ययन में दर्शाया गया है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता 7 महीने से अधिक बनी रही। मुंबई में स्वास्थ्यकर्मियों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि रोग प्रतिरोधक क्षमता 6 महीने से अधिक बनी रही।
टीकाकरण से भी रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा होती है। भार्गव ने कहा, ‘टीकाकरण के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता करीब 9 महीने बनी रहती है।’

First Published : December 30, 2021 | 11:06 PM IST