सितंबर से पहले 67 करोड़ को लग जाएंगे टीके!

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 2:52 AM IST

वित्त मंत्रालय ने आज कहा कि केंद्र की संशोधित टीकाकरण नीति के तहत इस वर्ष सितंबर से पहले कोविड- 19 के टीकों की 67 करोड़ खुराकें लगा दी जाएंगी। मंत्रालय ने टीकाकरण की मौजूदा रफ्तार को देखते हुए यह अनुमान व्यक्त किया है। मंत्रालय ने कहा कि आने वाले समय में कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर की आशंका से निपटने के लिए टीकाकरण अभियान में तेजी लाना बेहद जरूरी है। मंत्रालय के अनुसार इससे आर्थिक गतिविधियां भी तेज करने में खासी मदद मिलेगी।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने जून की अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा, ‘टीकाकरण की तेज रफ्तार और राजकोषीय राहत एवं मौद्रिक नीति के तहत किए गए उपायों से अर्थव्यवस्था को कोविड महामारी की दूसरी लहर के असर से बाहर आने में मदद मिली।’
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत में टीकाकरण की दैनिक औसत दर जून में दोगुनी होकर 41.3 लाख हो गई जो मई में 19.3 लाख थी। मंत्रालय के अनुसार 21 जून को नई टीकाकरण नीति प्रभावी होने के बाद टीके लगाने की रफ्तार तेज हुई है। मंत्रालय ने कहा कि अब तक 36 करोड़ लोगों को टीके की खुराक दी जा
चुकी है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘देश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने और स्वास्थ्य ढांचे की खामियां दूर कर अर्थव्यवस्था के तेजी से आगे बढऩे का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है। अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का यह सबसे कारगर जरिया होगा।’
मंत्रालय ने असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और झारखंड जैसे राज्यों को टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने की सलाह दी है। मंत्रालय ने कहा कि अधिक से अधिक लोगों को टीका लगाकर ही मांग में तेजी लाई जा सकती है। मंत्रालय के अनुसार हाल में किए गए राहत उपायों से पूंजीगत व्यय में और तेजी आएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के क्रियान्वयन और सार्वजनिक-निजी साझेदारी एवं परिसंपत्तियों की बिक्री से पूंजीगत व्यय बढ़ाने में सरकार को आसानी होगी।
सरकार ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर का असर कम करने के लिए 6.29 लाख करोड़ रुपये के उपायों की घोषणा की थी। मंत्रालय ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक भी मौद्रिक नीतियों और अन्य उपायों से बाजार और महामारी से प्रभावित क्षेत्रों को राहत पहुंचाने में सरकार का साथ दे रहा है।
यह बात अलग है कि तमाम प्रयासों के बावजूद आर्थिक सुधार एक समान नहीं दिख रहा है। बंदरगाहों पर जहाजों की आवाजाही, हवाई यातायात, पर्चेजिंग मैंनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) और सेवा क्षेत्र जैसे आर्थिक संकेतकों के अनुसार कोविड महामारी की दूसरी लहर से उबरने की रफ्तार तेज नहीं मानी जा सकती।

First Published : July 9, 2021 | 11:26 PM IST