निजी और सरकारी इकाइयों द्वारा जून तिमाही में नई परियोजनाओं में निवेश पिछले साल के आंकड़ो के पार चला गया है। परियोजनाओं पर नजर रखने वाले सेंटर फार मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के मुताबिक जून 2022 को समाप्त 3 महीनों के दौरान नई परियोजनाओं में 3.57 लाख करोड़ रुपये निवेश हुआ है। मार्च 2022 में यह आंकड़ा 5.9 लाख करोड़ रुपये था।
हाल के जून के आंकड़े पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 21.4 प्रतिशत ज्यादा हैं। जून 2021 में 2.94 लाख करोड़ रुपये की नई परियोजनाएं आई थीं। पिछले साल कोविड 19 महामारी की दूसरी लहर का सबसे बुरा दौर देखा गया था। नई परियोजनाएं सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रही हैं, हालांकि अभी सुधार का दौर है।
जून 2022 में 87,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं पूरी की गईं। पिछले साल की तुलना में परियोजना पूरी होने की दर 22.5 प्रतिशत अधिक है। अटकी परियोजनाओं का मूल्य 39.4 प्रतिशत गिरकर करीब 20,000 करोड़ रुपये रह गया है।
इस तरह के निवेश को पूंजीगत व्यय कहा जाता है। इसमें सड़कों व अन्य बुनियादी ढांचों का निर्माण के साथ फैक्टरियां स्थापित करना या नई उत्पादन क्षमता विकसित करना शामिल है। ज्यादा निवेश से आर्थिक वृद्धि में मदद मिल सकती है।
कंपनियां सामान्यतया तब नया निवेश करती हैं, जब मौजूदा क्षमता मांग पूरी करने में सक्षम साबित नहीं होती। महामारी के दौरान सरकार के प्रतिबंधों के कारण क्षमता का उपयोग घटकर 50 प्रतिशत से कम पर पहुंच गया था।
भारतीय रिजर्व बैंक के तिमाही ऑर्डर बुक्स, इन्वेंट्रीज ऐंड कैपेसिटी युटिलाइजेशन सर्वे (ओबीआईसीयूएस) के मुताबिक क्षमता उपयोग बढ़ रहा है। 800 विनिर्माण कंपनियों के सर्वे से पता चलता है कि वे अपनी क्षमता का 70 प्रतिशत इस्तेमाल कर रही हैं। महामारी के वक्त 47.3 प्रतिशत क्षमता का इस्तेमाल हो रहा था, क्योंकि कोरोना की पहली लहर में देश भर में लॉकडाउन था। मौजूदा स्तर दिखाता है कि क्षमता का उपयोग बढ़ रहा है और आने वाली तिमाही में इसमें और तेजी आएगी।
सर्वे में कहा गया है, ‘विनिर्माण क्षेत्र का क्षमता उपयोग कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही में 72.4 प्रतिशत हो गया है, जो इसके पहले की तिमाही में 68.3 प्रतिशत था। इससे विनिर्माण गतिविधियों में सुधार का पता चलता है।’ सबसे नया आंकड़ा दिसंबर 2021 में समाप्त तीन महीनों का है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यह आगे और बढ़ सकता है। उन्होंने कहा, ‘हमारे सर्वे के शुरुआती परिणाम से पता चलता है कि विनिर्माण क्षेत्र का क्षमता उपयोग 2021-22 की चौथी तिमाही में बढ़कर 74.5 प्रतिशत हो गया है, जो 2021-22 की तीसरी तिमाही में 72.4 प्रतिशत था। क्षमता का उपयोग आगे 2022-23 में और बढ़ने की संभावना है।’
विश्लेषकों और निवेशकों के साथ 12 मई, 2022 के कंपनी परिणाम के बाद की चर्चा करते हुए लार्सन ऐंड टुब्रो के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक एसएन सुब्रमण्यन ने कहा कि कंपनी का बैलेंस शीट अब नई परियोजनाओं में निवेश के हिसाब से बेहतर स्थिति में है।
उन्होंने कहा, ‘कुछ बैलेंस शीट जो बहुत खराब थीं, अब बेहतर स्थिति में हैं और अर्थव्यवस्था में वृद्धि के साथ मैं उम्मीद करता हूं कि निजी निवेश शुरू हो जाएगा।’