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Strait of Hormuz क्यों है इतना अहम और इसके बंद होने से भारत को कितना खतरा है

अगर ईरान ने Strait of Hormuz बंद किया तो दुनियाभर की तेल सप्लाई प्रभावित होगी और भारत में महंगाई बढ़ सकती है, जानिए इस रास्ते का भूगोल, रणनीतिक महत्व और भारत पर संभावित असर

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- June 23, 2025 | 9:08 AM IST

Strait of Hormuz: पश्चिम एशिया में तनाव और अमेरिका-ईरान टकराव के बीच दुनिया की सबसे अहम तेल सप्लाई लाइन हॉर्मुज़ की खाड़ी को लेकर खतरा गहराता जा रहा है। ईरान की संसद ने इस जलमार्ग को बंद करने की अनुमति दे दी है। अब अंतिम फैसला ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल को लेना है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने बीते रविवार को ईरान के तीन सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमला किया। उसके बाद से क्षेत्र में तनाव चरम पर है। माना जा रहा है कि ईरान अब इसका जवाब समुद्री रास्ते को रोककर दे सकता है।

ईरान बोला हमारे पास कई विकल्प हैं

ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अरकची ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनके पास कई विकल्प मौजूद हैं। उन्होंने हॉर्मुज़ को लेकर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया, लेकिन उनका यह बयान काफी कुछ संकेत देता है। इस बीच अमेरिका ने चीन से अपील की है कि वह ईरान को इस कदम से रोके। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा कि चीन की ऊर्जा ज़रूरतें भी हॉर्मुज़ पर निर्भर हैं। अगर ईरान यह रास्ता बंद करता है, तो यह उसके लिए भी आर्थिक आत्महत्या जैसा होगा।

क्या है हॉर्मुज़ की खाड़ी

हॉर्मुज़ की खाड़ी पर्शियन खाड़ी को ओमान की खाड़ी से जोड़ती है, जो आगे अरब सागर में खुलती है। यह रास्ता ईरान और ओमान की सीमा के भीतर है। यह दुनिया के सबसे अहम समुद्री व्यापार मार्गों में से एक है। यह जलमार्ग केवल 33 किलोमीटर चौड़ा है और जहाज़ों के आने-जाने की लेन केवल 3 किलोमीटर चौड़ी है। इतनी कम चौड़ाई के चलते यहां जहाजों को रोकना या उन पर हमला करना तकनीकी रूप से आसान है। यही वजह है कि यह इलाका रणनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील माना जाता है।

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दुनिया की तेल सप्लाई का एक चौथाई इसी रास्ते से

अमेरिकी ऊर्जा विभाग के मुताबिक साल 2024 और 2025 की पहली तिमाही में दुनिया के कुल समुद्री तेल व्यापार का एक चौथाई हिस्सा इसी खाड़ी से गुजरा। इसके अलावा दुनिया की कुल तेल और पेट्रोलियम उत्पाद खपत का पांचवां हिस्सा और तरल गैस का एक बड़ा हिस्सा भी यहीं से निकलता है।

अगर यह रास्ता बंद होता है तो इसका कोई समुद्री विकल्प मौजूद नहीं है। कुछ देशों के पास पाइपलाइन का विकल्प जरूर है, लेकिन उनकी क्षमता बहुत सीमित है। उदाहरण के तौर पर सऊदी अरब की ईस्ट वेस्ट पाइपलाइन 50 लाख बैरल प्रतिदिन और यूएई की फुजैरा पाइपलाइन 18 लाख बैरल प्रतिदिन ही ले जा सकती है। जबकि हॉर्मुज़ से रोजाना 2 करोड़ बैरल तक का कारोबार होता है।

क्या वाकई ईरान रास्ता बंद करेगा

अब तक ईरान ने कभी इस खाड़ी को पूरी तरह से बंद नहीं किया है। 1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध के दौरान जरूर जहाजों पर हमले हुए, लेकिन रास्ता नहीं रोका गया। दरअसल, खुद ईरान की अर्थव्यवस्था भी इसी रास्ते से चलती है। ईरान का सबसे बड़ा तेल ग्राहक चीन है, जिसे वह भारी छूट पर कच्चा तेल बेचता है। अगर रास्ता बंद हुआ तो चीन की सप्लाई भी रुक जाएगी। साथ ही, ईरान के सऊदी अरब और यूएई जैसे पड़ोसी देशों से रिश्ते सुधारने की कोशिशें चल रही हैं। ऐसे में वह खुद अपने आसपास के देशों को नाराज़ नहीं करना चाहेगा। लेकिन अब अमेरिका की सीधी सैन्य कार्रवाई के बाद यह डर काफी हद तक खत्म हो चुका है कि रास्ता बंद करने से अमेरिका हमला करेगा। ऐसे में ईरान की तरफ से प्रतिक्रिया की आशंका और बढ़ गई है।

भारत पर पड़ेगा सीधा असर

अमेरिकी ऊर्जा विभाग की रिपोर्ट बताती है कि साल 2024 में हॉर्मुज़ जलमार्ग से होकर गया 84 प्रतिशत कच्चा तेल एशियाई देशों को गया। इसमें भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया शामिल हैं। इन चारों देशों ने मिलकर इस रास्ते से भेजे गए तेल का करीब 69 प्रतिशत हिस्सा खरीदा। भारत अपनी ज़रूरत का लगभग 85 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है। अगर हॉर्मुज़ का रास्ता बंद होता है तो सप्लाई नहीं, बल्कि कीमतों पर सबसे बड़ा असर पड़ेगा। तेल की कीमतें बढ़ेंगी और इसका असर पेट्रोल, डीजल, गैस और ट्रांसपोर्ट से लेकर खाने-पीने की चीजों तक दिखेगा। महंगाई बढ़ेगी और भारत का चालू खाता घाटा बढ़ सकता है। इसके अलावा रुपए की कीमत भी दबाव में आ सकती है।

सरकार के सामने बड़ी चुनौती

अगर हॉर्मुज़ का संकट गहराता है तो भारत को तुरंत रणनीतिक भंडार का इस्तेमाल, वैकल्पिक सप्लाईकर्ताओं से संपर्क और दीर्घकालिक ऊर्जा समझौतों पर काम शुरू करना होगा। तेल कंपनियों और वित्त मंत्रालय को एकजुट होकर स्थिति की निगरानी करनी होगी। सरकार को इस दिशा में पहले से तैयार रहना होगा ताकि अगर हॉर्मुज़ सच में बंद होता है तो भारत की जनता और अर्थव्यवस्था को कम से कम झटका लगे।

First Published : June 23, 2025 | 9:08 AM IST