facebookmetapixel
रूसी तेल पर पश्चिमी देशों का दोहरा रवैया, अमेरिकी दबाव के बीच जयशंकर का पलटवारकोयला मंत्रालय ने भूमिगत कोयला गैसीकरण के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी किएबीमा क्षेत्र की बिक्री बढ़ी पर शुरुआती चुनौतियांइलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम के तहत 5,532 करोड़ रुपये की 7 परियोजनाएं मंजूरडायरेक्ट असाइनमेंट को बैंकों से वरीयता मिलने की संभावनासरकारी बैंकों में विदेशी निवेश 49% तक बढ़ाने की तैयारी, सरकार खोल सकती है दरवाजेलगातार तीन तिमाहियों की बढ़त के बाद कारोबारी धारणा में गिरावटसेबी ने मिल्की मिस्ट डेयरी फूड, क्योरफूड्स इंडिया समेत 5 आईपीओ को मंजूरी दीऋण के सार्वजनिक निर्गम में चुनिंदा निवेशकों को प्रोत्साहन पर विचारDollar vs Rupee: आयातकों की लगातार डॉलर मांग से रुपये में कमजोरी

वॉयस ऑफ ग्लोबल समिट: PM मोदी ने की ग्लोबल लीडर्स ने अपील, कहा- इजरायल-हमास बरतें संयम

प्रधानमंत्री मोदी का बयान इसलिए महत्त्व रखता है कि एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के ज्यादातर देशों ने फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों के पक्ष में विचार व्यक्त किए हैं।

Last Updated- November 17, 2023 | 10:34 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए आतंकवादी हमले की निंदा की है, साथ ही वह इजरायल और हमास के बीच मौजूदा संघर्ष में दोनों पक्षों से संयम बरतने को कह रहा है।

भारत द्वारा आयोजित दूसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में शुक्रवार को ऑनलाइन माध्यम से विदेशी नेताओं की एक बड़ी सभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि भारत ने हमेशा वार्तालाप एवं कूटनीति का समर्थन किया है और टकराव के कारण बेकसूर लोगों की मौत की भर्त्सना की है।

हमास नियंत्रित गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 7 अक्टूबर से इजरायल और हमास के बीच चल रहे सैन्य संघर्ष में अब तक कम से कम 11,500 फिलिस्तीनी जान गंवा चुके हैं और 29,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। मृतकों में लगभग 7,900 बच्चे एवं महिलाएं शामिल हैं।

प्रधानमंत्री मोदी का बयान इसलिए महत्त्व रखता है कि एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के ज्यादातर देशों ने फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों के पक्ष में विचार व्यक्त किए हैं। मोदी ने कहा, ‘इस समूह में 100 से अधिक देश हैं मगर हमारे हित, हमारी प्राथमिकताएं समान हैं।’

ग्लोबल साउथ प्रायः उन देशों के संदर्भ में इस्तेमाल होता है जहां आर्थिक एवं औद्योगिक विकास तुलनात्मक रूप से कम हुए हैं। इन देशों की भौगोलिक उपस्थिति अधिकांश विकसित देशों के दक्षिण में है। हालांकि, ऐसे देशों की परंपरागत सूची अस्पष्ट लगने लगी है क्योंकि ये अब आर्थिक विकास के विभिन्न स्तरों एवं चरणों में पहुंच चुके हैं।

मोदी ने कहा कि दिल्ली में संपन्न जी20 देशों के समूह की बैठक में सभी देशों ने यह स्वीकार किया है कि बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमबीडी) में बड़े सुधारों की जरूरत है और विकासशील देशों के लिए पूंजी की आसान उपलब्धता जरूरी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) तक पहुंच धीमी रही है मगर इसमें तेजी लाने के लिए जी20 देशों ने कार्य योजना तैयार की है। उन्होंने कहा कि इससे कई देशों में गरीबी उन्मूलन के प्रयासों में तेजी एवं मजबूती आएगी।

मोदी ने कहा कि एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य जी20 का मुख्य लक्ष्य रहा है और इसे पूरा करने के लिए पांच बातों परामर्श, सहयोग, संवाद, रचनात्मकता और क्षमता विकास की आवश्यकता होगी।

रिश्तों में मजबूती

भारत ने 12-13 जनवरी को ऑनलाइन माध्यम से वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट का उद्घाटन किया था। इस पहल के अंतर्गत ग्लोबल साउथ के 125 देश एक साझा मंच पर अपने दृष्टिकोण एवं प्राथमिकताएं साझा करने के लिए साथ आए थे।

भारत ने इन देशों के विचारों एवं उनकी प्राथमिकताओं को अपनी अध्यक्षता में जी20 सम्मेलन में शामिल किया था। अफ्रीकी देशों की तरफ से एक प्रमुख मांग यह उठी थी कि उन्हें भी जी20 में प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। इस मांग पर विचार करने के बाद 21 देशों का समूह अफ्रीकी संघ नई दिल्ली सम्मेलन में जी20 का हिस्सा बन गया।

शुक्रवार को अफ्रीकी देशों के नेताओं ने इसके लिए भारत के प्रति आभार व्यक्त किया। मोदी ने अपने संबोधन के दौरान सरकार की विकास एवं ज्ञान साझा करने की पहल (दक्षिण) के अंतर्गत ग्लोबल साउथ उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन किया। मोदी ने पिछले सम्मेलन के दौरान यह केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने ग्लोबल साउथ के देशों के लिए मौसम एवं जलवायु पर निगरानी रखने वाले उपग्रहों की शुरुआत करने का वादा किया था। उन्होंने कहा कि भारत अपना यह वादा पूरा करने के लिए तेजी से कदम उठा रहा है।

मोदी ने इस बात का भी जिक्र किया कि पिछले जी20 सम्मेलन में पहली बार ‘छोटे द्वीप विकासशील राष्ट्रों’ पर ध्यान केंद्रित किया गया था। उन्होंने कहा कि वह इन देशों को ‘बड़े महासागरीय देश’ मानते हैं।

इन नेताओं की रही उपस्थिति

सम्मेलन में नौरू, फिजी और मॉरीशस के नेता मौजूद थे। यह तत्काल मालूम नहीं हो पाया था कि उद्घाटन सत्र में कितने देशों के नेता शामिल हुए थे। सत्र में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो और फिलिपींस के राष्ट्रपति बोंगबोंग मार्कोस भी उपस्थित थे।

उनके अलावा पापुआ न्यू गिनी और किर्गिजस्तान के नेताओं की भी मौदूजगी रही। सत्र में इथियोपिया, तंजानिया, केन्या और मेडागास्कर के नेता भी मौजूद रहे।

भारत के पड़ोसी देशों में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक भी मौजूद थे।

First Published - November 17, 2023 | 10:13 PM IST

संबंधित पोस्ट