संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष मानवाधिकार संस्था ने यूरोप में कुरान जलाने की घटनाओं के मद्देनजर धार्मिक घृणा को रोकने के लिए देशों से और अधिक प्रयास करने का आह्वान करने वाले एक प्रस्ताव को जोरदार तरीके से मंजूरी दे दी। पश्चिमी देश इस पर आपत्ति जता रहे थे और उन्हें आशंका थी कि सरकारों के कड़े कदम अभिव्यक्ति की आजादी को अवरुद्ध कर सकते हैं।
पाकिस्तान और फलस्तीन द्वारा लाए गए एक प्रस्ताव को बुधवार को 12 के मुकाबले 28 वोट से मंजूर कर लिया गया। सात सदस्य मतदान में अनुपस्थित रहे। प्रस्ताव पारित होते ही मानवाधिकार परिषद के सदन में तालियां बजने लगीं। अफ्रीका के कई विकासशील देशों के साथ-साथ चीन और भारत तथा पश्चिम एशियाई देशों ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया है।
यूरोप के कुछ हिस्सों में कुरान जलाये जाने की हालिया घटनाओं की पृष्ठभूमि में यह प्रस्ताव आया है। इस प्रस्ताव में देशों से भेदभाव, शत्रुता या हिंसा को उकसाने वाले धार्मिक घृणा के कृत्यों और उसकी हिमायत को रोकने तथा अभियोजन के लिए कदम उठाने का आह्वान किया गया है।
पाकिस्तान के राजदूत खलील हाशमी ने मतदान के बाद इस बात पर जोर दिया कि इस प्रस्ताव में बोलने की आजादी के अधिकार को अवरुद्ध करने की कोई बात नहीं है बल्कि यह अभिव्यक्ति की आजादी और विशेष जिम्मेदारियों के बीच विवेकपूर्ण संतुलन की कोशिश करता है।