Photo: Reuters/Jeenah Moon
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में कहा कि चीन और भारत रूसी तेल खरीद कर यूक्रेन में रूसी युद्ध के ‘प्राथमिक वित्तपोषक’ हैं। ट्रंप प्रशासन ने रूसी तेल की खरीद के लिए भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क (टैरिफ) लगाया है, जिससे अमेरिका द्वारा भारत पर लगाया गया कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है, जो दुनिया में सबसे अधिक है।
ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र की आम चर्चा में अपने संबोधन में कहा, ‘चीन और भारत रूसी तेल खरीद कर इस युद्ध को वित्तपोषित करने वाले मुख्य देश हैं।’ भारत ने अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्क को ‘अनुचित’ बताया है। भारत ने कहा है कि किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, वह अपने राष्ट्रीय और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा।
खोखले शब्दों से भरा है संयुक्त राष्ट्र, इससे युद्धों के समाधान में मदद नहीं मिलती
संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों और 150 से अधिक वैश्विक नेताओं के सामने, अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने मंगलवार को इस अंतरराष्ट्रीय संगठन की कड़ी आलोचना की। ट्रंप ने कहा कि जिन विभिन्न युद्धों को उन्होंने रुकवाया है, उनके बारे में संयुक्त राष्ट्र ने उनसे संपर्क नहीं किया। ट्रंप ने कहा, ‘मैंने हमेशा कहा है कि संयुक्त राष्ट्र में अपार क्षमता है, लेकिन यह उस क्षमता के आसपास भी नहीं पहुंच पा रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘अधिकतर मामलों में, कम से कम अभी तो, वे बस एक बेहद कड़े शब्दों वाला पत्र लिखते हैं और फिर उस पर अमल नहीं करते। ये खोखले शब्द हैं और खोखले शब्दों से युद्ध हल नहीं होते।’
ट्रंप ने दुनिया भर के देशों के प्रतिनिधियों को यह बताने में जरा भी समय बरबाद नहीं किया कि अमेरिका ‘दुनिया में सबसे गर्म देश है’, और कोई भी देश उसके आसपास भी नहीं है। उन्होंने बाद में कहा कि अमेरिका ‘व्यापार करने के लिए दुनिया का सबसे अच्छा देश’ है। ट्रंप ने दावा किया कि अब अर्थव्यवस्था उनके पहले कार्यकाल की तुलना में ‘बड़ी और बेहतर’ है, जिसे उन्होंने ‘दुनिया के इतिहास में सबसे महान’ बताया।
ट्रंप ने यह दावा भी किया कि अमेरिका को पहले से कहीं ज्यादा ‘सम्मान’ मिला है। संयुक्त राष्ट्र सहित इस तरह के राजनयिक परिवेश में इस तरह की राष्ट्रीय शेखी बघारना आमतौर पर नापसंद किया जाता है। हाल में ब्रिटेन की राजकीय यात्रा के दौरान भी ट्रंप ने अपनी टिप्पणियों में यही रुख अपनाया था।
ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण के शुरुआती मिनटों में कम से कम दो बार पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन पर निशाना साधा। ट्रंप ने डेमोक्रेटिक प्रशासन और बाकी दुनिया, दोनों की तुलना में अपने नेतृत्व में अमेरिका के प्रदर्शन पर शेखी बघारने की रणनीति को जारी रखा है। ट्रंप ने ऐसे दावे करने के लिए अधिकतर सत्यापन योग्य तथ्यों के बजाय सामान्य अतिशयोक्ति का इस्तेमाल किया है। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र में किसी राष्ट्राध्यक्ष द्वारा अपनी घरेलू राजनीति को अंतरराष्ट्रीय विमर्श में शामिल करते हुए भी देखा गया।