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निजी प्रयास बढ़ें: रिपोर्ट

Last Updated- December 11, 2022 | 9:57 PM IST

विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने सोमवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों की पहल बढ़ रही है लेकिन शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए अभी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। डब्ल्यूईएफ की ऑनलाइन दावोस एजेंडा शिखर बैठक के पहले दिन जारी एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक उत्सर्जन में 78 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले 92 देश अब तक राष्ट्रीय स्तर पर शुद्ध-शून्य उत्सर्जन को लेकर प्रतिबद्धता जता चुके हैं। इन देशों में भारत भी शामिल है। यह आंकड़ा इस लिहाज से काफी अहम है कि वर्ष 2019 तक सिर्फ 29 देशों ने ही शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य की प्रतिबद्धता जताई थी।
डब्ल्यूईएफ ने कहा कि वर्ष 2021 में जलवायु परिवर्तन से मुकाबले के लिए कंपनी जगत ने भी खुलकर कदम उठाए लेकिन अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है। अभी तक सिर्फ 20 फीसदी कंपनियों ने ही मूल्य शृंखला में होने वाले उत्सर्जन की पूरी जानकारी देने के साथ इसमें कटौती के लिए कदम भी उठाए हैं। इसके अलावा सिर्फ नौ प्रतिशत कंपनियों ने ही पेरिस समझौते के अनुरूप तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की गिरावट के लिए घोषित वार्षिक उत्सर्जन कटौती का लक्ष्य हासिल कर पाई हैं।
उद्योग जगत की समझ, मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साक्षात्कारों और कंपनियों के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर तैयार इस अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु क्षेत्र के दिग्गज बेहतर प्रतिभा आकर्षित करने के अलावा लागत में बचत और उच्च वृद्धि भी कर सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, नौकरी की तलाश में लगे आधे लोग स्थायित्व को प्राथमिकता दे रहे हैं और परंपरागत उत्पादों के बजाय हरित विकल्पों को लोग तेजी से अपना रहे हैं। कंपनियां बिना कोई अतिरिक्त लागत के अपने उत्सर्जन में करीब 50 फीसदी की कटौती कर सकती हैं। डब्ल्यूईएफ के जलवायु कार्य मंच के प्रमुख एंतोनिया गावेन ने कहा, ‘निजी क्षेत्र का नेतृत्व सरकारों के स्तर पर उठाए जाने वाले साहसिक कदमों के अनुरूप जलवायु उपाय तेज करने के लिए अहम है।’

First Published - January 17, 2022 | 11:49 PM IST

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