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फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने दिए सितंबर में दर कटौती के संकेत, लेबर मार्केट और महंगाई पर जताई चिंता

पॉवेल के इस बयान से पहले निवेशकों में उम्मीद थी कि फेडरल ओपन मार्केट कमेटी की 16-17 सितंबर की बैठक में ब्याज दरों में कटौती हो सकती है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- August 22, 2025 | 8:41 PM IST

US Federal Reserve Rates: अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने शुक्रवार को जैक्सन हॉल में आयोजित फेडरल रिजर्व की सालाना कॉन्फ्रेंस में सितंबर में ब्याज दरों में कटौती की संभावना के संकेत दिए। उन्होंने कहा कि लेबर मार्केट में बढ़ते जोखिमों को देखते हुए नीतिगत बदलाव की जरूरत हो सकती है, हालांकि महंगाई पर भी नजर रखनी होगी। न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, पॉवेल ने अपने बयान में कहा, “बेरोजगारी दर और अन्य लेबर मार्केट के आंकड़े स्थिर हैं, जिससे हम नीतिगत बदलावों पर सावधानी से विचार कर सकते हैं। लेकिन मौजूदा नीति सख्त है, और जोखिमों का संतुलन बदल रहा है, जिसके चलते नीति में बदलाव की जरूरत हो सकती है।”

पॉवेल के इस बयान से पहले निवेशकों में उम्मीद थी कि फेडरल ओपन मार्केट कमेटी की 16-17 सितंबर की बैठक में ब्याज दरों में कटौती हो सकती है। फेडरल फंड्स फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के मुताबिक, निवेशकों ने सितंबर में दर कटौती की संभावना को 75% तक आंका था। लेकिन पॉवेल के बयान ने इन उम्मीदों को पूरी तरह से पूरा नहीं किया। उन्होंने लेबर मार्केट को “अजीब तरह का संतुलन” बताया, जहां कामगारों की मांग और आपूर्ति दोनों में कमी आई है। जुलाई के रोजगार आंकड़ों का जिक्र करते हुए पॉवेल ने कहा कि हाल के महीनों में नौकरियों की बढ़ोतरी पहले की तुलना में काफी कमजोर रही है।

लेबर मार्केट पर बढ़ता जोखिम, महंगाई पर भी नजर

पॉवेल ने चेतावनी दी कि लेबर मार्केट में जोखिम बढ़ रहे हैं, और अगर ये जोखिम हकीकत में बदलते हैं, तो छंटनी बढ़ सकती है और बेरोजगारी तेजी से बढ़ सकती है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों के चलते महंगाई का खतरा अभी बरकरार है। पॉवेल ने बताया कि टैरिफ का असर अब उपभोक्ता कीमतों पर साफ दिख रहा है, लेकिन यह प्रभाव ज्यादा लंबा नहीं रहेगा। फिर भी, उन्होंने आगाह किया कि टैरिफ से महंगाई में लंबे समय तक दबाव बन सकता है, जिसे ध्यान में रखकर नीतियां बनानी होंगी।

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पॉवेल ने फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति के ढांचे में किए गए बदलावों का भी जिक्र किया। 2020 में शुरू की गई नीति में बदलाव करते हुए फेड ने अब यह साफ किया है कि बेरोजगारी दर कम होने पर सिर्फ महंगाई की आशंका के चलते ब्याज दरें नहीं बढ़ाई जाएंगी। लेकिन अगर लेबर मार्केट में ज्यादा गर्मी या अन्य कारणों से महंगाई का खतरा बढ़ता है, तो दरें बढ़ाने पर विचार हो सकता है। फेड ने अपनी नीति से वह शब्दावली भी हटा दी, जिसमें रोजगार के अधिकतम स्तर से कमी को नीति बनाने का आधार बताया गया था। इसके बजाय, अब यह कहा गया है कि रोजगार कभी-कभी अनुमान से ज्यादा हो सकता है, बिना महंगाई का जोखिम बढ़ाए।

पॉवेल ने 2% महंगाई लक्ष्य को बनाए रखने और महंगाई की उम्मीदों को स्थिर रखने की अहमियत पर जोर दिया। साथ ही, 2020 में अपनाई गई उस नीति को हटा दिया गया, जिसमें कम महंगाई के दौर की भरपाई के लिए ज्यादा महंगाई को बर्दाश्त करने की बात थी।

ट्रंप का दबाव और फेड की स्वतंत्रता

पॉवेल का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब राष्ट्रपति ट्रंप और उनके सहयोगी फेडरल रिजर्व पर ब्याज दरें कम करने का दबाव बना रहे हैं। ट्रंप ने हाल ही में फेड गवर्नर लिसा कुक पर दो मॉर्गेज आवेदनों में गलत जानकारी देने का आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की थी। कुक ने जवाब में कहा कि वह इस्तीफा नहीं देंगी। पॉवेल ने अपने बयान में इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा और न ही कॉन्फ्रेंस में सवाल-जवाब का सत्र रखा गया।

पॉवेल के बयान से पहले फेड के कुछ अन्य अधिकारियों ने भी अपनी राय जाहिर की थी। क्लीवलैंड फेड की प्रेसिडेंट बेथ हैमैक ने कहा कि हाल के महंगाई आंकड़े उन्हें इस हफ्ते दर कटौती का समर्थन करने से रोकते। कंसास सिटी फेड के प्रेसिडेंट जेफ श्मिड ने भी सतर्क रुख दिखाया, जबकि अटलांटा फेड के प्रेसिडेंट राफेल बोस्टिक ने इस साल सिर्फ एक दर कटौती को सही बताया। जुलाई के कमजोर रोजगार आंकड़ों के बाद सैन फ्रांसिस्को फेड की प्रेसिडेंट मैरी डेली और मिनियापोलिस फेड के प्रमुख नील काशकारी ने सितंबर में कटौती की संभावना का समर्थन किया था।

First Published : August 22, 2025 | 8:27 PM IST