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रूसी विदेश मंत्री से मास्को में मिले जयशंकर, भारत-रूस ऊर्जा संबंधों पर प्रमुखता से हुई चर्चा

दोनों ने अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक पूर्वी समुद्री गलियारा और उत्तरी समुद्री मार्ग जैसी संपर्क परियोजनाओं की स्थिति की समीक्षा भी की।

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- August 21, 2025 | 9:55 PM IST

विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच गुरुवार को मॉस्को में वार्ता के दौरान भारत-रूस ऊर्जा संबंधों पर प्रमुखता से चर्चा हुई। भारत ने रूस से कहा कि यदि रूसी तेल की कीमतें प्रतिस्पर्धी बनी रहीं तो वह इसकी खरीद जारी रखेगा। जयशंकर के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में लावरोव ने कहा कि दोनों देश रूसी संघ में सुदूर पूर्व और आर्कटिक शेल्फ सहित ऊर्जा संसाधनों के दोहन के लिए संयुक्त उद्यम लागू करने पर विचार कर रहे हैं।

जयशंकर ने कहा, ‘हमारा मानना है कि भारत-रूस संबंध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया में सबसे स्थिर संबंधों में से एक रहे हैं। भू-राजनीतिक समन्वय, नेतृत्व का आपसी संपर्क और लोकप्रिय भावनाएँ इसके प्रमुख प्रेरक कारक बने हुए हैं।’ विदेश मंत्री ने कहा कि व्यापार और निवेश के माध्यम से ऊर्जा सहयोग को बनाए रखना भी महत्त्वपूर्ण है।

लावरोव और जयशंकर की टिप्पणियां अमेरिका द्वारा भारत पर लगातार बनाए जा रहे दबाव और रूसी कच्चे तेल की खरीद के लिए भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगाने के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण हैं। जयशंकर ने बाद में रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से भी मुलाकात की। लावरोव के साथ बैठक के दौरान जयशंकर ने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार का संतुलन रूस के पक्ष में है और दोनों विदेश मंत्री ‘संतुलित और टिकाऊ तरीके से भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार करने पर सहमत हुए, जिसमें रूस को भारत के निर्यात में वृद्धि करना शामिल है।’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘फार्मास्युटिकल्स, कृषि और कपड़ा जैसे क्षेत्रों में रूस को भारतीय निर्यात बढ़ाने से निश्चित रूप से वर्तमान असंतुलन को दूर करने में मदद मिलेगी।’ बुधवार को मॉस्को पहुंचे जयशंकर ने रूस से भारत से अधिक निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए गैर-शुल्क बाधाओं और नियामकीय बाधाओं को शीघ्र दूर करने का आग्रह किया। रूस भारत का चौथा जबकि भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। लावरोव और जयशंकर ने पुतिन की भारत यात्रा पर भी चर्चा की। रूसी राष्ट्रपति दोनों देशों के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए वर्ष के अंत में भारत आएंगे।

द्विपक्षीय व्यापार के बारे में जयशंकर ने कहा कि उर्वरकों की दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए गए हैं। भारतीय कुशल श्रमिक, विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), निर्माण और इंजीनियरिंग में रूस में श्रम जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। इससे आपसी सहयोग और मजबूत हो सकता है।

दोनों ने अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक पूर्वी समुद्री गलियारा और उत्तरी समुद्री मार्ग जैसी संपर्क परियोजनाओं की स्थिति की समीक्षा भी की। जयशंकर ने कहा, ‘ये गलियारे आर्थिक संबंधों को गहरा करने, आवाजाही का समय कम करने और यूरेशिया तथा उससे परे व्यापार संपर्कों का विस्तार करने में मददगार साबित हो सकते हैं।’ विदेश मंत्री ने कहा कि भारत-रूस रक्षा और सैन्य-तकनीकी सहयोग काफी मजबूत है। रूस संयुक्त उत्पादन और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित भारत के ‘मेक इन इंडिया’ लक्ष्यों का समर्थन करता है।

रूस के इजवेस्टिया अखबार के साथ साक्षात्कार में मास्को में भारत के राजदूत विनय कुमार ने कहा कि नई दिल्ली ‘वित्तीय लाभ के आधार पर’ रूसी तेल खरीदना जारी रखेगा। उन्होंने कहा, ‘भारत वही खरीदता है जो उसके लिए सबसे अच्छा है।’

मॉस्को स्थित कसाटकिन कंसल्टिंग के अनुसार, रूस के तेल निर्यात का 37 प्रतिशत हिस्सा भारत का है। रूस तेल खरीद पर भारत को लगभग 5 प्रतिशत की छूट देता है। संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में लावरोव ने कहा, ‘हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में आपसी सहयोग काफी मजबूत है। भारतीय बाजार में रूसी तेल की आपूर्ति के साथ-साथ रूस के सुदूर पूर्व और आर्कटिक जल सहित ऊर्जा संसाधनों को निकालने के लिए संयुक्त परियोजनाएं लागू करने में हमारी गहरी दिलचस्पी है। सामान्य तौर पर हमारी विशेष रूप से रणनीतिक साझेदारी का आर्थिक आधार लगातार मजबूत हो रहा है।’

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि वार्ता के दौरान कजान और येकातेरिनबर्ग में दो नए भारतीय वाणिज्य दूतावास खोलने पर भी चर्चा हुई। इस काम में तेजी लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लावरोव के साथ उनकी बैठक में वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति और बदलते आर्थिक एवं व्यापार परिदृश्य पर भी चर्चा हुई। हमारा लक्ष्य आपसी सहयोग को अधिक से अधिक बढ़ाना है।

First Published : August 21, 2025 | 9:51 PM IST