अंतरराष्ट्रीय

आपूर्ति श्रृंखला में पड़ा व्यवधान, निर्यातकों को हुआ भारी नुकसान

चीन और अरब की खाड़ी के बीच प्राथमिक शिपिंग मार्ग पर औसत स्पॉट दरें एक महीने में 55 प्रतिशत तक बढ़ीं

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ध्रुवाक्ष साहा   
Last Updated- June 22, 2025 | 10:24 PM IST

निर्यात और आयात में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली शिपर्स और लॉजिस्टिक्स फर्में होर्मुज जलडमरूमध्य में वैश्विक शिपिंग गतिविधियों में अव्यवस्था को तत्काल दूर होती नहीं देख रही हैं। क्योंकि अमेरिका ने रविवार को तीन ईरानी परमाणु सुविधाओं पर बमबारी की, जिसके बाद ईरान ने भी पलटवार करते हुए इजरायल में हमले किए और अब उसने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की चेतावनी दी है।

फेडरेशन ऑफ फ्रेट फॉरवर्डर्स एसोसिएशंस इन इंडिया (एफएफएफआई) के अध्यक्ष दुष्यंत मुलानी ने कहा, ‘माल भाड़ा दरें पहले ही बढ़ने लगी हैं। स्थिति अनिश्चित नजर आ रही है। अब जब अमेरिका ने प्रमुख ईरानी परमाणु संयंत्रों पर हमला किया है तो ईरान द्वारा कुछ जवाबी कार्रवाई की जाएगी। इससे स्थिति फिलहाल बिगड़ने की संभावना है। इसका असर तेल की कीमतों और शिपिंग शुल्क पर पड़ेगा। शिपमेंट पर पहले ही युद्ध जोखिम प्रीमियम लगने लगे हैं। इस कारण भारतीय निर्यातकों को हवाई और समुद्री माल भाड़ा दोनों में पहले से ही भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।’

होर्मुज जलडमरूमध्य सबसे महत्त्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों में से एक है। विश्व भर के लिए आपूर्ति किए जाने वाले कच्चे तेल का 20 प्रतिशत यहीं से गुजरता है। यह मार्ग ईरान और इजरायल के बीच छिड़े संघर्ष के कारण लगभग दो सप्ताह से बुरी तरह प्रभावित है।

ओस्लो स्थित बाजार खुफिया फर्म जेनेटा के मुख्य विश्लेषक पीटर सैंड ने कहा, ‘पश्चिम एशिया में संघर्ष गहराने के कारण अरब की खाड़ी से गुजरने वाले समुद्री कंटेनर शिपिंग व्यापार के लिए सुरक्षा उपाय, ईंधन की कीमतें बढ़ने और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों से तेजी से नौकायन के लिए अधिक ईंधन खपत जैसी स्थितियों की वजह से जोखिम और संबद्ध परिचालन लागत बढ़ गई है। इससे शंघाई से अरब की खाड़ी के सबसे बड़े बंदरगाह जेबेल अली के व्यापार पर औसत स्पॉट दरों में एक महीने पहले की तुलना में 55 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है, जो अब 2761 डॉलर पहुंच गई हैं।’ सैंड के अनुसार, अभी माल वाहक यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि अरब की खाड़ी में सेवाओं में बदलाव किया जाए या नहीं। लेकिन यदि संघर्ष और गहराता है तो आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान पैदा होगा और माल भाड़ा दरों में वृद्धि होने की भी संभावना है।

इस बीच घटनाक्रम से अवगत अधिकारियों ने कहा कि भारत के निर्यातकों ने वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय से मध्य एशिया के लिए शिपमेंट को ईरान में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले बंदर अब्बास बंदरगाह के बजाय चाबहार बंदरगाह के माध्यम से ले जाने के लिए कहा है। क्योंकि बंदर अब्बास बंदरगाह युद्ध क्षेत्र की जद में आ रहा है।

जानकारों के अनुसार, मौजूदा संकट जल्दी ही ईंधन लागत में वृद्धि और रुपये पर दबाव के रूप में अपना असर दिखा सकता है। ट्राइटन लॉजिस्टिक्स ऐंड मैरीटाइम के सीईओ जितेंद्र श्रीवास्तव ने कहा, ‘तेल पर दबाव के अलावा, लाल सागर और खाड़ी मार्गों के माध्यम से कंटेनर और थोक कार्गो की आवाजाही को पुनर्व्यवस्थित करने में देरी, उच्च बीमा प्रीमियम और माल ढुलाई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। भारत में निर्यातकों, विशेष रूप से बासमती चावल, फार्मास्यूटिकल्स और इंजीनियरिंग वस्तुओं जैसे क्षेत्रों में देरी और मार्जिन दबाव बढ़ रहा है। ईरान को कुछ शिपमेंट में पहले से ही माल भाड़ा प्रीमियम में 20 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जबकि समग्र समुद्री-हवाई ढुलाई लागत बढ़ रही है।’

ट्रंप टैरिफ प्रभाव की धार कुंद

दूसरी ओर, पिछले दो महीनों में माल भाड़ा और कंटेनर दरों में ट्रंप टैरिफ के कारण जो उछाल देखने को मिली थी, अब उसके कम होने के संकेत मिल रहे हैं। एक महीने से अधिक समय में पहली बार, लंदन स्थित ड्रेवरी के विश्व कंटेनर सूचकांक में 12-19 जून के बीच 7 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 3279 डॉलर प्रति 40 फुट कंटेनर पर आ गया, जो मुख्य रूप से अमेरिका जाने वाले कार्गो की कम मांग के कारण छह सप्ताह के लाभ के बाद हुआ। समुद्री विश्लेषण फर्म के अनुसार, यह इस बात का संकेत है कि अमेरिका में आयात में हालिया वृद्धि, जो उच्च अमेरिकी टैरिफ की अस्थायी रोक के बाद हुई, का स्थायी प्रभाव नहीं पड़ेगा। पहले इसकी आशंका  जताई जा रही थी।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘भारतीय बंदरगाहों से माल भाड़ा दरें अब कम होने के संकेत दिखा रही हैं। इन दरों में कमी व्यापक बाजार समायोजन को दर्शाती है, क्योंकि व्यापार प्रवाह स्थिर होता है और वाहक परिचालन क्षमता हासिल करते हैं। पिछले महीने चार्टरिंग दरों पर भी दबाव आया है। जहाजों की आपूर्ति में वृद्धि और वैश्विक व्यापार गतिविधि में मंदी ने कंटेनर, थोक और टैंकर सेगमेंट में चार्टर कीमतों में गिरावट बढ़ा दी है।’

 सैंड के अनुसार, कुछ अधिक शक्तिशाली शिपर्स अब उन उच्च दरों पर वापस दबाव डाल रहे हैं जिन्हें वे अमेरिका-चीन टैरिफ में कमी के तत्काल बाद भुगतान करने के लिए अधिक इच्छुक थे। सैंड ने कहा, ‘स्पॉट दरें चरम पर हैं, लेकिन चीन से अमेरिकी आयात पर 90 दिन की समय-सीमा 13 अगस्त एवं शेष दुनिया से 9 जुलाई को पूरी होने के बाद आयात दरों में कमी होने पर उतार-चढ़ाव की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।

First Published : June 22, 2025 | 10:24 PM IST