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चीन में कोविड बढ़ने से भारत की बढ़ी चिंता

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श्रेया नंदी, संजीब मुखर्जी
Last Updated- December 22, 2022 | 12:03 AM IST

निर्यातकों को चीन भेजी जाने वाली खेप में आगे और कमी आने की चिंता सताने लगी है, क्योंकि पड़ोसी देश में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं। अगर चीन में व्यापक स्तर पर लॉकडाउन होता है तो भारत के निर्यात के साथ ही आयात पर भी व्यापक असर हो सकता है। व्यापार संगठनों के मुताबिक जोखिम वाले क्षेत्रों में फार्मास्यूटिकल्स, वाहनों के कलपुर्जे और इलेक्ट्रॉनिक सामान और उसके पार्ट्स शामिल हैं।

भारत के शीर्ष कारोबारी साझेदार के रूप में चीन के महत्त्व की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। चालू वित्त वर्ष के शुरुआती सात महीनों में चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और सबसे बड़ा आयात साझेदार रहा है। यह भी महत्त्वपूर्ण है कि वैश्विक व्यापार में चीन की हिस्सेदारी बहुत ज्यादा है और अगर आगे कोई व्यवधान होता है तो इसका असर कई देशों पर पड़ सकता है, जो चीन द्वारा की जाने वाली आपूर्ति पर निर्भर हैं।

बहरहाल जहां तक निर्यात का मसला है, चीन भारत का चौथा निर्यात बाजार है, जबकि इसके पहले के वित्त वर्ष में तीसरा सबसे बड़ा बाजार था। चीन की अर्थव्यवस्था पर कई झटकों ने असर डाला है, जिसमें शून्य कोविड नीति के कारण कम मांग और रियल एस्टेट बाजार में संकट शामिल है।

चीन को होने वाला निर्यात दिसंबर 2021 से ही कम हो रहा है। अप्रैल से अक्टूबर के बीच भारत ने चीन को 8.84 अरब डॉलर की वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात किया है, जो एक साल पहले की तुलना में 37 प्रतिशत कम है। पेट्रोलियम उत्पाद, समुद्री उत्पाद, कार्बनिक रसायन, गैर बासमती चावल के अलावा अन्य कुछ वस्तुओं का चीन को निर्यात होता है। इसी अवधि के दौरान भारत ने चीन से 60 अरब डॉलर से ज्यादा वस्तुओं का आयात किया है, जो एक साल पहले की तुलना में 17 प्रतिशत ज्यादा है।

भारत चीन से प्रमुख रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, इंजीनियरिंग सामान, रसायन और उससे जुड़े उत्पादों, अन्य विनिर्मित वस्तुओं और वस्त्र का आयात करता है।
फेडरेशन आप इडियन एक्सपोर्ट्स ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि चीन व कुछ अन्य देशों में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं, जो वैश्विक व्यापार के लिए खतरे की घंटी है।

सहाय ने कहा, ‘पिछले साल के अंत से ही निर्यात घट रहा है। आगे की गिरावट कम आधार पर होगी। बहरहाल कंपनियां चीन से कच्चे माल की आपूर्ति पर निर्भर हैं और अगर कोई व्यवधान आता है तो अगले दो-तीन महीने के लिए गंभीर चिंता का विषय हो सकता है।’ उन्होंने कहा कि पिछले अनुभव को देखते हुए कंपनों ने भंडारण शुरू कर दिया है।

इंडियन टी एसोसिएशन में सचिव (निर्यात) सुजीत पात्र ने कहा कि चीन में कोविड के बढ़ते मामले चिंता का विषय हैं। पात्र ने कहा, ‘चीन भारत के लिए बड़ा निर्यात बाजार है। हालांकि तीन साल पहले की तुलना में भेजी जाने वाली खेप अब घटकर आधी रह गई है।’

आईग्रेन इंडिया में जिंस विश्लेषक राहुल चौहान ने कहा कि चीन करीब सभी जिंसों का बड़ा आयातक है, जिसमें चावल, कपास, अनाज (मक्का, जौ, गेहूं), सोयाबीन, चीनी, खाद्य तेल जैसे पाम ऑयल सोया ऑयल आदि शामिल हैं और अगर बाजार में कोई व्यवधान आता है तो इससे वैश्विक व्यापार पर व्यापक असर पड़ना स्वाभाविक है।

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चीन भारत से चावल, कपास, मूंगफली, धनिया, जीरा और कई अन्य मसालों, तिल, अरंडी के तेल आदि का आयात करता है। चौहान ने कहा, ‘हम भारत सरकार की ओर से निर्यात व आयात में कुछ प्रतिबंध देख सकते हैं। चीन में कोविड संबंधी प्रतिबंधों के कारण कई सामान की मांग कम है। कारोबारी मान रहे थे कि प्रतिबंध कम होने पर आने वाले दिनों में राहत मिलेगी, लेकिन हाल में कोरोना के मामलों में आई तेजी के कारण सभी निर्यातक व आयातक चिंतित हो गए हैं और अनुमान लगा रहे हैं कि मांग कम हो सकती है।’

कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष अतुल गनात्रा ने कहा कि चीन में देशव्यापी लॉकडाउन और मंदी की वजह से कपास के कारोबार पर कोई असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मांग कम होने की वजह से कपास या धागे और यहां तक कि टेक्सटाइल के निर्यात में पिछले कुछ महीनों में उल्लेखनीय कमी आई है और कोविड के मामले बढ़ने से पहले से खराब स्थिति और खराब नहीं होगी।

First Published : December 21, 2022 | 9:25 PM IST