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भारत और विकासशील देश WTO में कार्बन बॉर्डर टैक्स को देंगे चुनौती

CBAM जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के तहत तय किए गए CBDR के सिद्धांतों के खिलाफ है

Last Updated- June 16, 2023 | 9:08 PM IST
India, South Africa, other developing nations to challenge CBAM at WTO
BS

भारत, दक्षिण अफ्रीका और दूसरे विकासशील देश यूरोपीय संघ के कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। CBAM जलवायु परिवर्तन और कार्बन रिसाव से लड़ने के लिए यूरोपीय संघ (EU) का प्रमुख हथियार है।

मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के मुताबिक विकासशील देश मानते हैं कि CBAM जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के तहत तय किए गए ‘साझा किंतु अलग-अलग प्रकार की जिम्मेदारी’ (CBDR) के सिद्धांतों के खिलाफ है।

CBDR के सिद्धांत के अनुसार पर्यावरण को नुकसान रोकने की जिम्मेदारी तो सभी देशों की है मगर पर्यावरण सुरक्षा के लिए सब बराबर जिम्मेदार नहीं हैं क्योंकि हर देश विकास के अलग-अलग चरण से गुजर रहा है।

इसके अलावा WTO में भी विकासशील देशों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिनके तहत कुछ जिम्मेदारी पूरी करने के लिए इन देशों को अधिक समय दिया गया है। मगर CBAM इन प्रावधानों से मेल नहीं खाता। CBAM ईयू के सभी व्यापारिक साझेदारों पर लागू होगा और किसी को रियायत नहीं मिलेगी।

ऊपर बताए गए सूत्र ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हमने दक्षिण अफ्रीका और दूसरे विकासशील देशों को अपने साथ राजी कर लिया है। हम CBAM को तब तक टलवाने की कोशिश कर रहे हैं, जब तक स्पष्ट नहीं हो जाता कि यह डब्ल्यूटीओ के अनुरूप है। WTO में हम सभी ने माना है कि अलग-अलग देश विकास के अलग-अलग स्तरों पर हैं। पर्यावरण के मामले में साझा मगर अलग-अलग बरताव की जरूरत है। इसलिए CBDR के बुनियादी विचार को ही बिगाड़ा जा रहा है। हमने द्विपक्षीय स्तर पर भी इस बारे में बात की है।’

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EU के अनुसार CBAM कार्बन की अधिकता वाली वस्तुओं के उत्पादन के दौरान निकलने वाले कार्बन की सही कीमत तय करने का जरिया है। उसका कहना है कि यह प्रावधान उसके देशों में आने वाली वस्तुओं पर लागू होगा। EU बाहर के देशों में भी प्रदूषण रहित औद्योगिक उत्पादन को भी बढ़ावा देना चाहता है। CBAM लागू होने की प्रक्रिया अक्टूबर में शुरु हो जाएगी और इसके बाद जनवरी 2026 से कार्बन कर लगाया जाएगा।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (GTRI) ने पहले कहा था कि CBAM भारत के धातु उद्योग के लिए बड़ी चुनौती हो सकता है क्योंकि कैलेंडर वर्ष 2022 में भारत से लौह, इस्पात और एल्युमीनियम के कुल निर्यात का लगभग 27 प्रतिशत हिस्सा यूरोपीय संघ में गया था।

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मलेशिया ने भी WTO में CBAM पर आपत्ति जताई थी। अप्रैल में WTO द्वारा जारी मलेशिया की व्यापार नीति समीक्षा में कहा गया था कि CBAM का उद्देश्य UNFCCC के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन रोकने के EU के लक्ष्य पूरे करना है। मलेशिया ने कहा कि EU इसे ध्यान में रखते हुए UNFCCC और पेरिस समझौते के तहत विकासशील देशों को वित्तीय समर्थन, तकनीकी मदद एवं तकनीक हस्तांतरण सहित क्षमता निर्माण में सहयोग करने के लिए बाध्य है। मलेशिया की प्रतिक्रिया CBAM पर भारत द्वारा उठाए गए प्रश्नों के आधार पर आई थी।

First Published - June 16, 2023 | 9:08 PM IST

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