भारत और अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में आधा दर्जन बकाया विवादास्पद मामलों को सुलझाने और खत्म करने का फैसला किया है। इस निर्णय का मकसद दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करना है।
दोनों पक्ष एक महीने के भीतर डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान पैनल को इसकी सूचना दे देंगे कि इन विवादों को द्विपक्षीय सहमति से निपटाया जा रहा है और दोनों देश एक-दूसरे पर थोपे गए तीन-तीन मामले वापस ले लेंगे। यह फैसला अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडेन के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा के दौरान ही लिया गया है।
इन विवादों का समाधान निश्चित रूप से भारत-अमेरिका संबंधों के लिए मील का पत्थर साबित होगा क्योंकि अमेरिका और भारत अब केवल रणनीतिक वजहों से ही एक-दूसरे के सहयोगी नहीं हैं। अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापार और निर्यात भागीदार है, वित्त वर्ष 2023 में दोनों देशों के बीच व्यापारिक वस्तुओं का द्विपक्षीय कारोबार करीब 128.78 अरब डॉलर तक था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, ‘यह भारत के लिए बहुत बड़ी जीत है और यह दोनों देशों के लिए परस्पर रूप से लाभकारी है। ‘प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमेरिका और भारत दोनों के फायदे के लिए फैसला किया है।’
गोयल ने कहा कि साल के अंत तक भारत और अमेरिका के बीच कोई व्यापार विवाद नहीं होगा क्योंकि ऐसी उम्मीद है कि दोनों पक्ष तब तक लंबित विवाद को हल कर लेंगे। दोनों देशों से जुड़े डब्ल्यूटीओ विवादों में सफलता पाने के अलावा, भारत ने अमेरिका के सामान्य तरजीही तंत्र (जीएसपी) कार्यक्रम के तहत अपना दर्जा बहाल करने के लिए जोर देना जारी रखा है।
एक संयुक्त बयान के अनुसार, अमेरिकी कांग्रेस द्वारा तय किए गए पात्रता मानदंडों के लिहाज से इस पर विचार किया जा सकता है। जीएसपी के तहत भारत का लाभार्थी दर्जा 2019 में वापस ले लिया गया था जो कुछ वस्तुओं के लिए शुल्क मुक्त बाजार तक पहुंच बनाने की अनुमति देता है।
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के महानिदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अजय सहाय ने कहा, ‘अदालत के बाहर कोई भी समझौता, व्यापार में वृद्धि के लिए अनुकूल माहौल बनाता है क्योंकि इसमें किसी भी पक्ष को नुकसान नहीं होता है। यह एक अच्छा निर्णय है। यह न केवल अमेरिका में भारत के निर्यात के लिहाज से अनुकूल होगा बल्कि यह समग्र निर्यात के लिए भी सही संकेत देगा।’
WTO का कैसा है विवाद ?
सौर सेल और मॉड्यूल, विभिन्न निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के खिलाफ कुछ निर्यात संबंधी उपायों, अमेरिका के कुछ उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क जैसे विवादों में भारत को हार मिली जबकि अमेरिका जीत गया। वहीं दूसरी ओर, भारत के कुछ हॉट-रोल्ड कार्बन स्टील फ्लैट उत्पादों में बराबरी करने संबंधी उपायों, अक्षय ऊर्जा क्षेत्र और इस्पात एवं एल्युमीनियम उत्पादों से जुड़े कुछ कदमों संबंधित तीन मामलों में भारत को जीत मिली जबकि अमेरिका को हार का मुंह देखना पड़ा।
इनमें से एक मामला 2018 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए अमेरिकी धारा 232 के तहत स्टील और एल्युमीनियम पर क्रमश: 25 और 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने से जुड़ा है। इसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 28 वस्तुओं पर शुल्क लगाया था। भारत ने तब कहा था कि आयात शुल्क से होने वाली आमदनी, इस्पात और एल्युमीनियम पर अमेरिकी शुल्क लगाए जाने के बाद भारतीय उद्योग को हुए नुकसान की भरपाई करेगी।