रूसी तेल अभी भी यूरोप के घरों को रोशन कर रहा है, लेकिन इसमें बड़ी भूमिका भारत निभा रहा है। बीते दिसंबर में, यूरोपीय संघ ने रूस से लगभग किसी भी समुद्री कच्चे तेल के आयात पर रोक लगा दी थी। इसके दो महीने बाद, रिफाइंड ईंधन पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, ये नियम भारत पर लागू नहीं होते, इसलिए भारत ने रूस से सस्ता क्रूड खरीदना जारी रखा। उसे ईंधन में बदला और यूरोप को शिप कर दिया।
एनालिटिक्स फर्म केप्लर से ब्लूमबर्ग द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, एशियाई देश भारत इस महीने यूरोप में रिफाइंड ईंधन का सबसे बड़ा सप्लायर बनने के साथ-साथ रूसी कच्चे तेल को बड़े स्तर पर खरीद रहा है।
फर्म के लीड क्रूड एनालिस्ट विक्टर कैटोना ने कहा, “रूसी तेल सभी प्रतिबंधों के बावजूद यूरोप पहुंच रहा है और भारत का पश्चिम में ईंधन निर्यात में तेजी इसका एक अच्छा उदाहरण है।” “भारत भारी मात्रा में रूसी बैरल ले जा रहा है, इसे रोका नहीं जो सकता।”
यह यूरोपीय संघ के लिए दो तरह से जरूरी है। एक ओर, इन देशों को अब डीजल के वैकल्पिक स्रोतों की आवश्यकता है क्योंकि उन्होंने रूस से डायरेक्ट सप्लाई को काट दिया है, जो पहले उनके टॉप सप्लायर थे। हालांकि, इस तरह से रूसी बैरल की मांग बढ़ती ही नजर आती है और चूंकि, ईंधन भारत से होकर यूरोप जा रहा है, तो इन देशों का ईंधन पर पहले के मुकाबले खर्च भी ज्यादा हो गया है। साथ ही यह यूरोप की उन ऑइल रिफाइनियरों के लिए चुनौती है, जिनके पास सस्ते रूसी क्रूड की एक्सेस नहीं है।
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भारत से यूरोप का रिफाइंड ईंधन आयात एक दिन में 360,000 बैरल से ऊपर बढ़ सकता है, केपलर के डेटा से पता चलता है कि यह सऊदी अरब से भी ज्यादा फ्यूल का निर्यात है। केपलर के आंकड़ों के अनुसार, भारत में रूसी कच्चे तेल की आवक अप्रैल में एक दिन में 2 मिलियन बैरल से अधिक होने की उम्मीद है, जो देश के कुल तेल आयात का लगभग 44% है।
2022 की शुरुआत में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से पहले जब यूरोपीय देशों ने पावर सप्लाई कट नहीं की थी, रूस के आधे से अधिक समुद्री तेल शिपमेंट यूरोपीय संघ और सात देशों के ग्रुप के पास थे।