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रूस के साथ बढ़ा व्यापार घाटा

Published by
श्रेया नंदी
Last Updated- April 19, 2023 | 10:34 AM IST

भारत का रूस के साथ व्यापार घाटा पिछले साल चीन के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। छूट पर रूस से मिल रहे कच्चे तेल पर निर्भरता बढ़ने की वजह से ऐसा हुआ है।

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-जनवरी के दौरान भारत का सबसे ज्यादा 71.58 अरब डॉलर व्यापार घाटा चीन के साथ था। उसके बाद रूस का स्थान है, जिसके साथ व्यापार घाटा वित्त वर्ष 22 के अप्रैल-जनवरी के 4.86 अरब डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 23 के अप्रैल जनवरी के दौरान 7 गुना बढ़कर 34.79 अरब डॉलर हो गया है।

आंकड़ों से पता चलता है कि रूस से कुल 37.37 अरब डॉलर आयात में से दो तिहाई मूल्य का आयात कच्चे तेल का हुआ है। रूस के साथ तेजी से बढ़े व्यापार घाटे में मुख्य भूमिका रूस से आयातित कच्चा तेल है, जो यूक्रेन के साथ फरवरी 2022 में शुरू हुए टकराव के बाद लगातार बढ़ा है। पश्चिम के देशों ने रूस को वैश्विक व्यापार से अलग थलग करने की कवायद की, वहीं रूस ने सावधानीपूर्वक संबंधों में संतुलन बनाए रखा है और किसी का पक्ष नहीं लिया। उसके बाद भारत ने रूस से कच्चा तेल भी खरीदना शुरू कर दिया, जो छूट पर मिल रहा था।

वहीं दूसरी तरफ शुरुआती कुछ महीनों में निर्यात तेजी से कम हुआ, लेकिन धीरे धीरे विदेश भेजी जाने वाली खेप टकराव के पहले की स्थिति में पहुंच गई। इस सबके बावजूद रूस अभी भारत के शीर्ष 20 व्यापारिक साझेदारों में शामिल नहीं है। वित्त वर्ष 22 में रूस भारत का 25 बड़ा निर्यात साझेदार था। इसकी वजह यह है कि रूस यूरोप और चीन से वस्तुओं की जरूरत पूरी करने में सक्षम था। बहरहाल अमेरिका और ईयू द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाने के बाद स्थिति तेजी से बदल गई।

इस समय रूस पांचवां बड़ा व्यापारिक साझेदार है, लेकिन मुख्य रूप से आयात बढ़ने के कारण ऐसा हुआ है। इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल आफ इंडिया (ईईपीसी) के चेयरमैन अरुण गारोडिया ने कहा कि जहां तक इंजीनियरिंग के सामान का सवाल है, रूस में इसकी अच्छी मांग है। गारोडिया ने कहा, ‘रूस की कंपनियां चीन में स्थित यूरोप की कंपनियों के बजाय भारत के विनिर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं से अपनी जरूरत की चीजें मांग रही हैं। समय के साथ स्थिति और बेहतर होगी और व्यापार घाटा नीचे आएगा। बहरहाल उसके लिए सरकार को यह अनिवार्य करना होगा कि ई बीआरसी(इलेक्ट्रॉनिक बैंक रियलाइजेशन सर्टीफिकेट) जारी किया जाए, जो निर्यात संबंधी लेनदेन पूरा करने के लिए जरूरी होता है और इसे भारत के बैंक जारी करते हैं। ‘

दरअर रूस के साथ भारत को सुविधापूर्ण बनाने और वैश्विक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक ने पिछले साल अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधी लेन-देन रुपये में करने की अनुमति दी है। बहरहाल इस मोर्चे पर कोई खास प्रगति नहीं हुई है, क्योंकि भारत के बैंकों का दूसरे दौर के प्रतिबंधों को लेकर डर बना हुआ है।

सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस के साथ व्यापार घाटा बढ़ने को लेकर चिंता जताई थी और प्रतिबंध से प्रभावित रूस के बाजार तक पहुंच, गैर शुल्क बाधाओ, भुगतान के साथ लॉजिस्टिक से जुड़ी समस्याओं के समाधान पर जोर दिया था। मंत्री ने कहा, ‘हमारा द्विपक्षीय कारोबार का लक्ष्य 2025 के पहले ही 30 अरब डॉलर को पार कर गया है, जो हमारे लिए लक्ष्य का वर्ष था। दरअसल अप्रैल 2022 से फरवरी 2023 के बीच मुझे लगता है कि वास्तव में व्यापार 45 अरब डॉलर के करीब था। उम्मीद यह है कि यह लगातार बढ़ेगा। साथ ही यह भी चिंता का विषय है कि व्यापार असंतुलन नए स्तर पर पहुंच गया है। हमें रूस के मित्रों के साथ तत्काल मिलकर काम करने की जरूरत है, जिससे कि इस असंतुलन को दूर करने के तरीके पर विचार किया जा सके।’

ईयूईए के साथ एफटीए
जयशंकर ने यह भी कहा था कि यूरेशियन इकनॉमिक यूनियन में शामिल रूसी संघ, कजाकिस्तान, बेलारूस, आर्मेनिया और किर्गिस्तान के साथ द्विपक्षीय वाणिज्यिक संबंधों में निश्चित रूप से सुधार होगा, जिसमें रूस के साथ कारोबार अहम है। बहरहाल विशेषज्ञों का कहना है कि यूरेशियन इकनॉमिक यूनियन के साथ एफटीए पर प्रगति राजनीतिक फैसला होगा, क्योंकि यूक्रेन और रूस के बीच टकराव चल रहा था।

जनवरी 2022 में दोनों पक्षों ने प्रस्तावित व्यापार समझौते को लेकर टर्म आफ रेफरेंस को अंतिम रूप दिया था। दोनों पक्षों ने मार्च 2020 में मॉस्को में व्यापारिक वार्ता, ढांचे को अंतिम रूप देने के लिए एजेंडा तय करने के लिए शुरुआती चर्चा करने का फैसला किया था। हालांकि कोविड-19 महामारी के कारण यह टलता रहा।

 

First Published : April 19, 2023 | 10:34 AM IST