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“अंतर मत विवाद न बनें और प्रतिस्पर्धा टकराव में न बदले,”; चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात पर बोले जयशंकर

यह बैठक ऐसे समय हुई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ ही दिनों में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन जाने वाले हैं।

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निमिष कुमार   
Last Updated- August 18, 2025 | 9:27 PM IST

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सोमवार को भारत दौरे पर आए चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए “खुले और रचनात्मक रवैये” की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत-चीन संबंधों की दिशा “तीन परस्पर” (Mutual Respect, Mutual Sensitivity, Mutual Interest) सिद्धांतों से तय होनी चाहिए।

यह बैठक ऐसे समय हुई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ ही दिनों में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन जाने वाले हैं। वांग यी की यह दो दिवसीय यात्रा SCO सम्मेलन से पहले भारत और चीन के बीच संवाद को गति देने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है।

जयशंकर ने बैठक की शुरुआत में कहा, “हमारे संबंधों ने एक कठिन दौर देखा है, लेकिन अब दोनों देशों को आगे बढ़ना है। इसके लिए दोनों पक्षों को एक स्पष्ट और रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाना होगा।” उन्होंने दोहराया कि सीमा विवाद और तनाव को सुलझाने के लिए एलएसी (LAC) पर डि-एस्केलेशन प्रक्रिया को आगे बढ़ाना जरूरी है। “अंतर मत विवाद न बनें और प्रतिस्पर्धा टकराव में न बदले,” उन्होंने यह भी जोड़ा। जयशंकर ने कहा, “सीमा पर शांति और स्थिरता, हमारे द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक गति के लिए आधार है।”

वांग यी की भारत यात्रा का मुख्य उद्देश्य सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों (Special Representatives) की वार्ता है। मंगलवार को उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से इस संबंध में महत्वपूर्ण चर्चा होगी। डोभाल और वांग दोनों ही भारत-चीन सीमा वार्ता के लिए नामित विशेष प्रतिनिधि हैं।

जयशंकर और वांग की बातचीत में केवल सीमा मुद्दे ही नहीं, बल्कि आर्थिक और व्यापारिक संबंध, तीर्थ यात्रा, लोगों के बीच संपर्क, नदी जल आंकड़ों का आदान-प्रदान, सीमा व्यापार और कनेक्टिविटी जैसे विषयों पर भी चर्चा हुई। जयशंकर ने अपने जुलाई में चीन दौरे के दौरान उठाए गए मुद्दों पर अनुवर्ती चर्चा (follow-up) की भी बात की।

जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों को “न्यायसंगत, संतुलित और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था” की दिशा में मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई को भी चर्चा का अहम बिंदु बताया। “हम एक निष्पक्ष, संतुलित और बहुध्रुवीय एशिया की परिकल्पना करते हैं।”

सीमा विवाद की वर्तमान स्थिति

  • 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंधों में भारी तनाव आया था।
  • पूर्वी लद्दाख में अब भी 50,000 से 60,000 सैनिक दोनों ओर तैनात हैं।
  • हालांकि, डेमचोक और डेपसांग जैसे कुछ अहम बिंदुओं पर सेनाएं पीछे हटी हैं।
  • भारत ने कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू की है।
  • चीनी नागरिकों को पर्यटक वीजा जारी करना भी फिर से शुरू हुआ है।

भारत ने चीन के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए स्पष्ट किया है कि सीमा पर स्थिरता, आपसी सम्मान और पारदर्शी संवाद ही आगे का रास्ता हैं। जयशंकर और वांग यी की यह बैठक दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। अब सबकी निगाहें मंगलवार को होने वाली डोभाल-वांग विशेष प्रतिनिधि वार्ता पर टिकी हैं।

First Published : August 18, 2025 | 9:20 PM IST