अमेरिका ने भले ही भारत के उत्पादों पर 50 फीसदी का ऊंचा शुल्क लगा दिया हो मगर भारत और अमेरिका के बीच बातचीत का विकल्प खुला है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि दोनों देश वर्तमान चुनौतियों का हल निकालने की संभावना तलाश रहे हैं। उक्त अधिकारी ने कहा, ‘संचार माध्यम खुले हैं। दोनों पक्षों को इस बात की चिंता है कि ये चीजें कैसे सामने आएंगी और दोनों पक्ष इन मुद्दों को हल करने के तरीके पर विचार कर रहे हैं। यह दीर्घकालिक रिश्ते में एक अस्थायी चरण है। बातचीत का विकल्प खुला रखना महत्त्वपूर्ण है।’
भारत द्वारा रूस से तेल की खरीद के लिए ट्रंप द्वारा अतिरिक्त शुल्क की घोषणा के बाद भू-राजनीतिक जटिलताओं के कारण अमेरिका के साथ अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत रुक गई। हालांकि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता इस बात पर निर्भर करेगा कि दोनों पक्ष इस दिशा में कैसे आगे बढ़ते हैं। अधिकारी ने कहा कि सरकार का रुख दृढ़ है कि भारत एमएसएमई, किसानों और मछुआरों के हितों की रक्षा करना जारी रखेगा।
इस बीच फॉक्स बिज़नेस के साथ बातचीत में अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसंट ने भारत-अमेरिका संबंधों को बहुत जटिल बताया मगर उम्मीद जताई है कि अंत में, हम एक साथ आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत ही जटिल रिश्ता है। यह सिर्फ़ रूसी तेल का मामला नहीं है। उनकी यह टिप्पणी ट्रंप द्वारा रूसी तेल की खरीद के लिए भारत पर लगाए गए अतिरिक्त 25 फीसदी जुर्माने के कुछ घंटों बाद आई है। नया शुल्क आज से प्रभावी हो गया है।
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार और निर्यात गंतव्य है। वहां अब भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर 50 फीसदी का शुल्क लगाया गया है जिससे देश के निर्यात पर असर पड़ने की आशंका है। वित्त वर्ष 2025 में भारत ने अपने कुल निर्यात का 20 फीसदी अमेरिका भेजा था।
भारी शुल्क लगाने पर निर्यातकों और उद्योगों की चिंता के बावजूद, सरकारी अधिकारियों ने कहा कि प्रभाव उतना गंभीर नहीं होगा जितना कि उद्योग द्वारा बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है। भारतीय निर्यात केवल अमेरिकी बाजार पर निर्भर नहीं हैं। हां, इतना जरूर है कि कुछ क्षेत्र प्रभावित होंगे लेकिन कोई बड़े खतरे के संकेत नहीं हैं। उक्त अधिकारी ने कहा कि सरकार इस बात का सूक्ष्म विश्लेषण कर रही है कि मूल्य में परिवर्तन के संबंध में उपभोक्ता व्यवहार कैसे प्रभावित होता है। सरकार लगातार बैठकें कर रही है और हर क्षेत्र से प्रतिक्रिया ले रही है।
वाणिज्य विभाग ने निर्यात संवर्धन पर ध्यान केंद्रित करते हुए बहुआयामी रणनीति अपनाई है और निर्यात संवर्धन मिशन, निर्यात बाजार और उत्पादों के विविधीकरण शुरू किया है। वस्तु एवं सेवा कर को आसान बनाने के साथ व्यापार करने की लागत कम करने, घरेलू मांग को बढ़ावा देने के लिए कदम उठा रहा है।