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शहरी क्षेत्र में महिलाओं की बेरोजगारी बढ़ी

शहरी क्षेत्रों में महिलाओं की बेरोजगारी दर बढ़कर 9% हुई, स्वरोजगार में भी आई कमी: पीएलएफएस रिपोर्ट

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शिवा राजौरा   
Last Updated- August 23, 2024 | 11:25 PM IST

मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून की अवधि) में शहरी क्षेत्रों की महिलाओं की बेरोजगारी दर की स्थिति बेहद खराब नजर आई जो महिलाओं के लिए काम की तलाश में बढ़ती बाधाओं को दर्शाता है। ताजा तिमाही के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के विश्लेषण में यह बात सामने आई है।

डेटा यह दर्शाते हैं कि शहरी क्षेत्रों में महिला बेरोजगारी दर पहली तिमाही में बढ़कर 9 प्रतिशत हो गई है जो इससे पिछले तिमाही में 8.5 प्रतिशत थी। बेरोजगारी दर बढ़ने के साथ ही तिमाही के दौरान महिला श्रम बल में भी कमी आई और यह 25.6 प्रतिशत से घटकर 25.2 प्रतिशत हो गई।

इसका अर्थ यह हुआ कि काम की तलाश करने वाली महिलाओं की संख्या कम होने के बावजूद, श्रम बाजार इनके लिए पर्याप्त रोजगार के मौके नहीं तैयार कर सका। आंकड़े दर्शाते हैं कि रोजगार में कमी की मुख्य वजह स्वरोजगार श्रेणी में कमी आना भी शामिल हैं जिसमें स्वयं के लिए काम करना या घरेलू सहायक के तौर पर काम करना भी शामिल है।

स्वरोजगार में जुटी महिलाओं की हिस्सेदारी भी पहली तिमाही में घटकर 40 प्रतिशत हो गई जो इससे पिछली तिमाही में 41.3 प्रतिशत थी। अस्थायी कामगार के तौर पर काम करने वाली महिलाओं की हिस्सेदारी भी इसी समान अवधि के दौरान 6.5 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत हो गई।

एक श्रम अर्थशास्त्री ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘पीएलएफएस आंकड़े में अर्थव्यवस्था के औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र दोनों ही कवर होते हैं। खुद के लिए काम करने वाली महिलाओं की कम होती हिस्सेदारी मुख्य तौर पर यह दर्शाती है कि बड़े अनौपचारिक क्षेत्र में भी काम के मौके कम हो रहे हैं।’

First Published : August 23, 2024 | 10:29 PM IST