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अगर स्टांप पर मध्यस्थता समझौता नहीं हुआ तो कानूनी तौर पर होगा अमान्य : सुप्रीम कोर्ट

Published by
भाविनी मिश्रा
Last Updated- April 25, 2023 | 10:36 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से कहा है कि बगैर स्टांप वाले अनुबंध (unstamped contract ) में मध्यस्थता समझौता (arbitration agreement) लागू किए किए जाने योग्य और वैध नहीं है।

बहुमत के फैसले में कहा गया है, ‘स्टांप अधिनियम (Stamp Act) द्वारा मान्य नहीं किया गया मध्यस्थता समझौता कानून के हिसाब से मान्य नहीं होगा।’

कानून के विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से अनुमान लगाने व व्याख्या करने को लेकर कुछ स्पष्टता आई है कि अगर स्टांप शुल्क (stamp duty) का भुगतान नहीं किया जाता है या कम भुगतान किया जाता है तो मध्यस्थता समझौता अवैध होगा और इससे विवाद के समाधान के लिए समयबद्ध समाधान उपलब्ध नहीं होगा।

निशीथ देसाई एसोसिएट्स में इंटरनैशनल डिस्प्यूट रिसॉल्यूशन ऐंड इन्वेस्टीगेशन प्रैक्टिस ( International Dispute Resolution & Investigations Practice) के प्रमुख व्यापक देसाई ने कहा, ‘यह गंभीर मसला है और चल रही तमाम मध्यस्थता कार्रवाई पर इसका असर पड़ेगा। इसमें पक्षकार स्टांप शुल्क के कम भुगतान या भुगतान न होने को लेकर प्रक्रिया में देरी के लिए आपत्ति जता सकते हैं।

‘न्यायमूर्ति केएम जोसेफ, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति हृषीकेश रॉय और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार के पीठ ने फैसले में कहा कि मध्यस्थता रजिस्टर्ड होना और स्टांप पर होना जरूरी है, तभी वह वैध और लागू किए जाने योग्य होगा।

First Published : April 25, 2023 | 10:36 PM IST