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Simla Agreement: क्या है भारत-पाकिस्तान शिमला समझौता और आज भी क्यों है ये अहम, जानें विस्तार से

पाकिस्तान ने रद्द किया शिमला समझौता, वाघा बॉर्डर बंद, भारतीय विमानों के लिए एयरस्पेस भी बंद

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अभिजित कुमार   
Last Updated- April 24, 2025 | 8:15 PM IST

पाकिस्तान ने गुरुवार को भारत के साथ 1972 में हुआ शिमला समझौता रद्द करने की घोषणा की है। इसके साथ ही उसने वाघा बॉर्डर को बंद कर दिया और भारत से आने-जाने वाली हर तरह की आवाजाही रोक दी है। पाकिस्तान ने भारतीय एयरलाइनों के लिए अपने हवाई क्षेत्र (एयरस्पेस) को भी बंद कर दिया है। यह फैसला भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर सख्त कदम उठाने के जवाब में लिया गया है। भारत ने 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि को भी स्थगित कर दिया था, जिसे पाकिस्तान ने अब अपने जवाबी कदम के तौर पर देखा है।

क्या है शिमला समझौता?

शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच एक ऐतिहासिक द्विपक्षीय संधि थी, जो 2 जुलाई 1972 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में स्थित शिमला में साइन की थी। यह समझौता 1971 के युद्ध के बाद हुआ था, जिसमें पाकिस्तान को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था और बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश बना था। इस समझौते का मकसद दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करना और भविष्य के लिए एक शांतिपूर्ण रास्ता तय करना था।

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समझौते की मुख्य बातें

1. विवादों का शांतिपूर्ण हल:

भारत और पाकिस्तान ने इस बात पर सहमति जताई थी कि वे आपसी विवादों का हल बातचीत से करेंगे और किसी तीसरे पक्ष को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। इसका सीधा मतलब यह था कि कश्मीर मुद्दे पर कोई अंतरराष्ट्रीय दखल नहीं होगा।

2. संप्रभुता और अखंडता का सम्मान:

दोनों देशों ने एक-दूसरे की सीमाओं, राजनीतिक स्वतंत्रता और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने की बात मानी थी।

3. नियंत्रण रेखा (LoC) की पुनर्परिभाषा:

1971 की युद्धविराम रेखा को ‘नियंत्रण रेखा’ का नाम दिया गया और दोनों पक्षों ने इसे एकतरफा रूप से नहीं बदलने की बात मानी थी।

4. राजनयिक संबंधों की बहाली:

समझौते में यह भी तय हुआ था कि दोनों देश आपसी संवाद, व्यापार, यात्रा और सांस्कृतिक संबंधों को दोबारा शुरू करेंगे।

5. युद्धबंदियों की रिहाई:

भारत ने इस समझौते के तहत पाकिस्तान के 93,000 से ज़्यादा युद्धबंदियों को रिहा किया था, जो विश्व युद्धों के बाद सबसे बड़ी युद्धबंदी रिहाई मानी जाती है।

समझौते तक कैसे पहुंचे दोनों देश?

1971 का युद्ध पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के राजनीतिक संकट और गृहयुद्ध के चलते शुरू हुआ था। भारत ने मानवीय और सामरिक आधार पर इसमें दखल दिया और पाकिस्तान को 16 दिसंबर 1971 को ढाका में आत्मसमर्पण करना पड़ा। इस हार के बाद पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय और आंतरिक दबाव बहुत बढ़ गया था। शिमला समझौता इस स्थिति से उबरने का एक जरिया था, जिससे पाकिस्तान अपने कब्जे की ज़मीन और युद्धबंदियों को वापस पाने की कोशिश कर सके।

शिमला में हुई बातचीत काफी लंबी और जटिल रही। खासकर कश्मीर को लेकर मतभेद रहे, क्योंकि भारत चाहता था कि सभी मुद्दे आपसी बातचीत से सुलझें, जबकि पाकिस्तान चाहता था कि वह कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की आज़ादी बनाए रखे। आखिरकार, इंदिरा गांधी और भुट्टो के बीच देर रात की बैठकों और एक निजी रात्रिभोज के दौरान समझौता हुआ। समझौते में कश्मीर का ज़िक्र सीमित रखा गया और जोर द्विपक्षीय बातचीत पर जोर दिया गया।

समझौते के बाद क्या हुआ?

शिमला समझौता एक राजनयिक ढांचा जरूर बना, लेकिन भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव बना रहा। कश्मीर मुद्दा हल नहीं हो सका और इसके बाद सियाचिन संघर्ष (1984), कारगिल युद्ध (1999) और कई आतंकी घटनाएं भी हुईं। भारत आज भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज करने के लिए इसी समझौते का हवाला देता है, जबकि पाकिस्तान इसकी व्याख्या अलग तरह से करता है और कई बार अंतरराष्ट्रीय दखल की मांग करता रहा है।

आज भी शिमला समझौता भारत-पाक रिश्तों की नींव माने जाने वाले दस्तावेजों में शामिल है। यह न सिर्फ नियंत्रण रेखा (LoC) की वैधता तय करता है, बल्कि भारत की कूटनीतिक नीति का मूल भी है। हालांकि, लगातार सीमा पर तनाव और बातचीत की कमी के चलते इस समझौते की प्रभावशीलता पर अब सवाल उठने लगे हैं।

अब जबकि पाकिस्तान ने इस समझौते को आधिकारिक तौर पर रद्द कर दिया है, भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक और गंभीर मोड़ आ गया है। आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच संवाद और संबंधों की दिशा पर नजर रखना बेहद अहम होगा।

First Published : April 24, 2025 | 6:52 PM IST