भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने पिछले साल पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनने से वंचित होने के बाद दरकिनार किए जाने के अपने आलोचकों के दावे को गलत साबित करते हुए छठी बार मध्य प्रदेश की विदिशा लोकसभा सीट 8.21 लाख मतों के रिकॉर्ड अंतर से जीती। रविवार को उन्होंने पहली बार केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ ली।
‘मामाजी’ के नाम से मशहूर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने विनम्र एवं मिलनसार स्वभाव के कारण अपने मित्रों ही नहीं विरोधियों में भी पसंद किए जाते रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी में वे उन चंद नेताओं में शामिल हैं जिनके पास काफी लंबे समय इतने बड़े राज्य को चलाने का प्रशासनिक कौशल रहा है।
चौहान ने चार जून को घोषित आम चुनाव 2024 के परिणामों में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को आठ लाख 21 हजार के भारी अंतर से पराजित कर विदिशा लोकसभा सीट जीती।
यह संयोग है कि भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें इस आम चुनाव में विदिशा संसदीय क्षेत्र से उतारा जिसका प्रतिनिधित्व वह पहले एक या दो नहीं बल्कि पांच बार कर चुके थे। वह प्रदेश की जनता विशेष रूप से बच्चों में ‘‘मामाजी’ के नाम से लोकप्रिय हैं, जबकि मुख्यमंत्री बनने से पहले अपनी लोकसभा सीट विदिशा में अमूमन पैदल चलने के कारण वह ‘पांव-पांव वाले भैया’ के नाम से पुकारे जाते थे।
मध्य प्रदेश के 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में इस 64 वर्षीय नेता ने ‘लाडली बहना’ जैसी बाजी पलटने वाली योजना की मदद से सत्ता विरोधी लहर को मात दी थी।
हालांकि, उनकी पार्टी ने पिछले महीने हुए विधानसभा चुनावों में उन्हें मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश नहीं किया। चौहान को एक सफल प्रशासक के साथ ही बेहद विनम्र और मिलनसार राजनेता के रूप में पहचाना जाता है। किसान परिवार में पैदा हुए चौहान ने सबसे लंबे समय पौने सत्रह साल तक लगातार मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री बनने का इतिहास रचा है।
वह 29 नवंबर 2005 को पहली बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। उनके नेतृत्व में वर्ष 2008 एवं वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को भारी बहुमत से जीत मिली थी।
भाजपा ने उन्हें नवंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी का मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया था, लेकिन इस चुनाव में वह अपनी पार्टी को बहुमत नहीं दिला सके और सत्ता उनके हाथ से खिसक कर कांग्रेस नेता कमलनाथ के हाथ में चली गई।
बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आने से कांग्रेस के 22 विधायक बागी होने के कारण कमलनाथ की सरकार गिर गई। इसके बाद चौहान के नेतृतव में मप्र में भाजपा की सरकार बनी।