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Plane Crash in India: अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट गुरुवार को दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस ताजा हादसे ने एक बार फिर भारत के विमानन क्षेत्र में हुई बड़ी दुर्घटनाओं की भयावह यादें ताजा कर दी हैं। पिछले कुछ दशकों में भारत ने कई गंभीर हवाई हादसे देखे हैं—जिनमें हवा में हुई टक्करों, खराब मौसम के कारण हुई दुर्घटनाओं और टेबलटॉप हवाई अड्डों पर रनवे से फिसलने जैसे कई दर्दनाक हादसे शामिल हैं। आइए एक बार फिर नजर डाली जाए भारत के विमानन इतिहास की उन सबसे विनाशकारी घटनाओं पर, जिन्होंने देश को झकझोर कर रख दिया था।
कोविड-19 महामारी के दौरान, वंदे भारत मिशन के तहत संचालित एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट 1344, 7 अगस्त 2020 को केरल के कोझिकोड (कालीकट) अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लैंडिंग के दौरान रनवे से फिसल गई थी।
तेज बारिश के बीच, विमान फिसलते हुए गीले टेबलटॉप रनवे को पार कर गया, और एक घाटी में जा गिरा। इस भीषण हादसे में विमान दो हिस्सों में टूट गया। इस हादसे में कुल 190 यात्रियों में से 21 लोगों की मौत हो गई, जिनमें दोनों पायलट भी शामिल थे।
22 मई 2010 को एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट 812 कर्नाटक के मंगलूरू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लैंडिंग के दौरान रनवे से बाहर निकल गई थी। दुबई से आ रहे इस बोइंग 737-800 विमान ने टेबलटॉप रनवे पार कर एक गहरी खाई में गिरने के बाद आग पकड़ ली, जिससे 158 लोगों की मौत हो गई।
इस दर्दनाक हादसे के बाद भारत के टेबलटॉप हवाई अड्डों और खराब मौसम में लैंडिंग से जुड़े नियमों और प्रक्रियाओं पर कड़ी नजर डाली जाने लगी।
17 जुलाई 2000 को एलायंस एयर की फ्लाइट 7412 बिहार की राजधानी पटना में लैंडिंग के दौरान एक घनी आबादी वाले रिहायशी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। यह बोइंग 737-200 विमान अंतिम चरण की लैंडिंग के दौरान कथित तौर पर गलत ऑपरेशन के चलते कम ऊंचाई पर रुक गया (स्टॉल हो गया)।
इस हादसे में कुल 60 लोगों की जान चली गई, जिनमें से 5 लोग जमीन पर मौजूद थे। इस दुर्घटना के बाद देश के छोटे शहरी हवाई अड्डों पर लैंडिंग प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के लिए कई बदलाव किए गए।
12 नवंबर 1996 को भारत के विमानन इतिहास की सबसे भीषण दुर्घटना हुई, जिसमें 349 लोगों की जान चली गई। यह हादसा हरियाणा के चरखी दादरी के पास उस समय हुआ, जब सऊदी अरब की फ्लाइट 763 (बोइंग 747) और कज़ाकस्तान एयरलाइंस की फ्लाइट 1907 (इल्यूशिन Il-76) आपस में हवा में टकरा गईं। यह हादसा संचार में गड़बड़ी और कज़ाक पायलटों द्वारा निर्धारित ऊंचाई से नीचे उड़ान भरने के कारण हुआ।
इस दुर्घटना के बाद भारत में विमानन सुरक्षा से जुड़े कई बड़े बदलाव किए गए। इनमें सभी व्यावसायिक विमानों में ट्रैफिक कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (TCAS) की अनिवार्य स्थापना भी शामिल है।
14 फरवरी 1990 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 605 बेंगलुरु के HAL एयरपोर्ट पर लैंडिंग से पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में 146 यात्रियों में से 92 लोगों की मौत हो गई। एयरबस A320, जो उस समय भारत के लिए एक नया और आधुनिक विमान था, रनवे से पहले ही बहुत नीचे आ गया और जमीन से टकरा गया। इसके बाद विमान फिसलते हुए पास के गोल्फ कोर्स तक पहुंच गया।
जांच में सामने आया कि हादसे की वजह पायलट की गलती और A320 के एडवांस डिजिटल कॉकपिट को लेकर अनुभव की कमी थी।
19 अक्टूबर 1988 को खराब विजिबिलिटी के बीच इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 113, जो बोइंग 737-200 विमान थी, अहमदाबाद एयरपोर्ट पर लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गई। मुंबई से आ रही यह फ्लाइट रनवे तक पहुंचने से पहले पेड़ों से टकरा गई और नीचे गिरकर हादसे का शिकार हो गई।
इस हादसे में 135 लोगों में से 133 की मौत हो गई। जांच में सामने आया कि दुर्घटना की वजह पायलट की गलती, मौसम संबंधी जानकारी की कमी और एयर ट्रैफिक कंट्रोल की प्रक्रियागत चूक थी।
1 जनवरी 1978 को दुबई जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट 855, जो बोइंग 747 विमान थी, मुंबई से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद अरब सागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में विमान में सवार सभी 213 लोगों की मौत हो गई।
यह हादसा उड़ान शुरू होने के सिर्फ 101 सेकंड के भीतर हुआ। जांच में पता चला कि विमान के एटीट्यूड डायरेक्टर इंडिकेटर (ADI) में खराबी थी, जिससे पायलट ने विमान की दिशा को गलत समझ लिया।
यह दुर्घटना रात के समय समुद्र के ऊपर हुई थी, जिससे क्रू को दिशा भ्रम (spatial disorientation) हो गया और हादसा हो गया।
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31 मई 1973 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 440 दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर लैंडिंग से पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गई। बोइंग 737-200 विमान खराब मौसम की चपेट में आ गया और रनवे से थोड़ा पहले हाई टेंशन तारों से टकरा गया। विमान में कुल 65 लोग सवार थे, जिनमें से 48 की मौत हो गई। इस हादसे में वरिष्ठ भारतीय राजनेता मोहन कुमारमंगलम का भी निधन हो गया।
इस दुर्घटना ने भारतीय हवाई अड्डों पर मौसम रडार की तकनीकी व्यवस्था को और बेहतर बनाने की आवश्यकता को उजागर किया।
(एजेंसी इनपुट के साथ)