इन दिनों देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की आबो-हवा काफी बदल गई है। दशकों पहले मशहूर फिल्म निर्माता बासु चटर्जी की फिल्मों में दिखने वाली मुंबई की शक्ल सूरत अब गायब हो गई है। अगर चटर्जी इस समय फिल्में बना रहे होते तो मुंबई में चलने वाली दो मंजिला बसें, पद्मिनी टैक्सी और साफ आसमान नदारद होते। पिछले सप्ताह मुंबई की हवा काफी प्रदूषित थी और इस मामले में मुंबई दुनिया का दूसरे सबसे प्रदूषित शहर रहा।
संयोग से मुंबई में खराब होती वायु की गुणवत्ता की झलक चटर्जी की उन कालजयी फिल्मों में दिख जाती थी। मसलन मॉनसून का देरी से लौटना, रियल एस्टेट और परिवहन प्रणाली आदि। महाराष्ट्र सरकार मुंबई में यातायात सुगम बनाना और प्रदूषण कम करना चाहती है। खासकर, कोविड महामारी के बाद मेट्रो प्रणाली पूरी करने के लिए आपाधापी बढ़ गई है।
शहर में 300 किलोमीटर से लंबी मेट्रो परियोजना पर काम चल रहा है, जिस पर कई चरणों में अमल होना है। इनमें 21 किलोमीटर ट्रांस हार्बर लिंक है जो मुख्य शहरों को उपनगरों से जोड़ेगा और एक सड़क भी तैयार हो रही है, जो शहर के तट के समानांतर दौड़ेगी। इनके अलावा कुछ फ्लाईओवर और पुल भी तैयार हो रहे हैं।
महाराष्ट्र में अगले साल चुनाव भी होने वाले हैं। मुंबई शहर की पहली मेट्रो परियोजना और अद्यतन एयरपोर्ट टर्मिनल के लिए काम 2014 के चुनाव के समय शुरू हुआ था। आंकड़ों के अनुसार शहर में आधारभूत ढांचा मजबूत करने की दिशा में काम शुरू होने के बाद वित्त वर्ष 2021 की तुलना में रियल एस्टेट निर्माण भी दोगुना हो गया है।
रियल एस्टेट क्षेत्र पर शोध करने वाली कंपनी लायसस फोरैस के आंकड़ों के अनुसार मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में निर्माण कार्य वित्त वर्ष 2022 से 36 गुना बढ़ गए हैं और वित्त वर्ष 2021 की तुलना में इनमें 98 प्रतिशत की तेजी आई है। इस एजेंसी के अनुसार वित्त वर्ष 2023 में एमएमआर क्षेत्र में निर्माण कार्य 7.28 करोड़ वर्गफुट बढ़ा था।
विशेषज्ञों के अनुसार निर्माण कार्यों में तेजी के अलावा शहर में मॉनसून भी लंबे समय तक मौजूद रहा है। इससे गर्म समुद्र एवं सतह के कारण हवाओं पर प्रतिकूल असर हुआ है। इसका नतीजा यह हुआ है कि शहर के आसमान का रंग बेरंग हो गया है और वातावरण धूल कणों से भर गया है।
आसमान का रंग बदला है तो लोगों के स्वास्थ्य पर भी बीमारियों के बादल मंडराने लगे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार शहर में लोगों को श्वास संबंधी तकलीफ होने के मामले अधिक देखे जा रहे हैं।
वाशी में फोर्टिस हीरानंदानी हॉस्पिटल में निदेशक (इंटरनल मेडिसन) डॉ. फराह इंगले कहती हैं, ‘बाह्य रोग विभाग में आने वाले मामले 25 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। ये सभी मामले श्वास रोग से से जुड़े हैं। हालांकि, सभी मरीजों को जांच कराने की सलाह नहीं दी जा रही है क्योंकि हम यह निश्चित तौर पर नहीं कह सकते हैं इसके लिए वायु प्रदूषण ही जिम्मेदार है या कुछ दूसरे कारक भी हैं।’
इंगले ने कहा कि आधुनिक समय में निर्माण कार्यों में कई अलग तरह की सामग्री का इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने कहा कि ये तत्व लोगों को फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं जिसका कोई इलाज नहीं है और एकाध मामलों में इससे लोगों की मौत भी हो जाती है। शहर में इन दिनों एयर प्यूरीफायर (हवा शुद्ध करने वाली मशीन) उपकरणों की बिक्री भी बढ़ गई है जिससे इंगले का संदेह कहीं न कहीं वाजिब प्रतीत होता है।
इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बेचने वाली विजय सेल्स के अनुसार एयर प्यूरीफायर की बिक्री बढ़कर अब प्रति महीने 100 तक हो गई है जबकि पहले 8-10 ही बिकते थे। इनकी बिक्री बढ़ना इसलिए भी चिंता का कारण है क्योंकि मुंबई के लोग यदा-कदा ही एयर प्यूरीफायर खरीदा करते थे।
विजय सेल्स के प्रबंध निदेशक नीलेश गुप्त कहते हैं, ‘अधिकांश मामलों में लोग चिकित्सकों की सलाह पर ये मशीन खरीद रहे हैं। मुंबई में पहले हम कुछ ही एयर प्यूरीफायर बेचा करते थे और ये भी यहां रहने वाले विदेशी खरीदते थे। मगर अगले कुछ वर्षों में हम उस स्थिति में पहुंच जाएंगे जब प्रत्येक कार्यालयों में एयर प्यूरीफायर लगाना अनिवार्य हो जाएगा।’
शहर में प्रदूषण के आतंक को देखते हुए अब बृह्न मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) हरकत में आ गया है। हीरानंदानी ग्रुप के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक निरंजन हीरानंदानी कहते हैं कि जो उपाय किए जा रह हैं वे शहर में शायद पहले कभी नहीं किए गए थे। बीएमसी ने प्रदूषण से लड़ने के लिए कुल 27 उपाय किए हैं। इनमें स्प्रिंकलर का इस्तेमाल, वाहनों के टायर साफ करने की सुविधा, निर्माण सामग्री का निस्तारण आदि शामिल हैं। ये उपाय ज्यादातर निर्णाण स्थलों पर किए गए हैं।
हीरानंदानी का मानना है कि बीएमसी ने फिलहाल वे कदम उठाए हैं जो पहली नजर में किए जा सकते हैं। वह कहते हैं, ‘प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले धूल सहित कई दूसरे कारण हैं। धूल कण को खत्म करना सबसे पहला एवं आसान उपाय है। नए उपायों का स्वागत है। रियल एस्टेट उद्योग भविष्य़ में उठाए जाने वाले कदमों का इंतजार कर रही है और वह उसका पालन भी करेंगे।’
एक पूर्व नगर निकाय अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘धूल तो प्रदूषण का एक कारण है। उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले रसायन सहित शहर के लगभग प्रत्येक झुग्गी में अवैध रूप से चलने वाले गैराज भी हवा खराब कर रहे हैं।’
बीएमसी भले ही हरकत में आ गया है और इनसे कारोबारी समुदाय के लोग बहुत अधिक चिंतित नजर नहीं आ रहे हैं। एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पूरी कहते हैं, ‘अब तक जितने कदम उठाए गए हैं वे उचित हैं। निर्माण उद्योग इनका पालन करेगा और आगे के निर्देशों के लिए भी तैयार रहेगा।’
जहां तक आधारभूत परियोजनाओं की बात है तो इस क्षेत्र के एक अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘समुद्र के निकट तैयार हो रही परियोजनाएं जैसे मुंबई तटीय सड़क आदि के लिए नए उपायों से कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। दूसरी बात यह है कि इन परियोजनाओं में इस्तेमाल के लिए ज्यादातर परियोजनाओं का परिवहन हो चुका है।’
लार्सन ऐंड टुब्रो, टाटा प्रोजेक्ट्स और एचसीसी उन कंपनियों में शामिल हैं जो मुंबई शहर में आधारभूत परियोजनाओं को पूरा कर रही हैं। इन कंपनियों की प्रतिक्रिया जानने के लिए उन्हें भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं आया।