पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन योजना के तहत कोविड-19 से अनाथ हुए बच्चों के लिए 9,300 से अधिक आवेदन आए थे, लेकिन इनमें से केवल 4,500 को ही मंजूरी मिली है, यह जानकारी अधिकारियों ने मंगलवार को दी। महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इस योजना के तहत 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 613 जिलों से 9,331 आवेदन प्राप्त हुए थे। इनमें से कुल 4,781 आवेदन यानी 51 प्रतिशत आवेदन खारिज कर दिए गए, जबकि 18 आवेदन की स्वीकृति पेंडिंग हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मई 2021 में कोविड-19 महामारी के चरम के दौरान शुरू की गई पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन योजना का उद्देश्य उन बच्चों की सहायता करना था, जिन्होंने 11 मार्च 2020 से 5 मई 2023 के बीच महामारी में अपने माता-पिता, कानूनी अभिभावक, दत्तक माता-पिता या जीवित माता-पिता को खो दिया था।
योजना के तहत 9,300 से अधिक आवेदन आए थे, लेकिन मंत्रालय ने केवल 4,500 को ही मंजूरी दी है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि बाकी आवेदनों को खारिज क्यों किया गया।
पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन योजना के तहत सबसे ज्यादा आवेदन किस राज्य से मिले?
इस योजना के तहत सबसे ज्यादा आवेदन राजस्थान से मिले, जहां से कुल 1553 आवेदन आए। लेकिन मंजूरी सिर्फ 210 को ही मिली। इसके बाद महाराष्ट्र (1511 आवेदन, 855 मंजूर) और उत्तर प्रदेश (लगभग 1000 आवेदन, 467 मंजूर) का स्थान रहा।
बता दें, इस योजना का मकसद कोविड-19 महामारी में माता-पिता खो चुके बच्चों को 23 साल की उम्र तक आर्थिक मदद देना है। योजना के अनुसार, 18 साल की उम्र में हर बच्चे के लिए 10 लाख रुपये का फंड बनाया जाएगा। इसके बाद अगले 5 साल तक उन्हें हर महीने मिलने वाली राशि से अपने खर्चों का मैनेजमेंट करने में मदद मिलेगी। 23 साल की उम्र पूरी होने पर उन्हें यह रकम भविष्य में इस्तेमाल करने के लिए एकमुश्त मिलेगी।
योजना के लिए आवेदन करने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल pmcaresforchildren.in बनाया गया है।