भारत

SCO Summit में बोले मोदी: आतंकवाद पर दोहरे मानदंड अस्वीकार्य, समावेशी विश्व की ओर बढ़ें दुनिया

संयुक्त घोषणा पत्र में एकतरफा उपायों का विरोध, नए विकास बैंक की स्थापना के लिए चीन के प्रस्ताव पर सहमति

Published by
अर्चिस मोहन   
Last Updated- September 01, 2025 | 11:28 PM IST

शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य राष्ट्रों ने नए विकास बैंक की स्थापना के लिए चीन के प्रस्ताव पर सहमति जताई और शिखर सम्मेलन के समापन के बाद आज जारी संयुक्त घोषणा में एकतरफा जबरदस्ती उपायों का विरोध किया। सदस्यों ने समूह के भीतर व्यापार को सुविधाजनक बनाने का संकल्प लिया।

शिखर सम्मेलन में अपने दो भाषणों में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने ‘धमकाने वाली प्रथाओं’ का विरोध करने का आह्वान किया जो अमेरिका पर सीधा हमला था। शी ने कहा कि एससीओ दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन बन गया है। उन्होंने कहा कि एससीओ का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और आकर्षण दिन-ब-दिन बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि एससीओ बहुपक्षवाद और समावेशी विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देने में मार्गदर्शक भूमिका निभा सकता है। भारत वर्षों से एससीओ को लेकर कम उत्साही रहा है। इस संगठन में पाकिस्तान भी सदस्य देश है मगर भारत का रुख बदलाव का प्रतीक है।

प्रधानमंत्री का यह बयान शुल्क को लेकर भारत और अमेरिका के संबंधों में गिरावट और चीन के साथ अपने रिश्ते फिर से ठीक करने और रूस के साथ अपनी दोस्ती को मजबूत करने के भारत के हालिया प्रयासों के संदर्भ में भी आया है। मोदी, शी और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के बीच सौहार्द की बानगी एससीओ ​शिखर सम्मेलन के स्थल पर दिखी। तीनों सुबह के सत्र की शुरुआत से पहले एकसाथ मिले। बाद में मोदी ने पुतिन की बख्तरबंद लिमोजिन में यात्रा करते हुए लगभग 50 मिनट तक उनसे बातचीत की जबकि उनके संबंधित प्रतिनिधिमंडल औपचारिक द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने के लिए इंतजार करते रहे।

आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एससीओ ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और भारत के इस रुख से सहमति जताई कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ‘दोहरे मानदंड’ अस्वीकार्य हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में पहलगाम आतंकी हमले के बाद सदस्य देशों को उनकी मजबूत एकजुटता के लिए धन्यवाद दिया।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद से निपटने में कोई दोहरा मानदंड नहीं होना चाहिए और समूह से उन देशों को जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया जो सीमा पार आतंकवाद को अंजाम देते हैं और समर्थन करते हैं। मोदी ने कहा कि पहलगाम हमला न केवल भारत की अंतरात्मा पर हमला था बल्कि हर उस राष्ट्र और हर उस व्यक्ति के लिए एक खुली चुनौती थी जो मानवता में विश्वास करता है। उन्होंने सवाल किया, ‘ऐसी परिस्थितियों में यह पूछना स्वाभाविक है कि क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद का खुला समर्थन कभी भी हमारे लिए स्वीकार्य हो सकता है?’

26 जून को थ्यानचिन में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त घोषणा के मसौदे पर सहमति नहीं बन पाई थी क्योंकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि इसमें पहलगाम आतंकी हमले की बात को हटा दिया गया है और पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद पर भारत की चिंता को स्पष्ट रूप से संबोधित नहीं किया गया है।

मोदी ने कहा कि भारत एससीओ के तीन स्तंभों ‘सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अवसर’ के तहत अधिक कार्रवाई चाहता है। उन्होंने कहा कि भारत चाबहार बंदरगाह और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे जैसी परियोजनाओं का पुरजोर समर्थन करता है। चीन के बेल्ट ऐंड रोड पहल पर मोदी ने कहा कि कनेक्टिविटी के प्रयास में देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों को बनाए रखना चाहिए।

First Published : September 1, 2025 | 11:18 PM IST