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2024 में भारत में विलय-अधिग्रहण गतिविधि मजबूत रहने की उम्मीद

इस साल अधिग्रहणों में ESG, टेक्नोलॉजी थीम का होगा दबदबा

Published by
देव चटर्जी   
Last Updated- January 17, 2024 | 10:05 PM IST

बैंकरों का कहना है कि खासकर अक्षय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी स्टोरेज सेगमेंट में प्रमुख भारतीय कंपनियां नए साल में अधिग्रहणों की संभावना तलाश रही है, क्योंकि 2024 में कॉरपोरेट बोर्ड की बैठकों में पर्यावरण, सामाजिक और कॉरपोरेट प्रशासन (ईएसजी) तथा टेक्नोलॉजी थीम छाए रहने की संभावना है।

ध्रुव एडवाइजर्स में पार्टनर वैभव गुप्ता ने कहा कि प्रमुख उद्योग जगत निरंतरता और स्वच्छ ऊर्जा कंपनियों पर ध्यान देना चाहेगा और इसलिए इन क्षेत्रों में क्षमता वृद्धि के लिए बड़े निवेश की संभावना है। उन्होंने कहा, ‘क्षेत्र के तौर पर जेन एआई में तेज उन्नयन के साथ टेक्नोलॉजी सुर्खियों में बना रहेगा। चुनाव के बाद मजबूत राजनीतिक व्यवस्था से भारत के प्रति वैश्विक ध्यान लगातार आकर्षित करने और विलय-अधिग्रहण गतिविधि मजबूत बनाए रखने में मदद मिलेगी।’

जेएसडब्ल्यू ग्रुप जैसी प्रमुख भारतीय कंपनियां मौजूदा समय में भारत में इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के लिए एक संयुक्त उपक्रम की स्थापना के लिए चीन की एसएआईसी मोटर के साथ बातचीत कर रही हैं। ईवी कारोबार का एक हिस्सा एमजी मोटर के मौजूदा भारतीय कारोबार से अलग किए जाने की उम्मीद है।

बैंकरों का कहना है कि अदाणी ग्रुप भी 10 साल में 100 अरब डॉलर निवेश के लक्ष्य के प्रयास में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अधिग्रहण की संभावना तलाश रहा है। रिलायंस और टाटा समूह ने भी अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अधिग्रहण की योजना बनाई है।

बैंकरों और सलाहकारों का कहना है कि विलय-अधिग्रहण की रफ्तार 2024 में मजबूत बनी रहेगी, क्योंकि सरकारी सुधारों से विदेशी निवेश तथा घरेलू विलय एवं अधिग्रहण को बढ़ावा मिल रहा है। आसान नियामकीय मंजूरियों, क्षेत्र-केंद्रित रियायतें और सेबी द्वारा ठोस पहलों जैसे उपायों से कंपनियों को अधिग्रहण की राह पर दौड़ने में मदद मिलेगी।

खेतान ऐंड कंपनी में पार्टनर रबींद्र झुनझुनवाला ने कहा, ‘इस साल नियंत्रक हिस्सेदारी और निजी सौदों में इजाफा होने का अनुमान है, जिससे मजबूत विलय-अधिग्रहण परिवेश का संकेत मिल रहा है। भारतीय और अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय दिग्गजों को आकर्षित करने से एक अनुकूल व्यावसायिक परिवेश के लिए भारत की प्रतिबद्धता का पता चलता है।’

वर्ष 2023 में, भारत में कई चुनौतियों की वजह से विलय-अधिग्रहण गतिविधि में सुस्ती दर्ज की थी। इन चुनौतियों में टकराव, भूराजनीतिक तनाव और अमेरिकी फेडरल द्वारा दर वृद्धि से जुड़ी अनिश्चितता मुख्य रूप से शामिल थीं।

First Published : January 17, 2024 | 10:05 PM IST