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Mahakumbh 2025: अखाड़े हो रहे हाई-टेक, डाटा बेस से ऑडिट और प्रबंधन में आसानी

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ में इस बार अखाड़े भी डिजिटल हो रहे हैं। महाकुंभ में सनातन धर्म के ध्वज वाहक 13 अखाड़े अपने-अपने अखाड़े का डेटाबेस तैयार कर रहे हैं

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- December 11, 2024 | 6:23 PM IST

Akhadas going digital in Mahakumbh 2025: डिजिटल युग के मौजूदा दौर में इन अखाड़ों ने भी अपने प्रबंधन में डिजिटलाइजेशन का सहयोग लेना शुरू कर दिया है। अखाड़े अपना-अपना डाटा बेस तैयार कर रहे हैं। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव महंत जमुना पुरी के मुताबिक उनके अखाड़े में कंप्यूटर और बही खाता दोनों का इस्तेमाल हो रहा है। अखाड़े के ऑडिट में इससे मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि इनकम टैक्स दाखिले के लिए जो भी रिकॉर्ड रखना होता है वह इसी डाटा बेस में रहता है। इसी से फाइल चार्टर्ड अकाउंट को शेयर कर दी जाती है।

महाकुंभ में प्रवास के लिए पहुंच चुके श्री पंच अग्नि अखाड़े के महामंत्री सोमेश्वरानंद ब्रह्मचारी बताते हैं कि महाकुंभ में हमारे अखाड़ों के ऑडिट होते हैं। उनका कहना है कि एक दौर था जब अखाड़े के प्रबंधक बही खाते से इसकी जानकारी ऑडिट के लिए देते थे लेकिन अब सबके पास गैजेट हैं। सोमेश्वरानंद कहते हैं कि उनका अखाड़ा संस्कृत विद्यालय भी चलाता है। इन विद्यालयों में छात्रों की संख्या से लेकर विद्यालय की आय-व्यय की पूरी जानकारी भी इसी डाटा बेस के माध्यम से एकत्र रखते हैं।

गौरतलब है कि सनातन धर्म के 13 अखाड़े अध्यात्म, भक्ति और साधना के प्रचारक और प्रसारक मात्र ही नहीं हैं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इनके आचार्यों द्वारा कई वैश्विक अभियान भी चलाए जा रहे हैं। आवाहन अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरी का कहना है कि धर्म के साथ मानवता बचाने के लिए भी संत कार्य कर रहे हैं। इसी के अंतर्गत वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए वह वृक्षों को रोपित करने का अभियान चला रहे हैं जिसका डाटा बेस भी वह बनवा रहे हैं। इससे उनका समय बचता है, पारदर्शिता स्थापित होती है और प्रबंधन में भी मदद मिल रही है। उनका कहना है कि आदिवासी और वंचित समाज के साथ सनातन धर्म की निकटता स्थापित करने में डाटा बेस उपयोगी साबित होगा।

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श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती कहते हैं कि अन्वेषण और विस्तार के लिए अखाड़ों को डिजिटल युग के अनुरूप ही इसे स्वीकार करना होगा। उनका कहना है कि आदिवासी समाज को जागृत कर उन्हें सनातन धर्म की परम्परा से जोड़ने की उनकी आदिवासी विकास यात्राओं का उनका अनुभव भी यही है कि वंचित समाज में सनातन धर्म की जड़ों को मजबूत करने के लिए उनकी जानकारी एकत्र कर उसका डाटा बेस तैयार करना एक आवश्यकता है।

संतो के सबसे बड़े वैष्णव अखाड़ों में भी डाटा बेस बनाने पर सहमति है लेकिन कुछ तकनीकी समस्याएं होने की वजह से इसे आने वाले समय में अमल में लाने की बात अखाड़े कह रहे हैं। अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अणि अखाड़े के श्री महंत राम जी दास का कहना है कि संन्यासी संप्रदाय के अखाड़ों की तरह वैष्णव अखाड़ों के पास अपने ट्रस्ट नहीं हैं। इसलिए ऑडिट की आवश्यकता उन्हें नहीं पड़ती। लेकिन यह मौजूदा डिजिटल युग में वैष्णव अखाड़ों को भी अपने अपने अखाड़ों के डाटा बेस बनाने होंगे।

First Published : December 11, 2024 | 6:23 PM IST