मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़

यूरोप पहुंची खरगोन की मिर्च, नए विदेशी ठिकानों की तलाश

खरगोन स्थित किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) टेराग्लेब जिले में 300 किसानों की मदद से 600 एकड़ रकबे में मिर्च की खेती करता है और उसे यूरोप में निर्यात करता है।

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संदीप कुमार   
Last Updated- July 09, 2024 | 8:15 PM IST

मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में यह मिर्च (chili) की बोआई का मौसम है। लगभग तीन महीनों में मिर्च की फसल से इन खेतों का रंग सुर्ख लाल हो जाएगा और फिर यह फसल कटाई, सुखाई और पैकिंग के बाद खरगोन की बेडिया मंडी पहुंचेगी जो एशिया में मिर्च की सबसे बड़ी मंडियों में से एक है। इस मंडी से खरगोन की मिर्च पूरे भारत, चीन और अब यूरोप तक का सफर तय कर रही है।

‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना में शामिल खरगोन की मिर्च को और अधिक बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार, मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम और जिला प्रशासन लगातार प्रयास कर रहे हैं।

जिले में होगी 200 नई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना

नवीनतम योजना के अनुसार जिले में 200 नई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना की जाने वाली है ताकि स्थानीय किसानों की मदद की जा सके। खासतौर पर मिर्च के किसानों को इससे प्रसंस्करित उत्पाद तैयार करने और उनका निर्यात करने में मदद मिलेगी। खरगोन में 45,000 हेक्टेयर से अधिक रकबे में मिर्च की खेती होती है।

खरगोन स्थित किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) टेराग्लेब जिले में 300 किसानों की मदद से 600 एकड़ रकबे में मिर्च की खेती करता है और उसे यूरोप में निर्यात करता है।

टेराग्लेब के निदेशक अभिषेक पाटीदार ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हम इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट प्रणाली के तहत उगाई जाने वाली किस्म माही स्टेमलेस को यूरोप निर्यात करते हैं। इस प्रणाली से न केवल रसायन रहित मिर्च तैयार होती है बल्कि इसकी लागत सामान्य मिर्च से 20 फीसदी कम होती है और कीमत 10 फीसदी तक अधिक।’ खरगोन की सामान्य मिर्च चीन को निर्यात की जाती है।

अभिषेक ने बताया कि जिले से यूरोप को निर्यात करने का काम पहली बार उनके एफपीओ ने ही किया है और उन्होंने 5.5 मीट्रिक टन मिर्च लंदन भेजी है जहां से वह अलग-अलग जगहों पर जाएगी। उन्होंने कहा कि एफपीओ का इरादा अमेरिका को मिर्च निर्यात करने का है और वहां के सख्त मानकों को ध्यान में रखते हुए तैयारी की जा रही है।

खरगोन के किसान नीलेश पाटीदार ने बताया कि वह चार एकड़ में मिर्च की खेती करते हैं जिसकी लागत करीब छह लाख रुपये होती है। यह मिर्च 16 लाख रुपये में बिकती है यानी उन्हें 10 लाख रुपये का लाभ होता है।

मिर्च का रकबा और उत्पादन दोनों करीब दोगुने हुए

खरगोन में मिर्च तथा अन्य उत्पादों से जुड़े 200 उद्योग स्थापित किए जा रहे हैं जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार तैयार होंगे। इन उद्योगों की स्थापना प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज योजना के तहत की जानी है।

विगत पांच सालों में खरगोन में मिर्च का रकबा और उत्पादन दोनों करीब दोगुने हुए हैं। बागवानी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2018-19 में जहां 25,369 हेक्टेयर में 63,424 मीट्रिक टन मिर्च हुई थी वहीं 2022-23 में यह आंकड़ा 46,556 हेक्टेयर में 139,668 मीट्रिक टन तक पहुंच गया।

First Published : July 9, 2024 | 5:45 PM IST