मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव
मध्य प्रदेश में ग्रामीण, शहरी और अंतर-नगरीय परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कैबिनेट ने मंगलवार को ‘मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा’ के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी। इसके साथ ही प्रदेश में नई व्यवस्था के तहत बस सेवाओं के संचालन का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इसके तहत सरकार स्वयं बसें खरीदने के बजाय निजी-सार्वजनिक भागीदारी यानी पीपीपी मॉडल के तहत निजी ऑपरेटर से बस सेवा संचालित करने को कहेगी। इस परिवहन सेवा के लिए 101.20 करोड़ रुपये की अंशपूंजी स्वीकृत की गई है।
इस नई परिवहन योजना के तहत प्रदेश में यात्री बसों के संचालन की त्रि-स्तरीय निगरानी की जाएगी। परिवहन विभाग के उच्चाधिकारी के मुताबिक इस समय प्रदेश के 20 शहरों में कंपनीज एक्ट 2013 के तहत स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) गठित हैं। इनका प्रदेश के सात बड़े संभागों भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर और रीवा में बनने वाली क्षेत्रीय सहायक कंपनियों में विलय किया जाएगा। इन सात कंपनियों के एकीकृत नियंत्रण के लिए राज्य स्तर पर कंपनीज एक्ट 2013 के तहत एक होल्डिंग कंपनी का गठन किया जाएगा। जिला स्तर पर यात्री परिवहन समितियों का गठन किया जाएगा जो किराया निर्धारित करने, मार्ग तय करने और योजना को अधिकतम सफल बनाने के लिए समन्वय और मार्गदर्शन का काम करेंगी। अधिकारियों के मुताबिक होल्डिंग कंपनी समुचित आईटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से यात्रियों और अनुबंधित सेवा प्रदाताओं की सुविधा के लिए ऐप का संचालन करेगी। ऐप के जरिये यात्री ई-टिकट बुक कर सकेंगे, बस की अद्यतन स्थिति की जानकारी पा सकेंगे और उसमें कितनी सीटें खाली हैं यह भी देख सकेंगे ताकि उन्हें अपनी यात्रा की योजना बनाने में मदद मिल सके। मजबूत आईटी व्यवस्था की मदद से टिकट व्यवस्था को सख्त बनाने की योजना है ताकि राजस्व की हानि न हो सके।
यात्रियों को अंतिम सिरे तक परिवहन सुविधा मुहैया कराने के लिए मल्टी मोडल ट्रांसपोर्ट की सुविधा प्रदान की जाएगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव कह चुके हैं कि प्रदेश में परिवहन सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए ग्रामीण और खासकर जनजातीय इलाकों में यात्री परिवहन सेवाओं में सुधार के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।