Lok Sabha Election 2024: भारतीय चुनावी राजनीति में अनिश्चितता एक कड़वी हकीकत है, जहां चुनाव में बड़े अंतर से जीत के बाद भी यह पक्का नहीं कहा जा सकता कि उस नेता को अगली बार भी उसी सीट से टिकट मिल जाएगा। करनाल से सांसद संजय भाटिया और विदिशा से सांसद रमाकांत भार्गव इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। पिछले लोक सभा चुनाव यानी 2019 में सबसे बड़े अंतर से जीत दर्ज करने वाले 20 सांसदों में केवल 8 को ही 2024 के चुनाव में टिकट मिल पाया है।
उदाहरण के लिए पिछले आम चुनाव में 656,142 मतों के अंतर के साथ सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वालों की सूची में दूसरे नंबर पर करनाल से भाजपा सांसद भाटिया को इस बार टिकट नहीं मिला है। भाजपा ने इस बार करनाल से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को मैदान में उतारने का फैसला किया है। इसी प्रकार विदिशा से सांसद भार्गव सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वालों में 16वें नंबर हैं, लेकिन उन्हें भी इस बार अपनी सीट पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए छोड़नी पड़ी है।
भाजपा के नवसारी (गुजरात) से सांसद सीआर पाटिल को पिछले लोक सभा चुनाव में 972,739 वोट मिले थे और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार धर्मेश भाई भीमभाई पटेल को 689,668 वोटों से शिकस्त दी थी, जो देश में 543 सांसदों में सबसे बड़ी जीत थी। भाजपा ने पाटिल को दोबारा नवसारी से ही टिकट दिया है। पाटिल नवसारी से 2009, 2014 और 2019 में जीत कर सांसद रहे हैं। इसके उलट भाटिया और भार्गव पहली बार जीत कर संसद पहुंचे थे। हालांकि कौन कितनी बार या कितने बड़े अंतर से जीता ,यह टिकट मिलने या कटने का मानक नहीं है।
उदाहरण के लिए राजस्थान की भीलवाड़ा सीट के लिए भाजपा ने अपने दो बार के सांसद सुभाष चंद्र बहेरिया को इस बार टिकट नहीं दिया और उनकी जगह दामोदर अग्रवाल को मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में बहेरिया 612,000 वोटों के अंतर से जीत दर्ज करने में कामयाब हुए थे और सबसे बड़ी जीत में उनका नंबर चौथा था।
सबसे बड़े अंतर से जीतने वाले 20 सांसदों में गांधीनगर से सांसद अमित शाह और द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के श्रीपेरुमबुदूर सांसद टीआर बालू अपनी-अपनी सीट से दोबारा चुनाव लड़ेंगे, लेकिन गाजियाबाद के सांसद और पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह यहां से दोबारा टिकट पाने में नाकाम रहे। भाजपा ने इस बार गाजियाबाद से अतुल गर्ग को टिकट दिया है।
पिछले चुनाव में सबसे बड़ी जीत में 17वें नंबर पर रहे वीके सिंह 501,500 के अंतर से जीते थे। राजस्थान के राजसमंद से 551,916 वोटों के अंतर से जीत इस सूची में 11वें पर रहीं दीया कुमारी को अपनी सीट इसलिए छोड़नी पड़ी क्योंकि अब वह राज्य की उपमुख्यमंत्री बन चुकी हैं।
वडोदरा से भाजपा सांसद रंजनबेन धनंजय भट्ट का मामला अलग है। पिछले चुनाव में उन्होंने 5वीं सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 में वडोदरा सीट छोड़ने के कारण हुए उपचुनाव में वह यहां से जीती थीं। भाजपा ने इस चुनाव के लिए जारी पहली सूची में उनका नाम दिया था, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध के चलते उनका नाम काटकर हेमांग जोशी को मैदान में उतारा गया।
वर्ष 2019 में बड़ी जीत के मामले में 14वें नंबर पर रहे द्रमुक के पी वेलूसामी डिंडीगुल सीट से 538,972 वोटों से जीते थे। माकपा डिंडीगुल से लड़ रही है जबकि द्रमुक ने अपना उम्मीदवार कोयम्बत्तूर सीट से उतारा है।पिछले चुनाव में माकपा ने कोयम्बत्तूर सीट जीती थी। भाजपा की राज्य इकाई प्रमुख के अन्नामलाई कोयम्बत्तूर सीट से लड़ रहे हैं।