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Karnataka Reservation Bill: कर्नाटक ने आरक्षण विधेयक रोका, उद्योग के साथ राजनीतिक वर्ग से आई कड़ी प्रतिक्रिया

कर्नाटक राज्य उद्योग, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय उम्मीदवारों के लिए रोजगार विधेयक, 2024 को सोमवार को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी।

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- July 17, 2024 | 11:25 PM IST

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय कन्नड़ युवाओं को आरक्षण देने के फैसले का उद्योग जगत से लेकर राजनीतिक क्षेत्र में भी तीखा विरोध हुआ। एक केंद्रीय मंत्री ने जहां इस कदम को अर्थव्यवस्था को पीछे धकेलने वाला बताया, वहीं पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश के एक मंत्री ने बेंगलूरु की आईटी इंडस्ट्री को विशाखापत्तनम स्थानांतरित करने का प्रस्ताव रख दिया है।

चारों ओर से आई कड़ी प्रतिक्रिया के बाद राज्य सरकार ने उस विधेयक को ठंडे बस्ते में डाल दिया जिसमें निजी क्षेत्र में कन्नड़ लोगों के लिए आरक्षण अनिवार्य किया गया था। कर्नाटक राज्य उद्योग, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय उम्मीदवारों के लिए रोजगार विधेयक, 2024 को सोमवार को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी।

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बुधवार को जारी बयान में कहा गया, ‘निजी क्षेत्र के संगठनों, उद्योगों और उद्यमों में कन्नड़ लोगों को आरक्षण देने के लिए मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत विधेयक को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है। इस पर आगामी दिनों में फिर से विचार किया जाएगा और निर्णय लिया जाएगा।’

नैशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर ऐंड सर्विस कंपनीज (नैसकॉम) ने कर्नाटक सरकार के स्थानीय युवाओं को निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण देने के फैसले को गहरी चिंता का विषय करार दिया। संस्था ने चेताया है कि यदि इस पर अमल किया गया तो यहां से कंपनियां दूसरे राज्यों में पलायन कर सकती हैं, क्योंकि केवल स्थानीय प्रतिभाएं उद्योग जगत की मांग को पूरा नहीं कर सकतीं। नैसकॉम के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आंध्र प्रदेश के आईटी, संचार और उद्योग मंत्री नारा लोकेश ने कहा कि आईटी उद्योग का आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में स्वागत है। कंपनियां बेंगलूरु से यहां आ सकती हैं।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के बेटे लोकेश ने तंज कसते हुए कहा, ‘हम आपकी निराशा को समझ सकते हैं। हमारे आईटी कारोबार और सेवाओं, एआई एवं डाटा सेंटर कलस्टर के विस्तार के लिए आपके कदम की हम सराहना करते हैं।’

लोकेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘हम आपके आईटी कारोबार के विकास के लिए सबसे अच्छी सुविधाएं, निर्बाध बिजली आपूर्ति, बेहतरीन आधारभूत ढांचा और सबसे अच्छी कुशल प्रतिभाएं देंगे। साथ ही इसमें सरकार की कोई दखलअंदाजी भी नहीं होगी। आंध्र प्रदेश में आपका स्वागत है। कृपया संपर्क में रहें।’

इससे पहले केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयंत चौधरी ने कहा कि कर्नाटक सरकार कदम असंवैधानिक है। राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष चौधरी ने कहा, ‘निजी क्षेत्र में नौकरी के लिए कन्नड़ भाषी युवाओं को ही 100 प्रतिशत आरक्षण का कर्नाटक सरकार का फैसला अर्थव्यवस्था को पीछे धकेलने वाला कदम है। मैं इस बारे में पहले भी अपने विचार साझा कर चुका हूं। मेरा मानना है कि राज्य सरकार द्वारा ऐसा कोई भी कदम सभी भारतीयों के संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है।’ जयंत चौधरी की लोक दल केंद्र में सत्तारूढ़ राजग का हिस्सा है।

कर्नाटक सरकार के फैसले पर केंद्रीय और राज्य स्तरीय सभी भाजपा के नेता चुप्पी साधे हुए हैं। भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार ने हरियाणा में 2020 में एक कानून पास कर स्थानीय युवाओं को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की थी। यह अलग बात है कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने नवंबर 2023 में इस फैसले को रद्द कर दिया था। चंडीगढ़ के सांसद कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने उस समय उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया था, लेकिन अब कर्नाटक सरकार के कदम पर वह भी चुप हैं।

First Published : July 17, 2024 | 11:25 PM IST